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देश में चमगादड़ की मिली नई प्रजाति, इस नए रंग से वैज्ञानिक भी हैरान
नई दिल्ली (एजेंसी)। उल्टे लटकते हुए चमगादड़ को एक बार देखने भर से किसी भी इंसान में डर पैदा हो सकता है। पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस महामारी के लिए भी इन्हें ही जिम्मेदार माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चीन में चमगादड़ से मनुष्य में कोविड वायरस आया। हालांकि हम सभी ने अबतक सिर्फ काले रंग के ही चमगादड़ देखे हैं। किसी ने भी इनके रंगीन होने की कल्पना नहीं की होगी, लेकिन अब नारंगी रंग का चमगादड़ मिलने से वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चमगादड़ की नई प्रजाति है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ना केवल इसका रंग नारंगी है बल्कि यह फ्लकी भी है। साइंटिफिक जर्नल अमेरिकन म्यूजियम नोविटेट्स में वैज्ञानिकों ने इस चमगादड़ को लेकर अपनी स्टडी प्रकाशित की है। इस स्टडी में यह बात सामने आई है कि ये चमगादड़ की एकदम नई प्रजाति है।
अफ्रीकी देश में मिली ये नई प्रजाति
पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी में वैज्ञानिकों को यह नई प्रजाति मिली है। टेक्सास के ऑस्टिन में एक गैर-लाभकारी संगठन बेंट कंजर्वेशन इंटरनेशनल के डायरेक्टर जॉन फ्लैंडर्स ने कहा कि यह एक तरह से जीवन का लक्ष्य था लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि यह पूरा होगा। उन्होंने आगे कहा कि वैसे तो हर प्रजाति महत्वपूर्ण होती है लेकिन आप दिलचस्प दिखने वाले प्राणियों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और यह वास्तव में शानदार है।
उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला में पहले से नई प्रजातियों को ढूंढने के लिए कोशिश जारी हैं लेकिन जंगल में जाकर इस तरह की नई प्रजाति ढूंढना अपने आप में अलग बात है। न्यूयॉर्क में अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में स्तनधारियों की क्यूरेटर नैंसी सीमंस कहती हैं कि यह एक ऐसी चीज है जिसकी हम पहचान नहीं कर सकते।
नई प्रजाति की नर-मादा चमगादड़ ढूंढी
इस चमगादड़ की नई प्रजाति का नाम मायोटिस निंबेन्सिस है और यह गिनी के निम्बा पहाड़ों पर रहते हैं। इस चमगादड़ की सटीक जांच के लिए वैज्ञानिकों ने इस नई प्रजाति के एक नर और एक मादा प्रजाति को भी पकड़ा। आनुवंशिक विश्लेषण से यह सामने आया है कि यह नारंगी चमगादड़ अपने निकटतम रिश्तेदारों से एकदम अलग हैं। इसे नई प्रजाति घोषित करने में यह पहला कदम था। एक तरह से यह काले पंख वाले आम चमगादड़ की तरह दिखता है लेकिन इसके नारंगी रंग ने इसे चर्चित कर दिया है।
सड़क चोरी की अनोखी शिकायत सीएसपी से की, कहा कि रात में सड़क बनी फिर सुबह गायब हो गई
रायगढ़। सड़क चोरी होने की की अनोखी शिकायत सीएसपी से की गई है। शिकायत में कहा गया है कि रात में सड़क बनी फिर सुबह गायब हो गई। पता लगाएं कि आखिर सड़क कहाँ गई ?
