पाकिस्तान-अफगानिस्तान शांति वार्ता का तीसरा दौर भी बेनतीजा

नई दिल्ली (एजेंसी)। :पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति स्थापित करने की कोशिशों को तीसरा झटका लगा है। 6 नवंबर को शुरू हुई यह बातचीत किसी समझौते पर पहुंचे बिना ही समाप्त हो गई। वार्ता खत्म होने के बाद, दोनों ही देशों ने एक-दूसरे पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री, ख्वाजा आसिफ, ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल चौथे दौर की बातचीत की कोई योजना नहीं है।
बातचीत गतिरोध में, पाकिस्तान की मांग
रक्षा मंत्री आसिफ ने स्थिति को “पूरी तरह से गतिरोध” बताते हुए कहा कि बातचीत अनिश्चितकालीन रुकावट में चली गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान केवल औपचारिक, लिखित समझौते को ही स्वीकार करेगा, जबकि अफगान पक्ष “मौखिक आश्वासन” देना चाहता था, जो कि अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं के मानकों के विपरीत है।
पाकिस्तान की मुख्य और एकमात्र मांग यह है कि अफगानिस्तान यह सुनिश्चित करे कि उसकी भूमि का इस्तेमाल पाकिस्तान पर किसी भी तरह के हमले के लिए न हो।
आसिफ ने चेतावनी दी कि अगर अफगानिस्तानी जमीन से कोई हमला होता है, तो पाकिस्तान उसका जवाब देगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि “जब तक कोई आक्रमण नहीं होगा, युद्धविराम बरकरार रहेगा।”
पाकिस्तान अपनी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध
पाकिस्तान के सूचना मंत्री, अताउल्लाह तरार, ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “पाकिस्तान अफगान लोगों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं रखता।” हालांकि, उन्होंने कहा कि “हम ऐसे किसी भी कदम का समर्थन नहीं करेंगे, जो अफगान लोगों और पड़ोसी देशों के हितों के लिए हानिकारक हो।” तरार ने दोहराया कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और संप्रभुता की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
तालिबान ने भी दी पलटवार की चेतावनी
तालिबान सरकार के प्रवक्ता, जबीहुल्लाह मुजाहिद, ने भी पाकिस्तान को चेतावनी भरा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि पाकिस्तान व्यावहारिक और लागू करने योग्य शर्तें रखेगा, जिससे समस्या का समाधान निकाला जा सके।
मुजाहिद ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी पक्ष ने सारी जिम्मेदारी अफगान पक्ष पर डालने की कोशिश की और खुद “कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हुआ,” और उनका रवैया “गैर-जिम्मेदाराना” रहा। उन्होंने पाकिस्तानी लोगों को “भाई और दोस्त” बताया, लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया कि “किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।”
पिछली वार्ताएं भी रहीं असफल
यह गतिरोध नया नहीं है। इससे पहले, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तुर्की में 25 से 30 अक्टूबर तक दूसरे दौर की वार्ता हुई थी, जिसमें किसी भी बड़े मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी। उस बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में दोनों पक्ष सिर्फ “युद्धविराम बनाए रखने,” “निगरानी और सत्यापन तंत्र स्थापित करने” और “उल्लंघन पर दंड देने” पर सहमत हुए थे। इससे पहले कतर में भी दोनों देशों में बातचीत हुई थी।
















