छत्तीसगढ़

जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कृत संकल्पित, डेढ़ माह तक मनेगा करमा महोत्सव

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी कला, संस्कृति और परंपराओं की विविधताओं से भरपूर है। यहां की जनजातीय संस्कृति, लोक नृत्य, लोकगीत और पारंपरिक त्योहारों की ख्याति न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में, पूरे राज्य में वर्ष 2025 में भव्य करमा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

चार चरणों में होगा महोत्सव, बिखरेगी सांस्कृतिक छटा

यह कार्यक्रम लगभग डेढ़ माह तक चलेगा और इसे चार चरणों में आयोजित किया जाएगा। इसकी शुरुआत ग्राम स्तर पर 1 अक्टूबर से हो चुकी है, जिसका समापन राज्य स्तर पर 15 नवंबर को होगा। इस महोत्सव में राज्य के अनुसूचित क्षेत्र, माडा पॉकेट क्षेत्र, और विशेष रूप से सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग के गांव शामिल होंगे।

सरगुजा संभाग के जिले: सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, सूरजपुर, कोरिया, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर।
बिलासपुर संभाग के जिले: बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़।

आयोजन का चरणबद्ध कार्यक्रम

करमा महोत्सव को ग्राम पंचायत स्तर, विकासखंड, जिला और राज्य स्तर पर आयोजित किया जाएगा।

स्तर अवधि

ग्राम स्तर 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक
विकासखंड स्तर 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक
जिला स्तर 1 नवंबर से 7 नवंबर तक
राज्य स्तर 8 नवंबर से 15 नवंबर तक

करमा महोत्सव में करमा नृत्य, करमा गीत, जनजातीय लोक गायकों का प्रदर्शन, और पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया जाएगा।

वित्तीय सहायता: ग्राम स्तरीय आयोजन के लिए प्रति ग्राम 2 हजार रुपये, विकासखंड स्तरीय कार्यक्रम के लिए प्रति विकासखंड 1 लाख रुपये, जिला स्तरीय कार्यक्रम हेतु 5 लाख रुपये, और राज्य स्तरीय कार्यक्रम के लिए बजट की उपलब्धता के आधार पर राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

नर्तक दलों का चयन: विकासखंड स्तर पर चयनित 02 करमा नर्तक दलों को जिला स्तर पर और जिला स्तर से चयनित 01 दल को राज्य स्तर पर प्रस्तुति के लिए भेजा जाएगा।

पुरस्कार राशि और प्रोत्साहन

महोत्सव में भाग लेने वाले नर्तक दलों को विभिन्न स्तरों पर पुरस्कृत किया जाएगा:

स्तर प्रथम पुरस्कार द्वितीय पुरस्कार तृतीय पुरस्कार सांत्वना पुरस्कार
जिला स्तर 50 हजार रुपये 25 हजार रुपये 15 हजार रुपये 10,000 रुपये
राज्य स्तर 02 लाख रुपये 01 लाख रुपये 50 हजार रुपये 25 हजार रुपये

राज्य स्तरीय करमा महोत्सव के आयोजन स्थल का निर्धारण बाद में किया जाएगा।

करमा महोत्सव का समन्वय और प्रस्तुति नियम

करमा महोत्सव 2025 का आयोजन संचालक, आदिम जाति अनुसंधान तथा प्रशिक्षण संस्थान, नवा रायपुर के समन्वय और मार्गदर्शन में किया जाएगा। मुख्य कार्यक्रमों के साथ-साथ विभिन्न चरणों में जनजातीय लोक गायकों की प्रस्तुति और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

नृत्य दल का चयन: प्रत्येक ग्राम की करमा नृत्य दल का चयन ग्राम स्तर पर होगा। हर ग्राम पंचायत केवल एक दल को ही विकासखंड स्तर के लिए चुनेगी।

समय सीमा: जिला एवं राज्य स्तर पर प्रदर्शन के लिए प्रत्येक करमा नृत्य दल के लिए अधिकतम 15 मिनट का समय निर्धारित है।

पोशाक: राज्य स्तर पर प्रदर्शन करने वाले प्रत्येक करमा नृत्य दल को पारंपरिक वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के साथ प्रस्तुति देनी होगी।

व्यवस्था: महोत्सव में शामिल होने वाले जिले और प्रदेश स्तर के महिला और पुरुष प्रतिभागियों के लिए परिवहन, भोजन और आवास की उचित व्यवस्था की जाएगी।

करम वृक्ष: आस्था और संस्कृति का प्रतीक

करमा महोत्सव मनाने का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों के त्योहारों और उनकी संस्कृति को संरक्षित करना है। करम उत्सव, सेंदा दो नृत्य और अन्य स्थानीय नृत्यों के माध्यम से जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को उनके मूल स्वरूप में अगली पीढ़ी तक पहुंचाना और उनका दस्तावेजीकरण करना है।

करम का अर्थ: करम को विशेष प्रकार का पूजनीय और मनोकामना पूर्ण करने वाला वृक्ष माना जाता है। करमा डाल को करम राजा (अर्थात् देवता) और करम सेनी (अर्थात् देवी) के नाम से पुकारा जाता है।

पूजन: सरगुजा संभाग के सभी जिलों में इसे देवता के रूप में और रायगढ़ जिले में देवी के रूप में पूजा जाता है।

उद्देश्य: इस त्योहार के माध्यम से जनजातीय संस्कृति, उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों और कला को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है।

राज्य में करम उत्सव को विभिन्न उद्देश्यों के साथ अगस्त-सितंबर (भादो) से अक्टूबर-नवंबर (कार्तिक) माह तक सरगुजा संभाग के जिलों और रायगढ़, महासमुंद, कोरबा, बिलासपुर एवं गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में स्थानीय जनजातीय समूहों द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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