बच्चों के भविष्य को स्वर्णिम बनाने की महती जिम्मेदारी शिक्षा विभाग पर : मुख्यमंत्री साय

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने हाल ही में मंत्रालय महानदी भवन में छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वाकांक्षी ‘अंजोर विजन 2047’ के तहत शिक्षा विभाग के लक्ष्यों की प्रगति और रूपरेखा पर एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की।
विकसित छत्तीसगढ़ की नींव: शिक्षा के लक्ष्य
बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने वर्ष 2030 तक के अल्पकालिक, 2035 तक के मध्यकालिक, और 2047 तक के दीर्घकालिक लक्ष्यों पर अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को एक ठोस कार्ययोजना तैयार करने और उसका त्वरित एवं प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
श्री साय ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य के क्रम में ही ‘अंजोर विजन’ के माध्यम से विकसित छत्तीसगढ़ की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति का सबसे मजबूत आधार शिक्षा है, क्योंकि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए दक्ष, कुशल और स्मार्ट बच्चे ही सक्षम होंगे।
मुख्यमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि प्रदेश में शिक्षकों की संख्या राष्ट्रीय औसत से बेहतर है और सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव ने इस अवसर पर प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विस्तृत जानकारी मुख्यमंत्री के सामने रखी।
शिक्षकों की भूमिका और शैक्षणिक नवाचार
मुख्यमंत्री श्री साय ने शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि एक शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को दृढ़ संकल्प के साथ निभाता है, तो बच्चों का भविष्य स्वर्णिम बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने को कहा:
शिक्षकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
प्रतिभाशाली शिक्षकों को नेतृत्व के अवसर प्रदान करना।
बेहतर अकादमिक माहौल विकसित करना।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने आंगनबाड़ी और बालवाड़ी के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा (ECCE) को मजबूत करने और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिया।
अंजोर विजन 2047 के प्रमुख लक्ष्य
बैठक में अंजोर विजन 2047 के अंतर्गत निर्धारित प्रमुख शैक्षणिक लक्ष्यों की समीक्षा की गई, जिनमें शामिल हैं:
1000 मॉडल स्कूलों की स्थापना।
स्कूल कॉम्प्लेक्स प्रणाली की शुरुआत।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्कूलों का प्रारंभ।
एआई-आधारित मूल्यांकन प्रणाली।
डिजिटल ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत पाठ योजनाएं।
शिक्षक प्रशिक्षण का उन्नयन।
STEM शिक्षा (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) का विस्तार।
तकनीकी शिक्षा और शून्य ड्रॉपआउट का लक्ष्य
STEM शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने साइंस सिटी की स्थापना, विज्ञान मेलों के आयोजन और एआई एवं रोबोटिक्स लैब शुरू करने पर विशेष बल दिया।
बैठक में वर्ष 2035 तक ड्रॉपआउट दर को शून्य करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर भी चर्चा हुई। अन्य विषयों में राज्य स्तरीय ECCE समिति का गठन, शिक्षकों की भर्ती, मूल्यांकन केंद्रों को सुदृढ़ करना, और आगामी तीन वर्षों के लक्ष्यों को निर्धारित कर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (CGBSE) की कार्यप्रणाली की भी समीक्षा की और निम्नलिखित सुधारों के निर्देश दिए:
हायर सेकेंडरी स्तर पर अतिरिक्त विषयों के विकल्प।
प्रतियोगी परीक्षाओं पर आधारित प्रश्न बैंक का निर्माण।
त्रुटिरहित मूल्यांकन व्यवस्था।
गोपनीय प्रश्नपत्रों के परिवहन हेतु ट्रैकिंग सिस्टम विकसित करना।
एनईपी 2020 की उपलब्धियाँ
बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत हुई उल्लेखनीय प्रगति को भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें नामांकन दर में वृद्धि, बालवाड़ी को स्कूली शिक्षा से जोड़ना, मातृभाषा-आधारित शिक्षण, ‘जादुई पिटारा’ एवं संवाद कार्यक्रम, इको क्लब की गतिविधियाँ, पीएम ई-विद्या के अंतर्गत डिजिटल प्रसारण, और व्यावसायिक शिक्षा के विस्तार जैसी उपलब्धियां शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अंजोर विजन 2047 के लक्ष्य छत्तीसगढ़ की आने वाली पीढ़ी को सशक्त, आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
बैठक में स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव, मुख्य सचिव श्री विकास शील, छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष श्रीमती रेणु पिल्लै, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह और सचिव श्री राहुल भगत सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
















