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मस्तिष्क में ट्यूमर हो सकती है जानलेवा, जानिए इसके लक्षण व बचाव के तरीके

Date : 07-Jun-2023

नई दिल्ली (एजेंसी)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो चला है. वहीँ ब्रेन ट्यूमर, एक बेहद खतरनाक और जानलेवा समस्या है, जिसके कारण हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। वैश्विक स्तर पर साल 2020 में तीन लाख से अधिक लोगों में मस्तिष्क के ट्यूमर का पता चला था। इस आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि 2025 तक अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में 20 वर्ष से कम आयु के छह हजार बच्चों में इस कैंसर का निदान हो सकता है।

ब्रेन ट्यूमर, मस्तिष्क या उसके आसपास की कोशिकाओं में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि की समस्या है। जरूरी नहीं है कि हर ब्रेन ट्यूमर कैंसर कारक ही हो, कुछ नॉनकैंसरस भी हो सकते हैं। हालांकि जब ट्यूमर बढ़ने लगता है तो ये आपकी खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ा सकता है। इससे ब्रेन डैमेज का खतरा रहा है, जिसके कारण मृत्यु का भी जोखिम हो सकता है।

वैश्विक स्तर पर बढ़ रहे ब्रेन ट्यूमर के बारे में लोगों को जागरूक करने और बचाव के उपायों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 8 जून को वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है। आइए इस समस्या के बारे में समझते हैं।

ब्रेन ट्यूमर के बारे में जानिए

ब्रेन ट्यूमर को मुख्यरूप से दो प्रकार का माना जाता है। पहला जिसमें ट्यूमर आपके मस्तिष्क में उत्पन्न होता है और इससे मस्तिष्क के हिस्सों को क्षति का जोखिम हो सकता है। वहीं दूसरे ब्रेन ट्यूमर को मेटास्टैटिक ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है इसमें कैंसर कोशिकाएं फेफड़े या स्तन जैसे अन्य अंगों से मस्तिष्क में फैलती हैं।

इस प्रकार के कैंसर के विकसित होने के कई जोखिम कारक हो सकते हैं। 5 से 10 फीसदी मामले आनुवांशिक हो सकते हैं। उम्र के साथ भी ब्रेन ट्यूमर होने का जोखिम बढ़ने लगता है।

ब्रेन ट्यूमर होने के कारणों के बारे में जानिए

ब्रेन ट्यूमर तब होता है जब मस्तिष्क में या इसके पास की कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन हो जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि किन कारणों से डीएनए परिवर्तन होता है। कुछ जोखिम कारक आपमें ब्रेन ट्यूमर या कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले हो सकते हैं। जैसे कुछ प्रकार के रसायनों के संपर्क में आने से इसका जोखिम अधिक हो सकता है। इसी प्रकार जो लोग रेडिएशन के संपर्क में अधिक रहते हैं उनमें भी यह खतरा बढ़ता देखा गया है।

ब्रेन ट्यूमर के क्या लक्षण होते हैं?

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण ट्यूमर के स्थान और आकार पर निर्भर करते हैं। कुछ ट्यूमर मस्तिष्क के ऊतकों को सीधे नुकसान पहुंचाते हैं और कुछ ट्यूमर आसपास के हिस्सों पर दबाव डालते हैं। इसमें अक्सर सिरदर्द होते रहना सबसे कॉमन है। इसके साथ अगर आपको कुछ और लक्षण लंबे समय से महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
सिर में दर्द या दबाव जो सुबह के समय अधिक हो।
अक्सर मतली या उल्टी होते रहना।
आंखों की समस्याएं, जैसे धुंधला दिखाई देना या दोहरी दृष्टि।
एक हाथ या एक पैर का ठीक से काम न करना।
शारीरिक-मानसिक संतुलन में परेशानी होना।
बहुत थकान महसूस होते रहना।

ब्रेन ट्यूमर का इलाज और बचाव

यदि ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है तो इसका सबसे आम इलाज सर्जरी है। जिसमें मस्तिष्क के स्वस्थ हिस्सों को नुकसान होने से बचाने के लिए कैंसर कोशिकाओं को दूर करना है। सर्जरी के साथ अन्य उपचार माध्यमों जैसे रेडिएशन और कीमोथेरेपी आदि को भी प्रयोग में लाया जा सकता है। डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को ब्रेन ट्यूमर से बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

