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जानें आज के व्रत व त्यौहार : आज करें विलक्कु की पूजा
न्युज डेस्क (एजेंसी)। विलक्कु पूजा, भाग्य और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का प्रतीक है। एक समय में बड़ी संख्या में महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से महालक्ष्मी की पूजा दीप जलाकर किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और दुनिया में शांति आती है।
थिरु विलक्कु पूजा, ज्यादातर शुक्रवार को या तो सुबह या शाम को दीपक जलाकर की जाती है। यह मुख्य रूप से तमिल महीनों, चिथिरई और वैगासी के दौरान की जाती है, और यह पवित्र दीप पूजा अमावस और पूर्णिमा के दिनों में भी की जा सकती है।
विलक्कु पूजा कौन करता है?
कुथु विलक्कू का मतलब है खड़ा हुआ तेल का दीपक, जो की अज्ञानता को दूर करने और हमारे भीतर दिव्य प्रकाश के जागरण का प्रतीक है। दक्षिण भारत - तमिलनाडु में, अधिकांश गृहिणियां इस तिरुविलक्कू पूजा को नियमित रूप से 108 पोटरी का जाप करके घर पर नियमित रूप से करती हैं। इसकी कोमल चमक मंदिर या मंदिर के कमरे को रोशन करती है, जिससे वातावरण शुद्ध और निर्मल रहता है।
विलक्कु पूजा क्यों की जाती है?
दक्षिण भारतीय हिंदुओं के घरों में 'थिरु-विलक्कू' प्रतिदिन जलाया जाता है, क्योंकि थिरु-विलक्कू को माँ महालक्ष्मी का रूप माना जाता है, जो भाग्य और धन की देवी हैं। दिव्य मां लक्ष्मी देवी की कृपा पाने के लिए महिला भक्तों द्वारा थिरुविलक्कू पूजा की जाती है।
यह पूजा परिवार के सदस्यों की भलाई के लिए की जाती है और यह प्रत्येक सदस्य के लिए अच्छाई लाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग ईमानदारी से मंदिरों में दीया जलाकर थिरु विलक्कू पूजा करते हैं, मां महालक्ष्मी भी उस शुभ कार्यक्रम में उपस्थित होंगी, और वह दीप पूजा में भाग लेने वालों को आशीर्वाद देती हैं।