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खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरा सात साल का बच्चा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरा सात साल का बच्चा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

विदिशा (एजेंसी)। मध्यप्रदेश के विदिशा जिले की लटेरी तहसील के गांव खेरखेड़ी में खेत में खुले पड़े 60 फीट गहरे बोरवेल में गिरे सात वर्ष के बच्चे को बचाने के लिए पूरी रात एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम का रेस्क्यू आपरेशन चलता रहा, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदाई के दौरान चट्टान आ जाने के कारण भी देरी हुई है। रेस्क्यू में जुटे जवानों का कहना है कि खोदाई के दौरान बच्चा बोरवेल में नीचे खिसक गया है, इसलिए उन्हें गड्ढे की गहराई बढ़ाना होगा। सुबह छह बजे तक करीब 46 फीट गड्ढा खोदा जा चुका था, पांच फीट और खोदाई की गई। इसके बाद सुबह करीब 08 बजे एनडीआरएफ की टीम ने सुरंग बनाने का काम शुरू किया।

मालूम हो, एक दिन पहले मंगलवार की सुबह करीब 11 बजे खेत में चना की फसल काट रहे मजदूर दिनेश अहिरवार का बेटा सात वर्षीय लोकेश अहिरवार पड़ोस के खेत में खुले पड़े बोरवेल के गड्ढे में गिर गया था। जिसे बचाने के लिए दोपहर 12 बजे से रेस्क्यू आपरेशन चलाया जा रहा है।

बुधवार सुबह सात बजे तक 19 घंटे हो चुके है लेकिन अब तक बोरवेल में फंसे बच्चे को बाहर नहीं निकाला जा सका है।

मौके पर मौजूद कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने बताया कि बच्चे को बोरवेल से निकालने के लिए बोरवेल से कुछ दूरी पर गड्ढा खोदा गया है। इसके बाद गड्ढे से बोरवेल के बीच सुरंग बनाकर बच्चे को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। खोदाई का कार्य अंतिम चरण में है। इस सुरंग के माध्यम से टीम के सदस्य बोरवेल के गड्ढे तक पहुंचकर बच्चे को बाहर निकालेंगे।

उन्होंने बताया कि यहां पहले छह बुलडोजर और तीन पोकलेन मशीन से खोदाई की जा रही थी। रात के समय दो पोकलेन अतिरिक्त बुलवाई गई है। अब पांच पोकलेन मशीन खोदाई कर रही है। बोरवेल में फंसे बच्चे पर नाइट वाचिंग कैमरे की मदद से नजर रखी जा रही है लेकिन मौके पर मौजूद लोगों का कहना है कि बच्चे के शरीर में रुक रुककर हलचल दिखाई दे रही है। जिसके कारण बच्चे के माता-पिता और स्वजनों की चिंता बढ़ गई है।

बोरवेल में फंसे बच्चे की कुशलता के लिए घटनास्थल पर सैंकड़ों लोग पूरी रात जागते रहे, इनमें बच्चे के माता - पिता के अलावा कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, विधायक उमाकांत शर्मा सहित आसपास के गांवों के लोग थे। खेत में रात के समय सोने के कोई इतजाम नहीं थे।

ग्रामीण खुले आसमान के नीचे समूह में जमीन पर बैठे रहे। रेस्क्यू के दौरान जरा-सी हलचल पर लोगों की उम्मीदें बढ़ती रही। कलेक्टर भार्गव भी रेस्क्यू टीम से बार बार अपडेट लेते रहे। बच्चे के माता - पिता और स्वजन दिन भर से भूखे थे। विधायक उमाकांत शर्मा ने रात के समय उन्हें आग्रह के साथ भोजन कराया।

60 फीट गहरे बोरवेल में फंसा बच्चा लोकेश पिछले 18 घंटे से भूखा है। बच्चे को पाइप के माध्यम से आक्सीजन तो उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन उस तक भोजन पहुंचा पाना मुश्किल हो रहा है। कलेक्टर भार्गव के मुताबिक बच्चा ऐसी स्थिति में फंसा है कि उसे तरल पदार्थ भी नहीं दे पा रहे है।

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