सड़क की चोरी वो भी एक सप्ताह में दो बार ! जी हां, सड़क चोरों ने यह कारनामा छत्तीसगढ़ के रायगढ जिला मुख्यालय में कर दिखाया है। दरअसल पिछले हफ्ते यह सड़क रात में बनी और सुबह होते ही गायब हो गई ! सड़क के नाम से उखड़ी हुई बजरी का मलबा ही बचा था। बात मीडिया में आई तो कलेक्टर और विधायक जांच करने पहुंचे और सड़क दुबारा बनाने के निर्देश दिए। रात सड़क दुबारा बनी और सुबह होते होते फिर चोरी हो गई ! सड़क के नाम पर फिर वही बिखरा हुआ बजरी मलवा बचा है। अब देखना होगा कि पुलिस सड़क चोर को ढूंढ लेती है या फिर कलेक्टर और विधायक मौका मुआयना कर फिर से सड़क बनाने के निर्देश देंगे और अपना पुराना बयान दुहरायेंगे कि भ्रष्टाचार बर्दास्त नही किया जाएगा।
मजेदार वाकया रायगढ़ का है, जहां ढिमरापुर कोतरा रोड बाईपास मार्ग से लोग त्रस्त हैं। इस रास्ते पर इतनी धूल है कि जो उस सड़क से निकलता है धूल से लथपथ जाता है। इस सड़क की मरम्मत और निर्माण भी किया गया, लेकिन भाजयुमो नेता प्रवीण द्विवेदी का कहना है कि यदि सड़क बनी तो गई कहाँ ? क्या किसी ने चुरा लिया ? यदि चुराया है तो पुलिस खोजे।
इस सड़क की शिकायत के बाद कुछ दिन पहले सड़क निर्माण की बात सामने आई थी, लेकिन सड़क फिर से उखाड़ जाने पर स्थानीय विधायक और कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। लेकिन भाजयुमो नेता का कहना है कि उन्हें बताया गया कि कल ही इस सड़क का पुनः निर्माण किया गया। जब आज अपने समर्थकों के साथ उस सड़क को देखने पहुंचे तो वहां से सड़क नदारद थी।
लिहाजा भाजयुमो कार्यकर्ता प्रवीण द्विवेदी के नेतृत्व में नगर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे और सड़क चोरी की शिकायत कर दी। ऐसे में सीएसपी रायगढ़ क्या बोलते, लेकिन उन्हें आश्वासन देकर विदा किया। ज्ञापन देने वालों में प्रवीण द्विवेदी, जितेंद्र निषाद, रामजाने भारद्वाज, आकाश सोनी एवं अन्य शामिल थे।
इस जिले के एक गांव में नलकूप खनन से पानी की जगह निकल रही आग, यह देखकर लोग हुए हैरान
कोरिया । छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के एक गांव में नलकूप खनन से पानी की जगह आग निकल रही है। यह देखकर लोग हैरान है। जानकारों की माने तो जमीन के भीतर कोयले की आग या कोई ज्वलनशील गैस होने के कारण ऐसा हो रहा है। देर शाम तक बोर से आग की लपटें निकलती रहीं।
जानकारी के अनुसार केल्हारी के पास स्थित ग्राम पंचायत केवटी का गांव बिलोनीडांड़ में यह घटना सामने आई है। सुबह करीब 11 बजे नलकूप खनन शुरू हुआ, पहले 2 इंच पानी निकला, तब तक सब कुछ ठीक था, उसके 4 घंटे बाद उसी स्थान पर अचानक आग की लपटें निकलने लगी। इससे ग्रामीणों के साथ नलकूप खनन के लगे मजदूर भी हैरान रह गए।
बोर खनन वालों का कहना है कि यहां या तो किसी गैस का भंडार है या तेल का, तभी इतनी तेजी से आग जल रही है। नलकूप खनन में लगे ठेकेदार धनेन्द्र मिश्रा का कहना है कि यह हैरान कर देने वाली घटना सामने आई, बोर किए 4 घंटे बीत गए, उसके बाद अचानक बोरिंग वाले स्थान से आग की तेज लपटें आने लगी। शायद कहीं न कहीं कोई तेल का स्रोत है, तभी ऐसा हो रहा है।
छत्तीसगढ़ में दिखा दुर्लभ सफेद करैत सांप, लोगों के उड गए होश
उत्तरी छत्तीसगढ़ के लोगों के तब होश उड़ गए, जब उन्होंने खतरनाक करैत सांप को सहर लगाते हुए देखा। बताया गया कि यहां लोगों ने अब तक ऐसे सांप को नहीं देखा था, उनके लिए सांप काले रंग का ही था, लेकिन पहली बार सफेद करैत देख लोग हैरान रह गए। इसको लेकर स्नेक कैचर ने भी दावा कि छत्तीसगढ़ में ऐसे सांप आमतौर पर नजर नहीं आते हैं। यहां पहली बार दूधिया करैत सांप दिखने का दावा किया गया है।
