भूपेश-चैतन्य को सुप्रीम कोर्ट से झटका: याचिका पर सुनवाई से इनकार, हाईकोर्ट जाने की सलाह

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला। दोनों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है।
भूपेश और चैतन्य ने सीबीआई और ईडी की जांच की वैधता और अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए रिट याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि “गिरफ्तारी जैसे मामलों में पहले हाईकोर्ट जाना जरूरी है, सीधे सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकते।”
चैतन्य को 14 दिन की न्यायिक रिमांड
सुनवाई के दिन ही ईडी की रिमांड खत्म होने के बाद चैतन्य बघेल को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया। चैतन्य को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
क्या कहा कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए संविधानिक प्रक्रिया का पालन आवश्यक है। पहले हाईकोर्ट में अपील करें, फिर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से कौन-कौन उतरे?
चैतन्य बघेल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल और विवेक तनखा ने पैरवी की। उन्होंने गिरफ्तारी को “मनमानी और कानून विरुद्ध” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका दाखिल की थी। लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना उचित नहीं है।
हाईकोर्ट से जल्द निर्णय का निर्देश
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से इस मामले पर जल्द सुनवाई करने को कहा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई और कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट में लड़ी जाएगी।
यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा रहा है, जहां भूपेश बघेल के खिलाफ ईडी की सक्रियता और बेटे की गिरफ्तारी ने कांग्रेस खेमे में असहजता बढ़ा दी है। अब सबकी नजरें हाईकोर्ट की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।