Chhattisgarh

वक्त है बदलाव का !
@ harry bairagi
इतिहास गवाह रहा है, सियासी कुर्सियां बदलने में वक्त नहीं लगता। लोकतंत्र में कोई भी सरकार स्थाई नहीं होता और लोकतंत्र में जनता का जनादेश ही सर्वोपरि होता। जो क ल कतार में थे वो आज आगे है यही लोकतंत्र की खासियत है। यह सत्ता में बैठे लोगों को क भी नहीं भूलना चाहिए। अच्छे दिन आने वाले हैं , तो याद ही होगा , कितना हिट हुआ था और आम जनता ने स्वीकारा भी था। सरकार बनी भी मोदी सत्ता में आए भी पर अच्छे दिन आए कि नहीं आए ये तो जनता ही जाने। कुछ उसी तरह के नारे के साथ कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में जनता के बीच गए। जनता ने न सिर्फ इसे स्वीकारा बल्कि भारी जानादेश के साथ कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंपी और राज्य में कांग्रेस बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रही।
17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल ने राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। शपथ लेने के बाद से श्री बघेल के नेतृत्व में सरकार राज्यहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसले ले रही है। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से पहले प्रदेश के किसानों से वादा किया गया था कि सरकार बनने के 10 दिन के अंदर किसानों की कर्जमाफी कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री के रूप में 17 दिसंबर की शाम शपथ लेने के बाद मंत्रालय पहुंचकर भूपेश बघेल की तीन सदस्यीय कैबिनेट ने सबसे पहले प्रदेश 16 लाख किसानों के अल्पकालीन कृषि ऋ ण माफ करने का फैसला किया। यह फैसला सरकार गठन होने के महज कुछ ही घंटों के भीतर किया गया। राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों और छत्तीसगढ़ ग्रामीण विकास बैंक में सभी किसानों के 30 नवम्बर 2018 तक के अल्पकालीन कृषि ऋणों को माफ करने का फैसला किया। इस ऐतिहासिक फैसले से छत्तीसगढ़ के 16 लाख से ज्यादा किसानों को 6100 करोड़ रूपए के ऋणों से मुक्ति मिली।
कांग्रेस सरकार ने किसनों से यह वादा भी किया था कि न्यनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी 2500 रूपए प्रति क्विंटल के हिसाब से की जाएगी। सरकार ने इस बारे में भी फैसला किया। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के किसानों को प्रतिक्विंटल करीब 450 रूपए अधिक क ीमत मिल रही है। इसी तरह तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2500 रूपए से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा की गई। राज्य शासन द्वारा बढ़ाए गए समर्थन मूल्य व बोनस पाने की आस में अब राज्य के किसानों के चेहरा खिल उठे है और किसानों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद भी किया।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की दिशा में पहल की है। कार्यभार संभालने के तीसरे दिन ही मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस कानून का प्रारूप बनाने के निर्देश जारी किए हैं। श्री बघेल के नेतृत्व में सरकार की इस पहल से छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य होगा जिसने कानून बना कर पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि जन घोषणा पत्र में यह वादा किया गया है कि पत्रकारों की सुरक्षा सरकार की बड़ी प्राथमिकता होगी। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के साथ-साथ वकीलों और डॉक्टरों के संरक्षण के लिए भी गृह विभाग को विशेष सुरक्षा कानून बनाने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि उन्होंने जनघोषणा पत्र में भी इसका उल्लेख किया है।
आज से लगभग साढ़े पांच साल पहले बस्तर जिले के झीरम घाट में घटी दुर्दान्त नक्सली घटना की जांच के लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा एसआईटी के गठन की घोषणा से पीड़ितों में न्याय की उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री द्वारा पदभार ग्रहण करने के पश्चात लिए गए इस प्रमुख निर्णय का पीड़ितों ने स्वागत किया है। उल्लेखनीय है कि 25 मई 2013 को बस्तर जिले के झीरम में नक्सलियों द्वारा प्रमुख नेताओं, सुरक्षाकर्मियों के साथ ही आम नागरिकों की बेरहमी से हत्या की गई थी। मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा इसकी जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा से घटना से प्रभावित पीड़ितों के मन में न्याय की आशा जगी है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर छोटे भू-खण्ड धारकों को जमीन की खरीदी-बिक्री के पंजीयन में बड़ी राहत मिली है। श्री बघेल ने छोटे भू-खण्डधारकों को रजिस्ट्री में आ रही दिक्कतों को देखते हुए राजस्व विभाग को इसका तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा पूर्व में जारी आदेशों को स्थगित करते हुए नया आदेश जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत पांच डिसमिल से कम रकबे की खरीदी-बिक्री पर रोक हटा दी गई है। अब पांच डिसमिल से कम रकबे की भूमि का अब नामांतरण और पंजीयन आसान होगा।
इसी क्रम में सरकार ने टाटा इस्पात संयंत्र के लिए आदिवासी बहुल बस्तर जिले के लोहांडीगुड़ा क्षेत्र में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी, उन्हें उनकी जमीन जल्द वापस की जाएगी। मुख्यमंत्री ने किसानों से किए गए अपने वादे का उल्लेख करते हुए अधिकारियों को इसके लिए जरूरी प्रक्रिया जल्द पूर्ण करने और मंत्री परिषद की आगामी बैठक में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार के जनघोषणा पत्र में किसानों और आम नागरिकों के व्यापक हित में छत्तीसगढ़ की पहली जल नीति लागू करने का भी संकल्प लिया गया है। इसके अंतर्गत जल संसाधन विभाग द्वारा पेयजल और सिंचाई को प्राथमिकता दी जाएगी। लघु और मध्यम सिंचाई योजनाओं पर विशेष ध्यान देकर पांच वर्ष के भीतर सिंचित क्षेत्र को दोगुना किया जाएगा। जनघोषणा पत्र में जल संसाधन विभाग से संबंधित बिन्दुओं में यह भी कहा गया है कि सिंचाई शुल्क को समाप्त कर पुरानी बकाया राशि माफ की जाएगी। किसानों की अधिकारों की रक्षा, कृषि उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि नीतियों पर सलाह देने के लिए किसान आयोग बनाया जाएगा, जिसमें किसान प्रतिनिधियों और अन्य हितग्राहियों को भी शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा महाविद्यालय में सहायक प्राध्यायपकों की भर्ती तथा चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई व एजेंटों के खिलाफ प्रकरण वापसी पर विचार आदि कई कई कड़े फैसले भी लिए गए।