अंबिकापुर के स्नेक कैचर सत्यम कुमार द्विवेदी ने बताया कि उन्हें स्थानिय लोगों द्वारा सफेद सांप की सूचना मिली, जहां संबंधित स्थान पर पहुंच इस सफेद दूधिया करैत सांप का रेस्क्यू किया गया। बताया गया कि आज तक सफेद करैत सांप देखने और सुनने को नहीं मिला। बता दें कि स्नेक कैचर सत्यम कुमार द्विवेदी ने इस प्रजाति के सर्प का रेस्क्यू सूरजपुर जिले के जयनगर गांव में किया।
सत्यम कुमार लगातार सांपों का रेस्क्यू कर रहे हैं। जहां कहीं भी सांप की सूचना होती है, जनता इस युवक से ही संपर्क करती है। देखा गया है कि सांप के रेस्क्यू में युवक द्वारा लोगों की काफी मदद की गई है। बताया गया कि सत्यम ने अभी तक लगभग 300 सांपों का रेस्क्यू किया है। हालांकि, इस सफेद करैत सांप का रेस्क्यू करना इतना आसान नहीं था, लेकिन सत्यम द्वारा जब सांप को पकड़ा गया तो यह काफी हैरान करने वाला था। सत्यम ने इस दूधिया करैत सांप को कुएं के नीचे जाकर पकड़ा। सत्यम ने बताया कि यह सर्प करैत प्रजाति का है।
छत्तीसगढ़ में चित्ती सांप के नाम से जाना जाता है सफेद करैत
मालूम हो कि छत्तीसगढ़ में इस प्रजाति के सर्प कम पाए जाते हैं। यह एल्बिनो करैत सर्प है जिसे गांव वाले चित्ती सांप कहते हैं। सफेद दूध की तरह दिखने वाला यह सांप भारत, बांग्लादेश और दक्षिणपूर्व एशिया में पाया जाता है। इंडियन करैत की औसत लंबाई तीन फुट होती है। अधिकतम लंबाई 1.75 5 फीट 9 इंच तक होती है। नर करैत की लंबाई अधिक होती है। छत्तीसगढ़ में इसकी पाए जाने की जानकारी वर्षों से नहीं मिली है।
काला करैत सैकड़ों जान का दुश्मन
बता दें कि छत्तीसगढ़ में काले करैत से हर कोई वाकिफ है। हर वर्ष यह सांप सैकड़ों लोगों की जान लेता है। मानसून शुरू होने के साथ ही यह सांप बिल से निकलता है और जमीन पर सोने वालों को डस लेता है।
एक एैसा पौधा जिसे छुने से जा सकती है जान
वैसे तो यह पौधा (Plant) देखने में इतना सुंदर लगता है कि अधिकांश लोगों का मन इसे छूने के लिए ललचा जाता है। इसे छूने के बाद ही 48 घंटे के अंदर इसके दुष्प्रभाव शरीर पर दिखने लगते हैं। वैज्ञानिको का मानना है कि यह पौधा सांप से भी ज्यादा जहरीला होता है। अगर आपने कभी इस पेड़ को स्पर्श कर दिया तो कुछ ही घंटों में आपको महसूस होगा कि आपकी पूरी त्वचा जलने लगी है। बता दें कि इस किलर ट्री की लंबाई अधिकतम 14 फीट तक होती है। ये पौधा ज्यादातर न्यूयार्क, पेंनसेल्वेनिया, ओहियो, मेरीलैण्ड, वाशिंगटन, मिशिगन और हेंपशायर में पाया जाता है।
इस पौधे को लेकर डॉक्टर्स (Doctors) का कहना है कि यदि कोई इस पौधे को स्पर्श कर ले तो उसकी आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी बढ़ जाता है। अभी तक इस पौधे से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कोई सटीक दवा भी नहीं बन पाई है। जाइंट होगवीड के जहरीले होने का कारण है इसके अंदर पाए जाना वाला सेंसआइजिंग फूरानोकौमारिंस नामक रसायन, जो इसे खतरनाक बनाती है, लेकिन इस पौधे की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड (Oxygen and carbon dioxide) को बैलेंस करने में अपनी अहम भूमिका निभाता हैं।
महिला को सांस लेने में हुई दिक्कत, फिर डॉक्टर भी देख हुए हैरान, जानिएं क्या है मामला
मॉस्को (एजेंसी)। आप लोग कभी न कभी अजीबो गरीब मामला सुना या देखा जरूर होगा। लेकिन आज हम आप लोगो को एक ऐसे अजीबो गरीब एवं बहुत ही खतरनाक घटना की जानकारी बता रहे है जिसको सुनकर अच्छों - अच्छों के पसीना छूट जाये।
