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मूक-बधिरों का गांव, यहां इशारों में होती है बातचीत...
रायगढ़। जिला का हीरापुर गांव गूंगों का गांव है। यहां करीब 20 ऐसे लोग हैं, जो बोल नहीं पाते। इसमें कुछ ऐसे भी हैं जो सुन भी नहीं पाते। इसकी वजह से वे इशारों में बातचीत करते हैं। कुछ तो ऐसे भी लोग हैं जो अपने आप को यह कहते हुए कोस रहे हैं कि वे क्यों इस जाति में जन्म लिए जहां उनके बच्चे गूंगे और बहरे पैदा हो रहे हैं। खास बात यह है कि यह भी एक ही शिकारी जाति के लोग हैं। इन्हें शासन की ओर से भी किसी प्रकार की सहायता नहीं मिल सकी है।
जिला मुख्यालय से करीब 98 किलोमीटर दूर लैलूंगा ब्लाक में हीरापुर है। इस गांव में शिकारी जाति के लोगों की बाहुलता है। शिकारी जाति के लोग आदिवासी वर्ग में आते हैं।
यहां वैसे तो अन्य जाति के लोग भी रहते हैं, लेकिन शिकारी जाति के करीब 20 ऐसे लोग हैं, जो बोल नहीं पाते। यह जन्म से ही गूंगे हैं।
ऐसे में बोल नहीं पाने वाले जब किसी से बातचीत करते हैं तो वे इशारों से करते हैं। वहीं जब गांव के लोग इन्हें किसी प्रकार से काम समझाते हैं तब भी वे इशारों से ही उन्हें काम समझाते है।
इसमें ऐसे भी लोग हैं जो स्कूल गए और आठवीं तक की शिक्षा ली, लेकिन आठवीं के बाद की पढ़ाई बोल नहीं पाने की वजह से उनके लिए कठिन हो गया। इससे आगे की पढ़ाई नहीं करते हुए इसके बाद की पढ़ाई छोड़ दी।
मौजूदा समय में वे लोग रोजी मजदूरी करते हुए गुजर बसर कर रहे हैं। खास बात यह है कि जिला प्रशासन की ओर से इनकी सुध भी नहीं ली गई है। इस गांव का सरपंच भी इसी शिकारी जाति का है। इस बीमारी से सरपंच परिवार का एक सदस्य भी ग्रसित है।
यह बोलने में असमर्थ
इस गांव में रहने वाली ललिता शिकारी, नारद शिकारी, सोहाली शिकारी, कमल, मसल, गुरुबारी, सतन साय शिकारी, शनिराम शिकारी, गुलाब सिंह शिकारी, दुबराज सिंह शिकारी, मोना, अंगुरी, कौशल, नवीना, अनपाल, बैकुंठ सहित अन्य लोग इसमें शामिल हैं।
आठवीं तक की ली शिक्षा
नहीं बोल पाने वाले में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो गांव के ही स्कूल में दाखिल लिए और आठवीं तक पढ़ाई भी की। आठवीं तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। पढ़ाई छोडऩे के पीछे इनके परिजन यह बताते हैं कि आगे की पढ़ाई नहीं बोल पाने की वजह से उनके लिए कठिन था। ऐसे में वे पढ़ाई छोड़ दिए। इसमें सोहाली शिकारी, मसल शिकारी, गुलाब सिंह शिकारी, मोना शिकारी ने ८वीं तक की पढ़ाई की है।
इस मामले में ग्राम पंचायत हीरापुर के सरपंच प्रसाद शिकारी ने कहा कि गांव में इसके लिए शिविर नहीं लगा है। मेरे द्वारा गांव के कुछ लोगों का उपचार रायगढ़ ले जा कर कराया गया, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल सका।
वहीँ कान, नाक, गला विशेषज्ञ, एवं जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरएन मंडावी ने कहा कि एक ही जाति के वर्ग में इस तरह की समस्या है तो संभवत: यह एक जेनेटिक कारण हो सकता है। हालांकि जब तक उनका जांच नहीं होती तक तब इसमें कुछ नहीं कहा जा सकता। जांच के बाद ही इसका क्या कारण है यह बात सामने आएगी।