प्रोजेक्ट संकल्प’ से आदिवासी अंचलों के विद्यार्थियों के जीवन में आ रहा बड़ा बदलाव

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आदिवासी और अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा शुरू की गई ‘प्रोजेक्ट संकल्प’ पहल अब धरातल पर रंग लाने लगी है। प्रदेश के आश्रमों और छात्रावासों में रह रहे विद्यार्थियों के लिए यह योजना न केवल शिक्षा, बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व विकास का आधार बन रही है।
सर्वांगीण विकास पर केंद्रित पहल
विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने इस परियोजना की प्रगति साझा करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और विभागीय मंत्री रामविचार नेताम के मार्गदर्शन में इस अभियान को गति दी जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर, उन्हें नैतिक मूल्यों, सामाजिक समझ और जीवन कौशल (Life Skills) में भी निपुण बनाना है।
प्रमुख सचिव के विचार: “संस्कारों से संवरेगा भविष्य”
सोनमणि बोरा ने एक प्रेरक उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह एक छोटा सा बीज भविष्य में विशाल वृक्ष का रूप लेता है, उसी तरह बचपन में बोए गए अच्छे संस्कार और सही मार्गदर्शन एक सशक्त समाज का निर्माण करते हैं। ‘प्रोजेक्ट संकल्प’ इसी दिशा में उठाया गया एक दूरगामी कदम है।
प्रोजेक्ट की मुख्य विशेषताएं और गतिविधियां
इस अभियान के तहत छात्रावासों में रहने वाले बच्चों के लिए कई विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं:
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पोषण: पढ़ाई के साथ-साथ छात्रों को पौष्टिक भोजन और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मार्गदर्शन: हैदराबाद के प्रसिद्ध मोटिवेशनल स्पीकर नंदजी द्वारा इस प्रोजेक्ट के माध्यम से विद्यार्थियों और अधीक्षकों को निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कौशल विकास: बच्चों को रचनात्मक कार्यों, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़ सके।
कार्यशालाओं का आयोजन
प्रोजेक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विभाग लगातार संवाद कर रहा है। हाल ही में रायपुर में आयोजित प्रशिक्षण सत्रों में सहायक आयुक्तों और छात्रावास अधीक्षकों के साथ व्यावहारिक समस्याओं के समाधान पर चर्चा की गई। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी जमीनी स्तर पर इसकी समीक्षा की जा रही है, ताकि व्यवस्थाओं में कोई कमी न रहे।
सकारात्मक परिणाम
‘प्रोजेक्ट संकल्प’ के शुरू होने से दूरस्थ अंचलों के बच्चों में एक नई ऊर्जा और उत्साह देखा जा रहा है। अब छात्र न केवल अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं, बल्कि वे समाज के जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में भी अग्रसर हो रहे हैं। विभाग का यह संवेदनशील दृष्टिकोण आदिवासी क्षेत्रों के बच्चों के लिए उज्ज्वल भविष्य के नए द्वार खोल रहा है।
