सांप का नाम सुनते ही हाँथ पैर में सिहरन पैदा हो जाता है। सांप चाहे विषैला हो या विषहीन हम सब उनसे बहुत डरते है। जैसा की हम अचानक से सांप देखते है तो घबरा जाते है। लेकिन उनका क्या हुआ होगा जिनके मुंह में 4 फ़ीट लम्बा सांप घुस जाये। जानिए इस अजीबो गरीब मामले के बारे में यहाँ।
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल हो रहा वीडियो रूस का है, जहां एक महिला के मुंह में 4 फीट लंबा सांप घुस गया. दरअसल, दागिस्तान के लेवाशी गांव में रहने वाली एक महिला अपने गार्डन में सो रहीं थीं। सोते हुए उनका मुंह खुला हुआ था। उसी दौरान चार फीट लंबा सांप मुंह के रास्ते उनके शरीर के अंदर चला गया।
इसके बाद महिला को सांस लेने में काफी तकलीफ होने लगी और उन्हें अस्पताल में एडमिट कराया गया। जहां डॉक्टर्स ने एक ट्यूब के जरिये महिला के मुंह से 4 फीट लंबे सांप को निकाला। इलाज के दौरान वीडियो भी बनाया गया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में महिला ऑपरेशन थिएटर में बेहोश नजर आ रही हैं, जबकि डॉक्टर्स उसके मुंह के अंदर से सांप को बाहर निकालते नजर आ रहे हैं. ट्यूब के जरिये सांप को बाहर निकाला गया.
सांप को बाहर निकाले जाने पर डॉक्टर के चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा है. वह कुछ सेकेंड के लिए डर जाती हैं और फिर सांप को हाथों में लेकर बॉक्स में डाल देती हैं. इस घटना के सामने आने के बाद रूस के दागेस्तान में प्रशासन ने लोगों से घरों के बाहर सोने के लिए मना किया है. महिला दागेस्तान में लेवाशी गांव की है, जो एक पहाड़ी क्षेत्र है. गांव के स्थानीय लोगों ने कहा है कि यह एक विचित्र घटना है. इससे पहले उन्होंने इस तरह की घटना के बारे में कभी नहीं सुना.
एक फल के नीले रंग का अद्भुत रहस्य, जाने कहा से आता है ये रंग
युरोप में एक काफी लोकप्रिय झाड़ी है, लॉरस्टाइनस (विबर्नम टाइनस) और वहां कई बाग-बगीचों में शौक से लगाई जाती है। इसके चमकदार नीले फलों पर हर किसी की निगाहें ठहर जाती हैं। लेकिन युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की रॉक्स मिडलटन और उनके साथी इन फलों की रंगत के पीछे का कारण जानने को उत्सुक थे।
शोधकर्ताओं ने फलों की आंतरिक संरचना पता करने के लिए फल के ऊतक लिए और इनका अवलोकन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में किया। अब तक कई वैज्ञानिकों को लगता था कि अन्य नीले फलों (जैसे ब्लूबेरी) की तरह लॉरस्टाइनस के फलों का नीला रंग भी किसी नीले रंजक से आता होगा। लेकिन करंट बायोलॉजी में उक्त शोधकर्ताओं ने बताया है कि इन फलों में सिर्फ वसा की छोटी बूंदें कई परतों में इस तरह व्यवस्थित होती हैं कि वे नीले रंग को परावर्तित करती हैं। ऐसे रंगों को स्ट्रक्चरल कलर (यानी संरचनागत रंग) कहा जाता है जो किसी पदार्थ की उपस्थिति की वजह से नहीं बल्कि पदार्थों की जमावट के कारण पैदा होते हैं।
वसा की बूंदों के नीचे गहरे लाल रंजक की एक परत भी थीए जो किसी भी अन्य तरंग लंबाई के प्रकाश को सोख लेती है और नीले रंग को गहरा बनाती है। शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से इन निष्कर्षों की जांच की और दर्शाया कि वास्तव में स्ट्रक्चरल कलर लॉरस्टाइनस के फलों का नीला रंग बना सकता है।
संभावना है कि लॉरस्टाइनस फलों का चटख रंग पक्षियों को इनमें उच्च वसा मौजूद होने का संकेत देता हो।