आप धूम्रपान और रेडिएशन जैसे जोखिमों से बचकर ब्रेन ट्यूमर के जोखिमों को कम कर सकते हैं। यदि आपके परिवार में किसी को ब्रेन ट्यूमर रह चुका है तो अपने जोखिमों के बारे में जानने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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अबूझमाड़ ओरछा के सीएचसी में 35 साल बाद ऑपरेशन थियेटर, पहले दिन हुए रिकॉर्ड 30 ऑपरेशन

Date : 27-May-2023

रायपुर। ऑपरेशन थियेटर में मशीनों की बीप-बीप की आवाज बहुत धीमे से कानों में पड़ती है। लेकिन अबूझमाड़ के 5 हजार वर्ग किमी इलाके में अब इस आवाज को हर कोई सुन सकेगा। कभी नक्सल आतंक की वजह से गोलियों की थर्राहट पर अब ये आवाजें भारी पड़ने वाली हैं क्योंकि अबूझमाड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ओरछा में 24 मई बुधवार से ऑपरेशन थियेटर शुरू हो गया है। यहां ऑपरेशन थियेटर की सुविधा शुरू होना इस इलाके के आदिवासियों के लिये किसी सपने से कम नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम को इस उपलब्धि के लिये बधाई दी है।

बड़ी बात ये कि ओटी शुरू होने के पहले दिन ही 30 मरीजों के ऑपरेशन किये गये। यहां रहने वाले आदिवासियों को ये सुविधा करीब 35 साल बाद मिली है। ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 1989 में शुरू हुआ था। तब से यहां वनांचल में रहने वाले आदिवासियों को ऑपरेशन के लिये जगदलपुर, जिला मुख्यालय नारायणपुर या फिर महाराष्ट्र जाना पड़ता था।

एक महीने के रिकॉर्ड समय में बना ऑपरेशन थियेटर

अबूझमाड़ के निवासी ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। खास बात रही कि ये ऑपरेशन थियेटर मात्र एक महीने के रिकॉर्ड में तैयार किया गया है। जिला खनिज न्यास निधि से उक्त ऑपरेशन थियेटर स्वीकृत किया। जिसे बनाने के लिये दिन-रात काम किया गया। नारायणपुर के तत्कालीन कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को वहां सब कुछ उपलब्ध है क्योंकि वे प्रकृति के नजदीक बहुत सीमित जरूरतों में रहते हैं। वहां उनके लिये बाजार है, राशन उपलब्ध है लेकिन उनके पास तक स्वास्थ्य सुविधाएं ले जाना बहुत जरूरी था। ऑपरेशन थियेटर बनने से वहां के आदिवासियों का विश्वास शासन-प्रशासन के प्रति और मजबूत होगा।

पहले दिन किये गये ये ऑपरेशन

ऑपरेशन थियेटर के शुरू होते ही पहले दिन में रिकॉर्ड 30 ऑपरेशन किये गये। जिनमें महिला नसबंदी के 13, पुरुष नसबंदी के 8, सिस्ट के 3, हाइड्रोसिल के 2, एमपीटी के 2, इनसीजन ड्रैनेज का 1 और हॉर्निया का 1 ऑपरेशन शामिल है। ऑपरेशन के लिये विशेषज्ञ डॉक्टर्स को बुलाया गया। डॉक्टर्स की टीम में नारायणपुर, कोण्डागांव जिला के विशेषज्ञों को बुलाया गया।  ऑपरेशन के पहले दिन सीएमएचओ डॉ टी आर कुंवर, डॉ एस नागुलन, डॉ टीना, डॉ गायत्री मौर्य, डॉ केशव साहू, डॉ सुखराम दोरपा, डॉ वल्लभ ठक्कर और अन्य चिकित्सीय सहयोगियों द्वारा सहयोग किया गया।

