नई ऊँचाइयों पर सोना-चांदी : रिकॉर्डतोड़ कीमतों के पीछे क्या है कारण?

नई दिल्ली (एजेंसी)। इस वर्ष सोने और चांदी के मूल्यों ने पिछले सभी कीर्तिमानों को तोड़ दिया है। सोने का भाव 1.23 लाख रुपये और चांदी की कीमत 1.57 लाख रुपये के नए शिखर पर पहुँच गई है। विशेषज्ञों ने पहले ही यह अनुमान लगाया था कि इस दीवाली तक सोना सवा लाख रुपये के स्तर को छू लेगा, और यह इसके बेहद नज़दीक पहुँच चुका है। इस अभूतपूर्व तेज़ी से सोने-चांदी में निवेश करने वालों के लिए दीवाली का पर्व 15 दिन पहले ही शुरू हो गया है।
अगला लक्ष्य 1.45 लाख रुपये
गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि सोने में यह तेज़ी बरकरार रहती है, तो वैश्विक बाज़ार में इसके मूल्य जल्द ही 4500 डॉलर तक पहुँच सकते हैं। भारत में, यह मूल्य 1.45 लाख रुपये के आसपास होगा।
इस वर्ष 55 प्रतिशत से अधिक की उछाल
1 जनवरी 2025 को सोने की कीमत 77,600 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। इसमें अब तक 45,700 रुपये का उछाल आ चुका है, जिसका अर्थ है कि इसने निवेशकों को 55 प्रतिशत से अधिक का लाभ दिया है। इसकी कीमतों में सबसे तेज़ वृद्धि सितंबर के महीने में दर्ज की गई। सितंबर से अब तक इसके दाम 25,300 रुपये बढ़ चुके हैं। वहीं, 2025 की पहली छमाही में इस बहुमूल्य धातु ने निवेशकों को लगभग 27 प्रतिशत का रिटर्न दिया था। 30 जून को इसके दाम 97,583 रुपये तक पहुँच गए थे।
पिछले 20 वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि
सोने की कीमतों में पिछले दो दशकों (20 वर्षों) में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है। 2005 के 7,000 रुपये से बढ़कर सोना 2025 में 1,23,300 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। यह वृद्धि 1661 प्रतिशत से भी अधिक की है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में, सोने का भाव 3970 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार सोने के मूल्यों में वृद्धि के पीछे सिर्फ महंगाई या सामान्य ख़रीदारी नहीं, बल्कि बड़े वैश्विक कारण हैं। वर्तमान परिस्थितियाँ संकेत देती हैं कि सोने की तेज़ी का यह सफ़र और लंबा चल सकता है, जिससे निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों की रुचि बनी हुई है।
सोने और सेंसेक्स की तुलनात्मक चाल
वर्ष सोना (रु. प्रति 10 ग्राम) सेंसेक्स (अंक)
2005 7,000 8,000
2010 18,500 20,509
2015 26,000 26,117
2020 49,500 47,751
2024 73,250 74,850
2025 1,23,300 81,846
सोने में सुरक्षा का आकर्षण
निवेश बैंक गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के दौर में सोना एक सुरक्षित निवेश बना हुआ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरें घटाने का दबाव और डॉलर पर कम होते भरोसे जैसी स्थितियों ने निवेशकों को अमेरिकी ट्रेजरी से पैसा निकालकर सोने में निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। अगर अमेरिकी ट्रेजरी से महज़ एक प्रतिशत राशि भी सोने में स्थानांतरित होती है, तो बढ़ती मांग के कारण सोने के मूल्यों में आगे भी भारी तेज़ी देखने को मिल सकती है।
चांदी ने भी भरी निवेशकों की झोली
सोने की तरह, चांदी के मूल्यों में भी इस वर्ष 75.47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। दिसंबर 2024 के अंत में चांदी 89,700 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर थी, जो अब उछलकर 1,57,400 रुपये प्रति किलो (सभी करों सहित) के नए उच्चतम स्तर पर पहुँच गई है। पिछले शुक्रवार को पहली बार चांदी के दाम 1.50 लाख रुपये तक पहुँचे थे। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में चांदी एक प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ 48.75 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही है।
सोने-चांदी में तेज़ी के मुख्य कारण
सुरक्षित निवेश और औद्योगिक मांग में वृद्धि से सोने और चांदी के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
मुद्रास्फीति (Inflation) के ख़िलाफ़ बचाव के रूप में सोने की मांग बढ़ी है, ख़ासकर उभरते बाज़ारों में।
केंद्रीय बैंकों ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने की ख़रीद बढ़ा दी है।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गई है।
सौर पैनल (Solar Panel) और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों में चांदी की मांग में भारी वृद्धि हुई है।