वैसे तो स्ट्रक्चरल कलर के उदाहरण जानवरों में काफी दिखते हैं। जैसे मोर पंख और तितली के पंखों के चटख रंग। लेकिन पौधों में ऐसे रंग कम ही देखे गए हैं। और ऐसा पहली बार ही देखा गया है कि इन रंगों के लिए वसा ज़िम्मेदार है। शोधकर्ताओं को लगता है कि ऐसी व्यवस्था कई अन्य पौधों में भी हो सकती है और उनके बारे में पता लगाया जाना चाहिए।
बिच्छू के जहर से बनता है दवाई
आप माने ना माने पर वाकई एक जहर ऐसा है जिसकी एक लीटर की मात्रा 76 करोड़ के लगभग मिलती है। यानि अगर आपको करोड़ों रुपए कमाने हैं तो जहर का धंधा करना काफी मुफीद हो सकता है, पर ये आसान नहीं है, क्योकि इसके लिए एक खास नीले बिच्छू की जरूरत होती है। इस बिच्छू के जहर से विडसटाॅक्स नाम की दवाई बनाई जाती है और कैंसर के लाइलाज रोग को जड़ से खत्म करने वाली इस दवाई को क्यूबा में चमत्कारी दवा कहा जाता है।
मंहगे जहरों की कहानी और उनका दवाइयों में इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। हांलाकि इस समय इसके चर्चा में आने की वजह सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो है। अपनी पोस्ट के साथ इसे हेशम अल-गलील नाम के फेसबुक पेज पर ये वीडियो डाला गया है। इसमें दी गई जानकारी के चलते ये देखते ही देखते वायरल हो गया है। इस पोस्ट को अब तक 40 मिलियन बार से ज्यादा देखा जा चुका है, और करीब 4 लाख 47 हजार लोगों ने इसे शेयर किया है। हेशम अल-गलील के फेसबुक पर लगभग 2,91,45,579 फॉलोअर्स हैं।
इस वायरल पोस्ट में बताया गया है बिच्छू के एक लीटर जहर की कीमत 75 करोड़ 86 लाख 22 हजार 362 है। यानि ये बिच्छू का जहर थाईलैंड के विश्व प्रसिद्ध किंग कोबरा के जहर से भी महंगा है। मतलब मंहगे जहर और भी हैं। किंग कोबरा के एक लीटर जहर की कीमत भारतीय मुद्रा में 30 करोड़ 24 लाख 540 रुपये है। बताया गया है कि बिच्छू के जहर में 50 लाख से भी ज्यादा ऐसे यौगिक मौजूद रहते हैं, जिन्हें पहचानना अभी बाकी है। इस रहस्य के खुलने के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में बिच्छू के जहर का महत्व आैर अधिक हो जायेगा आैर कर्इ दूसरे असाध्य रोगों की दवाइयां बन सकेगी एेसी संभावना है।
एक ग्रामीण के मकान में बड़ी तादाद में दिखें अजगर, गांव में मचा हडकंप
कोरबा। कोरबा के नक्तिखार ग्राम पंचायत के भालूसटका में उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक ग्रामीण के मकान में बड़ी तादाद में अजगर देखे गए। अजगर की सूचना मकान मालिक विवेक सिंह ने स्नेक रेस्क्यू की टीम को दी। मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम ने जब इतनी बड़ी तादाद में एक साथ अजगरों को देखा तो उनके भी पेशानी से पसीने टपकने लगे। टीम द्वारा सभी अजगरों का रेस्क्यू किया गया।स्नेक कैचर जितेंद्र सार्थी ने बताया कि घंटों मशक्कत के बाद खोदाई कर एक मादा अजगर के साथ 13 बेबी स्नेक साथ मिले। घटना की सूचना वन विभाग को दी गई है।
प्रकृति का अजुबा : एक बकरी ने दो सिर वाले बच्चे को दिया जन्म
अंबिकापुर। प्रकृति अजूबों से भरी पड़ी है. प्रकृति ने एक अजूबा अंबिकापुर के ग्राम चठीरमा में भी दिखाया है, जहां एक बकरी ने दो सिर वाले बच्चे को जन्म दिया है.
इस बकरे की तीन कान, चार आंखें हैं. बकरी दोनों सर से दूध पीती है और दोनों ही मुंह से आवाज निकालता है.
अंबिकापुर के चठीरमा निवासी देवशरण राम पंडा के घर में 2 दिन पहले जन्मे बकरी के बच्चे को देखने लोग काफी दूर से पहुंच रहे हैं. बकरी के मालिक देव शरण का कहना है कि यह अजूबा ही है. अब बकरे के देखभाल की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकिं भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी समस्या आ सकती है.