जल्द मिलेंगी ये सुविधायें

ओरछा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर शुरू होने के बाद जल्द ही चिकित्सीय सेवाओं और सुविधाओं का विस्तार होने वाला है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का नया भवन बनकर तैयार है, जल्द ही नये भवन में ओपीडी की सुविधा मिलने लगेंगी। पुराने भवन में ऑपरेशन और भर्ती के लिये सुविधाएं भी बढ़ाई जायेंगी। स्वास्थ्य केंद्र में जल्द ही ब्लड बैंक खुलेगा। मरीजों की जांच के लिये सोनोग्राफी की सुविधा भी जल्द मिलने वाली है। जिससे डॉक्टर्स को डायग्नोस करने में आसानी होगी और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पायेंगी।

अबूझमाड़ नारायणपुर जिले का सुदूर वनांचल इलाका है जो बहुत बड़े इलाके करीब 5 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों और नक्सल आतंक की वजह से बुनियादी सुविधाएं पहुंचाना बहुत मुश्किल काम था। लेकिन बीते चार साल में नक्सल घटनाओं में कमी के कारण यहां के लोगों के लिये बहुत सी सुविधायें पहुंचाई गयी हैं। अबूझमाड़ के निवासियों के लिये सबसे बड़ी सुविधा मसाहती सर्वे से भी मिली। अभी तक इस इलाके में कोई सर्वे नहीं हो पाया था जिससे हितग्राहियों तक शासकीय योजनायें पहुंचाने में मुश्किलें आतीं थी। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर मसाहती सर्वे पर बड़ी तेजी से काम किया गया और शासन की योजनाएं अबूझमाड़ के लोगों तक पहुंचने लगी हैं।

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आंखों की रोशनी बढ़ाने में बेहद फायदेमंद हैं योगासन, मिलता है फायदा

Date : 25-May-2023

हेल्थ न्युज (एजेंसी)। दिनभर कंप्यूटर और मोबाइल फोन पर समय बिताने की वजह से आंखों का कमजोर होना पानी आना सिर भारी होना और आंखों में जलन जैसी परेशानियां आम बात है। तो इनसे छुटकारा दिलाने में बेहद असरदार हो सकते हैं ये योगासन। लंबे समय तक कम्प्यूटर, लैपटॉप के सामने बैठने, घंटों मोबाइल चलाने की वजह से अब कम उम्र के बच्चों में भी आंखों से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

नजर कमजोर होना, ड्राई आईज़, आंखों से पानी आना, सिर भारी होना और आंखों में जलन जैसी परेशानियां बहुत ही आम हो चुकी हैं। इसके अलावा अनहेल्दी लाइफस्टाइल, गलत खानपान, आंखों की ठीक से देखभाल न करना, जरूरी न्यूट्रिशन की कमी की वजह से भी आंखों की रोशनी कम हो जाती है। तो इन सभी परेशाानियों को दूर करने और आंखों को हेल्दी रखने के लिए नियमित रूप से योग करना बहुत फायदेमंद होगा। तो आइए जानते हैं कुछ योगासनों के बारे में जिनके रोजाना अभ्यास से आंखों की रोशनी होगी तेज। 

हलासन

- इस आसान को करने के लिए पीठ के बल लेट जाएं।

- अब सांस भरते हुए धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए 90 डिग्री का एंगल बनाएं। फिर सांस छोड़ते हुए पैरों को सिर की तरफ लाते हुए पैर की उंगलियों से जमीन छूने की कोशिश करें।

- कुछ सेकंड इस पोजिशन में रूकें रहें। 

- अब सांस लेते हुए वापस पीठ के बल लेट जाएं।

- इस आसान के 4 से 5 बार करें।

चक्रासन

- इस आसान को करने के लिए भी पीठ के बल लेटना है।

- पैरों को अपने घुटनों से मोड़ें।

- हथेलियों को ऊपर की ओर रखते हुए अपनी बाजुओं को कोहनियों से मोड़ें। हथेलियों को सिर के पास रखें।

- गहरी सांस भरें और हथेलियों और पैरों पर प्रेशर देते हुए अपने शरीर को ऊपर उठाएं। नीचे देखें। सिर भी बॉडी के साथ ऊपर ही रहेगा। 

- कुछ सेकेंड इस स्थिति में बने रहें। फिर नॉर्मल पोजिशन में आ जाएं।

सर्वांगासन

- इस आसान को करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं।

- सांस अंदर लेते हुए अपनी पैरों को सीधे हवा में ऊपर की तरफ उठाएं।

- इसके बाद धीमी गति से टांगों को सिर की तरफ मोड़ें। दोनों कोहनियों को जमीन पर टीकाकार हाथों से कमर को सहारा दें।

