
पिच विवाद: गंभीर को मिला पूर्व क्रिकेटर का साथ, आलोचकों को खरी-खरी
स्पोर्ट न्युज (एजेंसी)। भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेला गया पहला टेस्ट मैच खत्म होने के बाद से ही क्रिकेट जगत में पिच को लेकर जोरदार बहस छिड़ी हुई है। भारतीय बल्लेबाजों का 124 रनों के मामूली लक्ष्य का पीछा करते हुए जल्दी आउट हो जाना और मैच का सिर्फ तीन दिन में खत्म हो जाना, दोनों ही बातों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कई पूर्व क्रिकेट विशेषज्ञों ने विकेट के मिजाज पर सवाल उठाए और इसके लिए टीम मैनेजमेंट को जिम्मेदार ठहराया।
इस बीच, भारतीय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने अपने बयान में कहा कि टीम को वही विकेट मिला था जिसकी उन्होंने मांग की थी, और पिच में ऐसी कोई कमी नहीं थी जिसे ‘खेलने लायक नहीं’ कहा जाए।
जहां एक तरफ पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने पिच के चयन पर प्रबंधन की आलोचना की, वहीं दूसरी तरफ पूर्व भारतीय क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा ने मजबूती से गंभीर का समर्थन किया। उथप्पा ने साफ शब्दों में कहा कि हार के लिए सीधे तौर पर कोच को जिम्मेदार ठहराना सरासर गलत है। एक लाइव चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, “कोच थोड़ी जा कर खेल रहा है अंदर।” उथप्पा ने यह भी स्पष्ट किया कि केवल नतीजों के आधार पर कोच पर दोष मढ़ना ठीक नहीं है।
उथप्पा ने आलोचकों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब राहुल द्रविड़ जैसे महान खिलाड़ी को भी सवालों के घेरे में लाया जा सकता है, तो किसी भी कोच पर ऑनलाइन तंज कसना अब आम बात हो गई है। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि इतने हज़ार अंतर्राष्ट्रीय रन बनाने वाले दिग्गज पर भी लोग उंगलियाँ उठाते हैं। उथप्पा ने कहा, “हम केवल नतीजों को देखकर कोच को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि हमें पूरी तस्वीर देखनी चाहिए। जब उन्होंने राहुल द्रविड़ की आलोचना की, तो मुझे यह बात समझ नहीं आई। 20-30 हज़ार अंतर्राष्ट्रीय रन बनाना कोई आसान काम नहीं है। इसलिए, अगर उन्हें ट्रोल किया जा सकता है, तो फिर तो किसी को भी किया जा सकता है।”
उथप्पा ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया। उन्होंने घरेलू (डोमेस्टिक) और अंतर्राष्ट्रीय पिचों के बीच दोहरे मानदंड पर सवाल खड़े किए। उन्होंने याद दिलाया कि घरेलू टूर्नामेंट्स में निष्पक्ष क्यूरेटर (न्यूट्रल क्यूरेटर) बुलाए जाते हैं ताकि पिचों के मिजाज को नियंत्रित किया जा सके। उनके अनुसार, अगर रणजी ट्रॉफी जैसे टूर्नामेंट में कोई मैच दो दिन में खत्म हो जाता है, तो ग्राउंड्समैन और संबंधित एसोसिएशन को फटकार लगाई जाती है। इसके विपरीत, अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अगर मैच ढाई दिन में खत्म हो रहे हैं, तो इन पर ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई जाती। उन्होंने कहा कि रणजी ट्रॉफी में आप इस तरह की पिचों को मंजूरी नहीं देंगे।















