गाईडलाइन दरों को लेकर फैल रहे भ्रम पर राज्य सरकार ने दी व्यापक स्पष्टता, जानिए पूरी सच्चाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा स्वीकृत नई गाईडलाइन दरों के संबंध में आमजन के बीच उत्पन्न हो रहे भ्रम को दूर करने के उद्देश्य से विस्तृत जानकारी जारी की है। शासन ने स्पष्ट किया है कि ये नवीन दरें न केवल अधिक सरल और वैज्ञानिक हैं, बल्कि इनके माध्यम से पिछले वर्षों से चली आ रही विसंगतियों का भी समाधान किया गया है।
सरकार ने बताया कि कुछ स्थानों पर यह गलत अफवाह फैलाई जा रही है कि गाईडलाइन दरों में अत्यधिक वृद्धि हुई है या दस्तावेज़ पंजीयन प्रक्रिया बाधित हो गई है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि नवीन गाईडलाइन 20 नवंबर 2025 से प्रभावी हो चुकी है, और इस अवधि में कांकेर जिले में लगभग 98 दस्तावेज़ों का पंजीयन सफलतापूर्वक किया जा चुका है। जिले के सभी उप-पंजीयक कार्यालयों में पंजीयन का कार्य पहले की तरह नियमित रूप से जारी है।
नगरीय क्षेत्रों में व्यापक सरलीकरण और पारदर्शिता
पहले एक ही वार्ड में कई अलग-अलग खंड (कंडिकाओं) के कारण समान भौगोलिक और व्यावसायिक स्थिति वाली संपत्तियों की दरों में भी अंतर पाया जाता था, जिससे नागरिकों में असंतोष था।
नवीन सर्वेक्षण और भौतिक सत्यापन के बाद इन कंडिकाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है।
इन खंडों की संख्या कम की गई है और दरों को समान किया गया है।
उदाहरण के लिए:
कांकेर नगर पालिका के 21 वार्डों में पहले 56 कंडिकाएं थीं, जिन्हें घटाकर अब 26 कर दिया गया है।
इसी प्रकार, नगर पंचायत चारामा, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ और पंखाजूर की कुल 253 कंडिकाओं को कम कर 105 किया गया है।
सरकार का मत है कि इस प्रक्रिया से गाईडलाइन अब अधिक पारदर्शी और वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हो गई है।
दर वृद्धि संबंधी भ्रांति का समाधान
राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रदेश में गाईडलाइन दरों का पुनरीक्षण अंतिम बार वर्ष 2019-20 में किया गया था। छह वर्षों बाद किए जा रहे इस पुनरीक्षण में नगरीय क्षेत्रों में मात्र 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
सरकार ने तर्क दिया है कि यह वृद्धि स्वाभाविक और तार्किक है।
यदि दरों को हर वर्ष बढ़ाया जाता, तो वर्तमान दरें कहीं अधिक होतीं।
अतः, अत्यधिक वृद्धि की बात पूरी तरह से निराधार है।
ई-पंजीयन प्रणाली पूरी तरह सुचारू
कुछ लोगों द्वारा यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि नई गाईडलाइन ऑनलाईन अपडेट न होने के कारण दस्तावेज़ पंजीयन ठप हो गया है।
लेकिन तथ्य यह है कि जिले के सभी उप-पंजीयक कार्यालयों में पंजीयन का कार्य निर्बाध रूप से जारी है।
पंजीयन कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा या व्यवधान की स्थिति नहीं है।
दर पुनरीक्षित न होने से होने वाली समस्याएँ
सरकार ने बताया कि पुरानी गाईडलाइन दरों को जारी रखने से कई गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती थीं:
काले धन को प्रोत्साहन: कई बार वास्तविक सौदा मूल्य अधिक होने पर भी पंजीयन पुरानी गाईडलाइन दरों पर किया जाता था, जिससे अंतर की राशि काला धन बनती थी और बाद में विवाद भी उत्पन्न होता था।
कम ऋण पात्रता: पुरानी दरों के कारण संपत्तियों का मूल्यांकन कम होता था, जिससे खरीदारों को बैंक से ऋण पात्रता (Loan Eligibility) भी कम मिलती थी।
असंगत मुआवजा: सरकारी अधिग्रहण की स्थिति में, पुरानी दरों के आधार पर मुआवजा तय होने से भूमि मालिकों, विशेषकर किसानों को उनकी संपत्ति का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था।
इसलिए, नई गाईडलाइन दरें अधिक युक्तियुक्त और वास्तविक बाज़ार परिस्थितियों के अनुरूप हैं।
आमजन से अपील
राज्य शासन ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह या भ्रम में न आएं।
गाईडलाइन दरों से संबंधित किसी भी सूचना या शंका के समाधान के लिए नागरिक अपने निकटस्थ पंजीयन कार्यालय में संपर्क करें।
वहां से वे वास्तविक और प्रमाणिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इन नई गाईडलाइन दरों को प्रदेश में रियल एस्टेट लेनदेन को पारदर्शी बनाने, टैक्स चोरी रोकने, और जमीन संबंधी मूल्यांकन को अधिक विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
