- कंधे, स्पाइन और हिप्स एक सीध में रहेंगे। इस अवस्था में 30 से 60 सेकेंड तक रहें।


- इसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पुरानी अवस्था में वापस लौट आएं।

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ये 6 चीजें आपके लिवर को बनाएंगी स्ट्रांग, बिना देरी डाइट में करें शामिल

Date : 24-May-2023

नई दिल्ली (एजेंसी)। हम में से बहुत ही कम लोग ये जानते होंगे कि लिवर को शरीर का पावर हाउस कहा जाता है. शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए लिवर का अच्छा होना बहुत जरूरी होता है. हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो बैलेंस डाइट यानी संतुलित आहार इसमें एक अहम भूमिका निभा सकता है.

लिवर शरीर में सभी जरूरी कार्य करता है और विटामिन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट को बढ़ाने के साथ-साथ प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और पित्त के उत्पादन में भी मदद करता है. इसके अतिरिक्त, ये अल्कोहल, दवाओं और विषाक्त पदार्थों को भी शरीर में बारीक करने का काम करता है

चाय– चाय में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करते हैं. ब्लैक और ग्रीन टी लिवर में एंजाइम और वसा के स्तर को बेहतर बनाती है. इसके नियमित सेवन से लिवर हेल्दी बना रहता है. विशेष रूप से, ग्रीन टी लिवर एंजाइम के स्तर में सुधार करती है, ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करती है और लिवर की चर्बी को घटाती है.

टोफू- टोफू सोया से बना होता है इसलिए ये लिवर के लिए अच्छा है. ये लिवर में वसा को कम करने में मदद करता है. ये प्रोटीन का एक बेहतर विकल्प है और लिवर के लिए बहुत अच्छा है. कुछ सोया फूड्स में फलियां, सोयाबीन स्प्राउट्स और सोया नट्स शामिल हैं.

फल- कम मात्रा में फल भी लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. संतरे और अंगूर जैसे खट्टे फल लिवर के लिए ज्यादा अच्छे होते हैं. संतरे में मौजूद विटामिन C लिवर में फैट जमा होने से रोकने में मदद करता है. अंगूर में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट भी लिवर को सुरक्षित रखते हैं. ये एंटीऑक्सीडेंट लिवर को डैमेज होने से बचाते हैं. इसी तरह ब्लूबेरी का अर्क और अंगूर के बीज का अर्क लिवर कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है.

ओट्स- ओट्स फाइबर से भरपूर होते हैं और लिवर के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं. एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होने के कारण ओट्स लिवर की रिकवरी तेजी से करते हैं. ये लिवर की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को और नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया को धीमा करते हैं. अनाज और बीन्स में भी फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

कॉफी- संतुलित मात्रा में कॉफी पीना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. ये लिवर की बीमारी के खतरे को कम करता है. स्टडीज से पता चला है कि कॉफी पीने से सिरोसिस, या स्थायी लिवर डैमेज का खतरा कम हो जाता है. कम मात्रा में कॉफी पीने से लिवर कैंसर होने की संभावना भी कम रहती है.

सब्जी- डाइट में पत्तेदार सब्जियां शामिल करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. इससे पुरानी बीमारियों को रोकने में मदद मिल सकती है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. खासतौर से लिवर के लिए ये बहुत अच्छी होती है. इनमें ब्रोकली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, पालक जैसी सब्जियां शामिल हैं. हरी सब्जियां शक्तिशाली ग्लूटाथिओन एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं और लिवर के फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करती हैं.

