हिंदी साहित्य के शिखर पुरुष विनोद कुमार शुक्ल को सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने दी अंतिम विदाई

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गौरव और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने गहरा शोक प्रकट किया है। मारवाड़ी शमशान घाट पहुंचकर उन्होंने दिवंगत आत्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर बृजमोहन अग्रवाल ने स्वर्गीय शुक्ल के योगदान को याद करते हुए कहा कि विनोद कुमार शुक्ल केवल एक लेखक नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा थे जिन्होंने हिंदी साहित्य को वैश्विक मंच पर एक नई ऊंचाई और पहचान दिलाई। उनकी रचनाओं में छत्तीसगढ़ की माटी की महक और आम जनमानस की संवेदनाएं स्पष्ट रूप से झलकती थीं।
श्रद्धांजलि सभा के मुख्य बिंदु:
अमूल्य विरासत: सांसद ने कहा कि शुक्ल जी की सरल और मानवीय पहलुओं को छूने वाली कृतियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक और अमूल्य धरोहर रहेंगी।
साहित्य जगत की क्षति: उनके अवसान को साहित्य जगत के लिए एक ऐसी रिक्तता बताया गया जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा।
अमर विचार: अग्रवाल ने भावुक होते हुए कहा, “शुक्ल जी भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच न हों, लेकिन अपनी कालजयी रचनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से वे पाठकों के हृदय में सदैव जीवित रहेंगे।”
अंत में, सांसद ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार व उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की।
















