छत्तीसगढ़

बोलबम के जयघोष से गूंजा भिलाई-चरोदा, कांवड़ियों ने देवबलोदा शिव मंदिर में किया जलाभिषेक

भिलाई। सावन मास की पवित्रता और शिवभक्ति में डूबे भिलाई-चरोदा क्षेत्र में रविवार को विशाल कांवड़ यात्रा का आयोजन किया गया। “बोलबम” के जयघोष और डमरू की गूंज के साथ हजारों शिवभक्तों ने नंगे पांव 10 किलोमीटर की दूरी तय कर देवबलोदा महादेव मंदिर में जलाभिषेक कर शिव कृपा का आशीर्वाद लिया।

यह यात्रा नगर निगम भिलाई-चरोदा के वार्ड 21 चरोदा बस्ती स्थित प्राचीन कुएं से प्रारंभ हुई, जहाँ से कांवड़िए पवित्र जल लेकर निकले। यात्रा का नेतृत्व महापौर निर्मल कोसरे और सभापति कृष्णा चंद्राकर ने किया। श्रद्धालुओं के उत्साह और भक्ति भाव ने पूरे शहर को भक्तिमय बना दिया।

भव्य झांकियां और उत्साहजनक माहौल

इस कांवड़ यात्रा में भगवान शिव की सुंदर झांकियों ने विशेष आकर्षण बटोरा। घंटे, घड़ियाल, शिव भजन, और बोलबम के नारों ने पूरे मार्ग को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सभी ने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।

सामूहिक सहयोग और स्वागत

कांवड़ियों के स्वागत में नगरवासी भी पीछे नहीं रहे। छत्तीसगढ़ युवा कांग्रेस के प्रदेश सचिव नजरूल ने चरोदा में कांवरियों पर फूल वर्षा कर फलाहार वितरण किया। सुजीत बघेल के नेतृत्व में मुस्लिम समाज द्वारा भी सिरसा गेट पर फल और जल सेवा की गई। अन्य कई स्थानों पर फलाहार वितरण और पुष्पवर्षा से श्रद्धालुओं का स्वागत किया गया।

सामाजिक समरसता का संदेश

यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं थी, बल्कि सामाजिक सौहार्द और एकता का भी प्रतीक बनी। सभी समुदायों की सहभागिता ने इस आयोजन को यादगार बना दिया।

इस आयोजन में सैकड़ों श्रद्धालुओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही, जिनमें सुजीत बघेल, मोहन साहू, पप्पू चंद्राकर, अशफाक अहमद, दीपेश साहू, दीप्ति वर्मा, मनीष वर्मा, तामेश्वरी साहू, संतोष तिवारी, बीएन राजू, नजरूल इस्लाम, तौहीद खान, लावेश मदनकर, धर्मेंद्र कोसरे, संजय यादव सहित अनेक लोग शामिल रहे।

देवबलोदा मंदिर में समापन

कांवड़ यात्रा का समापन देवबलोदा स्थित ऐतिहासिक महादेव मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ हुआ। श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ से प्रदेश की खुशहाली, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।

भिलाई-चरोदा की यह कांवड़ यात्रा एक बार फिर यह सिद्ध कर गई कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति भक्ति, एकता और सामाजिक समरसता की मिसाल है।

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