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बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच रूस अभी भी भारत को दे रहा 45 फीसद हथियार
कीव (एजेंसी)। भले ही भारत ने अन्य देशों से हथियारों की खरीद में भारी कटौती की हो, लेकिन रूस अभी भी भारत के लिए हथियारों का मुख्य स्रोत बना हुआ है। यह तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हथियारों के लिए मॉस्को पर निर्भरता को फिर से बढ़ाने की चुनौती को समझ रहे हैं। खासकर जब चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ भारत की सीमाएं फिलवक्त तनावपूर्ण हैं।
हथियारों की बिक्री और निरस्त्रीकरण का अध्ययन करने वाले एक स्वतंत्र थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 से शुरू अब तक की पांच साल की अवधि के लिए रूसी हथियार आयात में 19 फीसद की गिरावट आई है। यह आंकड़ा इस अवधि के ठीक पहले के पांच सालों के आयात के आधार पर निकाला गया है।
नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार रूस 2013-17 और 2018-22 दोनों दौर में भारत को हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था, लेकिन कुल भारतीय हथियारों के आयात में इसकी हिस्सेदारी 64 फीसद से गिरकर 45 फीसद हो गई। यूक्रेन से युद्ध के दौरान अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के दबाव के बावजूद मॉस्को पर हथियारों के लिए भारत की निर्भरता ही नई दिल्ली के तटस्थ रुख के पीछे एक बड़ा कारण है।
यही वजह है कि रूस के आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान नहीं कर भारत रूपी दक्षिण एशियाई राष्ट्र ने रूस के युद्ध को समाप्त करने के लिए युद्धविराम और एक राजनयिक समाधान के आह्वान का समर्थन किया। इसके साथ ही भारत ने रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद भी जारी रखी है।