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सर्दियों में चाय की लत : कहीं यह आपकी सेहत पर भारी न पड़ जाए?

हेल्थ न्युज (एजेंसी)। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही भारत में चाय पीने का चलन कई गुना बढ़ जाता है। सुबह बिस्तर पर चाय, नाश्ते के साथ एक और कप, ऑफिस में छोटे ब्रेक पर चाय और फिर शाम की ठिठुरन दूर करने के लिए चाय – यह दिनचर्या लगभग हर भारतीय की होती है। एक दिन में 4 से 6 कप चाय का सेवन आम बात है। लेकिन यह आदत, जिसे लोग ठंड से राहत पाने का तरीका समझते हैं, वास्तव में सर्दियों में एसिडिटी (अम्लता) की समस्या को बढ़ा सकती है।

एसिडिटी बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान, दोनों इस बात की पुष्टि करते हैं कि ठंडे मौसम में चाय का अत्यधिक सेवन पेट में एसिड (अम्ल) के स्तर को तेज़ी से बढ़ाता है। हालाँकि, सर्दियों में हमारी पाचन शक्ति अक्सर मजबूत होती है, लेकिन चाय में पाए जाने वाले कैफीन और टैनिन पाचन प्रक्रिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।

इसका सीधा परिणाम सीने में जलन, पेट फूलना, खट्टे डकार आना, या मतली (जी मचलना) के रूप में सामने आता है। विशेष रूप से, खाली पेट चाय पीना पेट के लिए किसी “एसिड अटैक” से कम नहीं है। जो लोग सुबह उठते ही चाय पीते हैं, उन्हें यह समस्या सबसे अधिक झेलनी पड़ती है।

टैनिन का प्रभाव: बार-बार चाय पीने से पेट की अंदरूनी परत कमजोर हो जाती है। टैनिन इस परत को सुखा देते हैं, जिससे पेट का एसिड आसानी से जलन पैदा करने लगता है।

दूध और चीनी की भूमिका: दूध और चीनी से बनी बहुत कड़क (मजबूत) चाय एसिड के उत्पादन को और भी ज्यादा बढ़ा देती है।

इसका अर्थ यह नहीं है कि आपको चाय पीना पूरी तरह छोड़ देना चाहिए। महत्वपूर्ण यह है कि आप इसे कब, कैसे, और कितनी मात्रा में पी रहे हैं। आयुर्वेद के अनुसार, कोई भी पदार्थ अपने आप में दोषपूर्ण नहीं होता; गलत समय और गलत मात्रा ही समस्या पैदा करती है।

एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के सरल घरेलू उपाय

यदि आपको चाय पीने के कारण एसिडिटी हो गई है, तो यहाँ कुछ आसान और कारगर घरेलू उपाय दिए गए हैं जो तुरंत आराम दे सकते हैं:

लौंग चबाना: एक लौंग चबाने से पेट का एसिड तुरंत न्यूट्रलाइज़ (निष्प्रभावी) होता है और कुछ ही मिनटों में जलन शांत हो जाती है।

सौंफ और मिश्री: एक चम्मच सौंफ को थोड़ी-सी मिश्री के साथ खाने से गैस और खट्टी डकार तुरंत शांत होती हैं।

देसी घी का उपयोग: हल्के गुनगुने पानी में एक बूँद देसी घी मिलाकर पीने से पेट की अंदरूनी जलन कम होती है।

छाछ और जीरा: अगर एसिडिटी ज़्यादा परेशान कर रही है, तो छाछ (मट्ठा) में भुना हुआ जीरा मिलाकर पीने से तुरंत ठंडक और राहत मिलती है।

मुलेठी का पानी: मुलेठी (यष्टिमधु) का पानी पेट की परत को आराम देता है और पाचन तंत्र को शांत रखता है।

चाय पीने का सही तरीका

अगर चाय पीना आपकी मजबूरी है, तो इन बातों का ध्यान रखें ताकि एसिडिटी कम हो:

इलायची का प्रयोग: अपनी चाय में 1 या 2 इलायची के दाने डाल दें। इलायची चाय की गर्मी और अम्लता बढ़ाने वाले प्रभाव को कम करती है।

मात्रा सीमित रखें: दिन भर में 2 कप से ज़्यादा चाय न पिएँ।

समय का ध्यान रखें: सुबह खाली पेट और रात के खाने के तुरंत बाद चाय पीने से पूरी तरह बचें।

कड़क चाय से बचें: बहुत ज़्यादा उबाली हुई या बहुत कड़क चाय का सेवन न करें।

यह संतुलन बनाए रखना ही आपको सर्दियों में चाय का आनंद लेने और सेहतमंद रहने में मदद करेगा।

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