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योग का एक महत्वपूर्ण अंग है प्राणायाम, जानिए प्रकार और इसके फायदे

नई दिल्ली (एजेंसी)। प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो श्वास-प्रश्वास की विभिन्न तकनीकों पर आधारित है। प्राणायाम का अर्थ है “प्राण” (जीवन शक्ति) और “आयाम” (नियंत्रण)। यह श्वास के माध्यम से जीवन शक्ति को नियंत्रित करने का एक साधन है। प्राणायाम के अनेक प्रकार होते हैं, जिनका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारना होता है। इन्हें सही विधि और अनुशासन के साथ अभ्यास करने पर संपूर्ण स्वास्थ्य में लाभ मिलता है।

बच्चे, युवा, वयस्क और बुजुर्ग सभी प्राणायाम का अभ्यास कर सकते हैं। यह किसी भी आयु वर्ग के लिए उपयुक्त है। जो लोग ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं, उनके लिए प्राणायाम एक आवश्यक हिस्सा है, क्योंकि यह ध्यान की गहराई को बढ़ाता है। प्राणायाम के कई प्रकार हैं। अलग-अलग प्राणायाम के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इस लेख में जानिए प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं और सभी के अभ्यास का सही तरीका व फायदे।

अनुलोम विलोम प्राणायाम

यह प्राणायाम नासिकाओं के माध्यम से श्वास लेने और छोड़ने की प्रक्रिया है, जो मानसिक संतुलन और शांति प्रदान करती है।

कपालभाति प्राणायाम

इसमें तेजी से श्वास को बाहर निकालते हैं और पेट की मांसपेशियों को संकुचित करते हैं। यह शुद्धि और ऊर्जा को बढ़ावा देने वाला प्राणायाम है। कपालभाति का अभ्यास शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।

भस्त्रिका प्राणायाम

इसमें तेजी से और गहराई से श्वास लेना और छोड़ना शामिल है। यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जावान बनाता है।

भ्रामरी प्राणायाम

इसमें श्वास छोड़ते समय भौंरे की गूंज जैसी ध्वनि निकालनी होती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

उज्जायी प्राणायाम

इसमें गले से एक हल्की सी घुरघुराहट की आवाज निकालते हुए श्वास लेना और छोड़ना होता है। यह शांति और ध्यान में सहायक होता है।

शीतली प्राणायाम

इसमें जीभ को मोड़कर श्वास लेना और नाक से श्वास छोड़ना होता है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और गर्मी के मौसम में लाभकारी होता है। यह श्वसन प्रणाली को शुद्ध करता है और मानसिक एकाग्रता व धैर्य को बढ़ाता है।

शीतकारी प्राणायाम

इसमें दाँतों के बीच से श्वास लेना और नाक से श्वास छोड़ना होता है। यह भी शीतली प्राणायाम की तरह ठंडक प्रदान करता है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम

यह प्राणायाम नाड़ियों की शुद्धि के लिए किया जाता है और इसमें अनुलोम-विलोम जैसी तकनीक होती है, लेकिन यह ज्यादा ध्यान और शांति प्रदान करने वाला होता है।

सूर्य भेदी प्राणायाम

इसमें केवल दाईं नासिका से श्वास लेना और बाईं नासिका से छोड़ना होता है। यह शरीर को गर्मी और ऊर्जा प्रदान करता है।

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