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अमेरिकी बाजार में भारतीय IT फर्मों के सामने नई चुनौती : बौद्धिक संपदा अधिकार का बढ़ता खतरा

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियां अब अपने काम के तरीके में एक बड़ा परिवर्तन देख रही हैं. वे अब केवल बाहरी स्रोत से (Outsourcing) सेवाएँ देने वाली कंपनी नहीं रहीं, बल्कि स्वयं के सॉफ्टवेयर उत्पाद, नए प्लेटफॉर्म और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित समाधान भी विकसित कर रही हैं. यह बदलाव प्रगति का संकेत है, लेकिन इसके साथ ही बौद्धिक संपदा (Intellectual Property/IP) के उल्लंघन से जुड़े कानूनी जोखिम भी बढ़ रहे हैं, खासकर अमेरिका जैसे कठोर कानूनी ढांचे वाले देशों में.

हाल ही का एक मामला इस खतरे को स्पष्ट करता है: अमेरिका की दो फर्मों, नैटसॉफ्ट और अपड्राफ्ट ने भारत की हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज के खिलाफ $500 मिलियन (लगभग ₹4,000 करोड़) का मुकदमा दायर किया है. उनका आरोप है कि हेक्सावेयर ने उनके सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है. यह घटना दर्शाती है कि जैसे-जैसे भारतीय IT कंपनियाँ नवाचार (Innovation) की तरफ कदम बढ़ा रही हैं, वैसे-वैसे कानूनी विवादों का सामना करने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.

भारत की IT इंडस्ट्री के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाज़ार है, लेकिन यहीं पर कंपनियों को सबसे अधिक कानूनी जोखिम का सामना करना पड़ता है. अमेरिकी कानूनी प्रणाली बेहद सख्त है, और पेटेंट या सॉफ्टवेयर के दुरुपयोग के आरोपों के कारण कंपनियों को भारी हर्जाना चुकाना पड़ सकता है. इस वजह से वहाँ की अदालतों में मुकदमों का सामना करना भारतीय फर्मों के लिए बेहद महंगा और खतरनाक साबित हो सकता है.

उद्योग विशेषज्ञों का मत है कि भारतीय IT कंपनियाँ अब सॉफ्टवेयर लाइसेंसिंग, कोड के स्वामित्व (Code Ownership) और AI टेक्नोलॉजी पर अपना अधिकार स्थापित करने का प्रयास कर रही हैं. हालाँकि, कई बार पुराने ग्राहकों, साझेदारी समझौतों या ओपन-सोर्स कोड के इस्तेमाल से जुड़े नियम अस्पष्ट रह जाते हैं, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं. अमेरिका में कंपनियाँ बिना देर किए कानूनी कार्रवाई शुरू कर देती हैं, जिसका सीधा असर प्रोजेक्ट्स पर पड़ता है और कंपनी की बाज़ार में साख को भी नुकसान पहुँचता है.

जानकारों के अनुसार, इन कानूनी पचड़ों से बचने के लिए कंपनियों को ‘ड्यू डिलिजेंस’ (Due Diligence) यानि उचित जाँच-पड़ताल की प्रक्रिया को मजबूत बनाना चाहिए. इसके अलावा, कर्मचारियों और ठेकेदारों के साथ स्पष्ट और मजबूत अनुबंध (Contracts) तैयार करने चाहिए और AI एवं सॉफ्टवेयर उत्पादों से जुड़े सभी दस्तावेज़ों को पूरी तरह से व्यवस्थित रखना चाहिए.

यह साफ है कि टेक्नोलॉजी में प्रगति केवल नए आविष्कार से नहीं होती, बल्कि कानूनी ज़िम्मेदारियों और सुरक्षा उपायों को साथ लेकर चलने से होती है. हेक्सावेयर का मामला एक चेतावनी है, जो बाकी सभी भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ा सबक है. जैसे-जैसे भारतीय IT कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर उत्पाद विकसित कर रही हैं, उन्हें यह समझना होगा कि उनके कोड की हर एक लाइन कानूनी जोखिम भी पैदा कर सकती है.

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