
रायपुर। नवंबर 2025 में अपने गठन के 25 साल पूरे करने वाला छत्तीसगढ़ राज्य विकास, पर्यावरण संरक्षण और नागरिकों की आजीविका को बेहतर बनाने में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कर चुका है। राज्य का यह सफर विशेष रूप से ग्रामीण और वन क्षेत्रों के लोगों के जीवन में खुशहाली और सकारात्मक बदलाव लाया है।
वनोपज से वनवासियों की आय और सुरक्षा में वृद्धि
राज्य की सबसे बड़ी सफलता लघु वनोपज (Minor Forest Produce) के प्रबंधन और मूल्य निर्धारण के क्षेत्र में देखी गई है।
तेंदूपत्ता का मूल्य: वर्ष 2000 में तेंदूपत्ता के एक मानक बोरे का मूल्य मात्र 400 रुपये था, जो अब बढ़कर 5,500 रुपये हो गया है।
समर्थन मूल्य पर खरीद: पहले जहाँ केवल 7 प्रकार की लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदा जाता था, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 67 हो गई है।
इन कदमों से वन में रहने वाले समुदायों की आय और आर्थिक सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
वन धन विकास योजना और महिला सशक्तिकरण
वन धन विकास योजना ने इस दिशा में एक नई गति प्रदान की है।
इस योजना के तहत, 190 स्व-सहायता समूहों से जुड़ी 2,364 महिलाओं को वनोपज के संग्रहण और प्रसंस्करण से नियमित रोज़गार मिला है।
पारदर्शिता और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती: संग्राहकों को अब तक 190 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के माध्यम से उनके बैंक खातों में भेजी गई है, जिससे पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता आई है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।
जल संरक्षण और पर्यावरण पर्यटन (ईको टूरिज्म) को बढ़ावा
आजीविका को समर्थन देने के साथ-साथ जल संरक्षण और ईको टूरिज्म ने भी विकास की नई राहें खोली हैं।
नरवा उपचार योजना: इस पहल के अंतर्गत राज्य में 7 लाख से अधिक जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे लगभग 15 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सुधार हुआ है।
रोज़गार और भूजल स्तर: इन कार्यों से 40 करोड़ रुपये से अधिक का रोज़गार उत्पन्न हुआ है और भूजल स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जिससे किसानों की खेती अधिक लाभदायक बन गई है।
आईएसएफआर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, इन सतत प्रयासों के कारण राज्य में मृदा नमी (soil moisture) और वन घनत्व (forest density) दोनों में सुधार दर्ज किया गया है।
पर्यटन से स्थानीय रोज़गार के अवसर
ईको टूरिज्म को राज्य में रोज़गार का एक नया ज़रिया बनाया गया है।
प्रमुख स्थलों का विकास: प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात के पास नेचर ट्रेल, मिनी गोवा और खुर्साकोटा जैसे कई पर्यटक स्थलों को विकसित किया जा रहा है।
इस विकास से स्थानीय युवाओं को रोज़गार के अवसर मिल रहे हैं और इन क्षेत्रों की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है।
हरित विकास में किसानों की भागीदारी और वन क्षेत्र में वृद्धि
राज्य के किसान भी हरित विकास में सक्रिय भागीदार बने हैं।
वृक्षारोपण: अब तक 19 हज़ार से अधिक किसानों ने गैर-वन भूमि पर लगभग 2 करोड़ 42 लाख पौधे लगाए हैं।
इन सामूहिक प्रयासों का परिणाम यह है कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में 94.75 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है।
निष्कर्ष: प्रकृति और मानव कल्याण का सुदृढ़ संतुलन
छत्तीसगढ़ की यह 25 वर्षों की विकास यात्रा स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि राज्य ने प्रकृति की सुरक्षा और मानव कल्याण के बीच एक सुदृढ़ संतुलन स्थापित किया है। यह वास्तव में हरियाली और खुशहाली की दिशा में आगे बढ़ने की एक प्रेरणादायक कहानी है।
