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स्वास्थ्य शिविर में 233 लोगों की स्क्रीनिंग, ब्रेस्ट कैंसर के 6 मरीज चिन्हित

Date : 23-May-2023

जशपुरनगर। कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के निर्देशन और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रंजीत टोप्पो के मार्गदर्शन में राज्य सलाहकार एन.सी.डी. कार्यक्रम डॉ. सुम्मी जैन के सहयोग से 20 मई को जिला चिकित्सालय के एमसीएच विंग में स्तन एवं गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जांच शिविर आयोजित हुआ। शिविर में मेडिकल कॉलेज रायपुर से सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मंजू सिंह एवं डॉ. अमित अग्रवाल, एआईआईएमएस रायपुर से डॉ. चेतन के. एम., डॉ हर्षद बागड़े और डॉ प्रज्ञा जैन ने सेवाएं दी।

शिविर में 6 स्तन कैंसर के मरीजों चिन्हांकित किया गया। जिससे आगे के उपचार के लिए रायपुर भेजने भेजा जाएगा। 73 मरीजों की गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जांच की गई। जिसमें 8 व्हीआईए पॉजिटिव मरीजों का समय पर उपचारित किया गया एवं 1 शंकास्पद मरीज का सैंपल लेकर आगे के जांच के लिए भेजा गया। शिविर में कुल 233 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया।

जिला चिकित्सालय में पदस्थ एन. सी.डी. नोडल अधिकारी डॉ. उदय प्रकाश भगत द्वारा  कैंसर के लक्षण एवं इसकी जटिलताओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया गया उनके द्वारा लोगों को बताया गया कि दैनिक दिनचर्या एवं खानपान में विशेष देखभाल करने जरूरी है एवं कैंसर के कोई भी लक्षण को नजरअंदाज न करते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में इसे आवश्यक रूप से जांच कराने जरूरत है इस बात को लोग समझे और इसका-प्रचार प्रसार करें।

जिला कार्यक्रम प्रबंध स्मृति एक्का द्वारा जानकारी दी गई आगामी दिनों में स्तन एवं गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जांच की सुविधा जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थाओं में नियमित रूप से आयोजित किया जायेगी।

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इन संकेतों के दिखने पर भूलकर भी न करें लापरवाही

Date : 20-May-2023

नई दिल्ली (एजेंसी)। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी हो चला है। हृदय रोग, दुनियाभर में मृत्यु का प्रमुख कारण रहे हैं। आंकड़े बताते हैं, हर साल कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) लगभग 382,820 लोगों की मौत का कारण बनती है। जिस तरह से लोगों की लाइफस्टाइल खराब होती जा रही है, हृदय रोगों का खतरा और भी बढ़ गया है। कम उम्र के लोग भी इसके शिकार होते जा रहे हैं।

हृदय का मुख्य कार्य शरीर में रक्त को पंप करना है, जिससे आपके अंगों और ऊतकों को महत्वपूर्ण ऑक्सीजन और पोषक तत्वों युक्त रक्त की आपूर्ति होती रहे। हृदय रोगों के कारण, यह सामान्य कार्य बाधित हो जाता है जिसके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का अनुमान है कि हर साल संयुक्त राज्य में 4 में से 1 मौत हृदय रोग के कारण होती है।

हृदय रोगों से संबंधित दो समस्याएं- हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर काफी चर्चा में रही हैं। इनमें क्या खास अंतर है? आइए इस बारे में आगे विस्तार से समझते हैं।

हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के बारे में जानिए

आपके हृदय में रक्त का सामान्य प्रवाह बाधित हो जाने के कारण हार्ट अटैक होता है। इसका मतलब है कि इस हिस्से के ऊतकों को जीवित रहने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। दिल के दौरे का अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे हृदय के ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

वहीं हार्ट फेलियर तब होती है जब आपका हृदय, शरीर के अंगों और ऊतकों की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। धमनियों के संकरा हो जाने के कारण इस तरह की दिक्कत होती है।

कैसे होते हैं इसके लक्षण?

हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। दिल के दौरे (हार्ट अटैक) में मुख्य रूप से आपको सीने में दर्द होता है। दर्द हल्के से लेकर गंभीर तीव्रता वाला हो सकता है। यह छाती पर दबाव या निचोड़ने की अनुभूति जैसा महसूस कराता है। इसके अलावा आपके हाथों, कंधों, गर्दन या जबड़े में भी इसके कारण दर्द हो सकता है। कुछ लोगों को सांस लेने में कठिनाई, बहुत पसीना आने, सिर चकराने जैसी दिक्कतों का भी अनुभव हो सकता है।

वहीं हार्ट फेलियर की स्थिति में सांस की तकलीफ होना मुख्य लक्षण है। जब हृदय पूरे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति नहीं कर पाता है, तो फेफड़ों को अतिरिक्त ऑक्सीजन लेने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हार्ट फेलियर की स्थिति में कमजोरी या थकान के साथ सांस लेने में दिक्क्त, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, नाखून या होंठ का रंग नीला होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

कैसे जानें आपको क्या दिक्कत है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं जो लोग लंबे समय से हृदय रोगों के शिकार रहे हैं, उन्हें इन जोखिमों को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। हार्ट अटैक में जबड़ों, हाथों में दर्द होना काफी सामान्य है जबकि हार्ट फेलियर में सांस की तकलीफ को प्रमुख कारण माना जाता है। इन संकेतों के आधार पर आप शरीर की समस्याओं का अंदाजा लगा सकते हैं।

हृदय को स्वस्थ रखने वाले उपाय जैसे- जीवनशैली को ठीक रखना, आहार का स्वस्थ और पौष्टिक होना आपको हृदय रोग और इसकी जटिलताओं से बचा सकता है। अध्ययनकर्ता कहते हैं, अगर आपको हार्ट की कोई भी समस्या है तो शराब-धूम्रपान बिल्कुल छोड़ दें, इन दोनों के कारण आपमें हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर जैसी समस्याओं के विकसित होने का खतरा अधिक हो सकता है।

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एम्स रायपुर में हुआ दो रोगियों का सफल किडनी प्रत्यरोपण, दोनों मरीज स्थिर

Date : 18-May-2023

रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सकों ने एसजीपीजीआई, लखनऊ के विशेषज्ञों की निगरानी में दो रोगियों का सफल किडनी प्रत्यरोपण किया है। दोनों रोगियों की स्थिति स्थिर है और उन्हें किडनी प्रदाता के साथ गहन निगरानी में रखा गया है।

जांजगीर चांपा जिले के 24 वर्षीय कॉलेज छात्र किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित था। विगत छह माह से उसे हर हफ्ते नियमित रूप से तीन बार डायलिसिस की आवश्यकता पड़ रही थी। छात्र के माता-पिता मधुमेह से पीड़ित थे। अतः छात्र की 22 वर्षीय बहन ने अपनी किडनी दान की है।

इस छात्र का शुक्रवार को किडनी प्रत्यारोपण कर दिया गया। दोनों भाई-बहन अभी स्वस्थ हैं और चिकित्सकों की गहन निगरानी में हैं।

दूसरा किडनी प्रत्यारोपण बलौदा बाजार के रहने वाले 46 वर्षीय किसान का किया गया। वह जुलाई 2022 से गुर्दा रोग से पीड़ित था। इसकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था। हाथ-पैर में सूजन, उल्टी और कमजोरी के लक्षण थे।

किसान की पत्नी ने अपनी किडनी दान की है। दोनों रोगियों को ट्रांसप्लांट यूनिट में आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इस दंपत्ति के तीन बच्चे हैं।

दोनों रोगियों की सर्जरी एसजीपीजीआई, लखनऊ के डॉ. मोहम्मद अंसारी और डॉ. संजय सुरेखा के निर्देशन में एम्स रायपुर के यूरोलॉजी विभाग के डॉ. अमित शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. विनय राठौड़ और डॉ. प्रदीप (एनेस्थिसिया) ने लगभग पांच घंटे में किया।

डॉ. राठौड़ ने बताया कि एम्स में अब तक पांच किडनी का सफल प्रत्यारोपण किया जा चुका है। निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने चिकित्सकों की टीम को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

एम्स में किडनी प्रत्यारोपण से संबंधित प्री-ऑपरेटिव और पोस्ट ऑपरेटिव केयर के साथ रोगी और किडनी प्रदाता को काउंसलिंग के साथ डाइट के बारे में भी संपूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है।

पूर्व में किडनी प्रत्यारोपण करवा चुके रोगी भी यहां नियमित फॉलोअप के लिए आ रहे हैं। इन रोगियों का उपचार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पूर्णत निःशुल्क किया गया है।

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एम्स में सर्वाइकल कैंसर की एडवांस स्टेज के 5 रोगियों का ऑपरेशन कर प्रदेश के 100 से अधिक चिकित्सकों को दी ट्रेनिंग

Date : 08-May-2023

रायपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में सर्वाइकल कैंसर की एडवांस स्टेज के पांच रोगियों का ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से कर उन्हें पूर्णतः स्वस्थ किया गया है।

इस संबंध में विशेषज्ञों चिकित्सकों ने प्रदेश के 100 से अधिक चिकित्सकों को लाइव ऑपरेशन के माध्यम से ट्रेनिंग प्रदान की और इस प्रकार के रोगियों को लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से त्वरित लाभ प्रदान करने की सलाह दी गई।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के वरिष्ठ लैप्रोस्कोपिक आंकोसर्जन डॉ. शैलेष पुणताम्बेकर ने एम्स में ही पांच गर्भाशय कैंसर की थर्ड स्टेज, एंडोमेट्रीयोसिस और जटिल वेजाइनल फिस्टुला की थर्ड स्टेज की रोगियों की सर्जरी की।

इस लाइव सेशन में दुर्ग, जगदलपुर और अंबिकापुर के सौ से अधिक चिकित्सकों ने लैप्रोस्कोपिक ऑपरेशन के बारे में महत्वपूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह सभी ऑपरेशन एम्स की ओटी में किए गए और सभी रोगी अब पूर्णतः स्वस्थ हैं।

डॉ. पुणताम्बेकर ने एम्स में लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए उपलब्ध सुविधाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां गर्भाशय कैंसर की जटिलतम सर्जरी संभव है। विभागाध्यक्ष डॉ. सरिता अग्रवाल ने बताया कि विभाग प्रदेश के चिकित्सकों को गंभीर सर्जरी संबंधी निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में ही एम्स की एनोटॉमी लैब में लाइव कैडावेरिक डेमोस्ट्रेशन दिया गया।

कार्यक्रम में अधिष्ठाता (शैक्षिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल, डॉ. एन.के. अग्रवाल, डॉ. विनिता सिंह, डॉ. चंद्रशेखर श्रीवास्तव, डॉ. पुष्पावती, डॉ. सरिता राजभर, डॉ. नीलज बागड़े सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक और छात्र उपस्थित थे।

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सेहतमंद रहने के लिए बेहद जरूरी है हीमोग्लोबिन, शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी दूर करेंगी ये 5 ड्रिंक्स

Date : 03-May-2023

हेल्थ न्युज (एजेंसी)। सेहतमंद रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि हम हीमोग्लोबिन की कमी से बचे रहें। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है, जो शरीर के विभिन्न अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। अगर व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने लगती है, तो इससे एनीमिया आदि की शिकायत भी हो सकती है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि अगर आपके खून में हीमोग्लोबिन कम है, तो इसे जल्द से जल्द रिकवर किया जाए।

तो चलिए आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसी हेल्दी ड्रिंक्स के बारे में, जिसे पीकर आप शरीर में कम होते हीमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ा सकते हैं। अगर आप भी हीमोग्लोबिन के कम स्तर की वजह से सिरदर्द, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो आपको ये 5 ड्रिंक्स अपनी डाइट में जरूर शामिल करने चाहिए।

चुकंदर का जूस

शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने के लिए चुकंदर के बढ़िया विकल्प है। अगर आपके खून में हीमोग्लोबिन का लेवल कम है, तो आप चुकंदर का सेवन कर सकते हैं। चुकुंदर आयरन का अच्छा सोर्स माना जाता है। साथ ही इसमें पोटैशियम, विटामिन सी और मैंगनीज की भारी मात्रा पाई जाती है। ऐसे में अगर आप कम होते हीमोग्लोबिन से परेशान हैं, तो चुकंदर का जूस आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

पालक की स्मूदी

अगर आपके शरीर में भी हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो रहा है, तो इसके लिए आप पालक की स्मूदी पी सकते हैं। पालक में पाए जाने वाले आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने में काफी सहायक होते हैं। इसे बनाने के लिए दो कप पालक में 5-6 काजू और नारियल मिलाकर अच्छे से पीस लें। अब इस तैयार स्मूदी को पी जाएं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के साथ ही यह ड्रिंक आपकी एनर्जी भी बढ़ाएगा।

अनार का जूस

शरीर में खून बढ़ाने के लिए अनार भी एक बढ़िया विकल्प है। अगर आप अपना हीमोग्लोबिन का लेवल बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए अनार का जूस पी सकते हैं। अनार में आयरन और विटामिन सी की अच्छी-खासी मात्रा पाई जाती है। ऐसे में इसका जूस पीने से शरीर में खून की कमी दूर होगी। साथ ही ऑक्सीजन की सप्लाई भी बेहतर तरीके से होगी। अनार का जूस बनाने के लिए एक कप अनार के दानों को पीसकर छलनी से छान लें। रोजाना एक ग्लास जूस पीने से कई समस्याओं में राहत मिलेगी।

आलूबुखारे का जूस

सेहत के लिए फायदेमंद आलूबुखारा भी हीमोग्लोबिन की कमी पूरी करने में सहायक साबित होगा। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें आयरन और पौटेशियम की भी भारी मात्रा पाई जाती है। ऐसे में हीमोग्लोबिन स्तर बढ़ाने के लिए आलूबुखारा का जूस पी सकते हैं। इसे तैयार करने के लिए 5-6 आलूबुखारे लें और धोकर इसके बीज निकाल दें। अब इसमें एक कप पानी, एक चम्मच नींबू और दो चम्मच शक्कर डालकर मिलाकर पीस लें।

हलीम ड्रिंक

हलीम के बीज भी आयरन से भरपूर होते हैं। साथ ही इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, फाइबर, कैल्शियम और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व भी होते हैं। ऐसे में अगर आपके शरीर में हीमोग्लोबिन लेवल कम हो गया है, हलीम की ड्रिंक आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। इस ड्रिंक को बनाने के लिए आधे ग्लास पानी में एक चम्मच हलीम के बीज और 2 चम्मच नींबू का रस मिलाएं। अब इस ड्रिंक को दो घंटे के लिए रख दें और फिर बाद में इसे पी लें।

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कोरोना अपडेट : भारत में पिछले 24 घंटों में मिले 10 हजार 542 नए कोरोना मरीज, 38 लोगों की मौत

Date : 20-Apr-2023

दिल्ली (एजेंसी)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 10,542 मामले सामने आए हैं। इस दौरान 38 मरीजों की मौत भी हुई है। महाराष्ट्र में छह, दिल्ली में पांच, छत्तीसगढ़ में चार, कर्नाटक में तीन, राजस्थान में दो और पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश में 1-1 मरीज की जान गई है। सबसे ज्यादा 11 मरीजों ने केरल में दम तोड़ा है।

कोरोना बढ़ने के साथ ही पाबंदियों का दौर भी शुरू हो गया है। ताजा खबर पश्चिम बंगाल से है। यहां तेजी से फैलते संक्रमण के बीच ममता बनर्जी सरकार ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है।

लोगों से कहा गया है कि वे मास्क पहनें और भीड़ भरे स्थानों पर जाने से बचें। इससे पहले यूपी, हरियाणा और हिमाचल में लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है।

पश्चिम बंगाल में जारी एडवाइजरी में सुझाव दिया गया है कि बुजुर्गों, बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सार्वजनिक समारोहों में भाग लेने से बचना चाहिए। यदि भीड़ में जाना या पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करना जरूरी हो तो मास्क का उपयोग करें।

सरकार ने लोगों से बार-बार हाथ धोने और वायरस को मारने के लिए अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करने का भी आग्रह किया है। जिन लोगों ने अभी तक कोविड वैक्सीन का बूस्टर डोज नहीं लिया है उन्हें तुरंत इसे लेने की सलाह दी गई है।

कोरोना की अब तक की लहर का सबसे ज्यादा असर केरल और महाराष्ट्र में देखने को मिला है। इस बार भी यही हो रहा रहा है। केरल और महाराष्ट्र के साथ ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान उन राज्यों में शामिल हैं, जहां केस तेजी से बढ़ रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि महामारी से निपटने की तैयारी और जरूरी प्रयासों को हम कम नहीं करने देंगे।

इस बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने पाया है कि कमर्शियल बिल्डिंगों में वेंटिलेशन बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले एयर कंडीशनिंग सिस्टम को फिर से डिजाइन करने की जरूरत है। ऐसा करके कोविड-19 के प्रसार को सीमित किया जा सकता है।

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