भारत की नई आसमानी ढाल : आकाश-एनजी मिसाइल का सफल परीक्षण, जल्द होगी सेना में तैनाती

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और बड़ा कदम बढ़ाते हुए, आकाश-एनजी मिसाइल प्रणाली ने अपने सभी यूजर ट्रायल (उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षण) सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं। इस सफलता के साथ ही अब इस मिसाइल के भारतीय सेना और वायुसेना में शामिल होने की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुँच गई है।
आकाश-एनजी की प्रमुख विशेषताएं और मारक क्षमता
यह नई पीढ़ी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (SAM) दक्षिण एशिया के सुरक्षा परिदृश्य को बदलने की ताकत रखती है। इसकी कुछ मुख्य खूबियाँ निम्नलिखित हैं:
असाधारण गति: यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग 2.5 गुना तेज़ (Mach 2.5) रफ्तार से हमला करने में सक्षम है।
सटीक रेंज: इसकी मारक क्षमता करीब 60 किलोमीटर है, जो लंबी दूरी के हवाई खतरों को ध्वस्त करने के लिए पर्याप्त है।
अदृश्य खतरों का काल: यह मिसाइल दुश्मन के ‘स्टील्थ’ फाइटर जेट्स, क्रूज मिसाइलों और छोटे ड्रोन्स जैसे उन लक्ष्यों को भी पहचान कर नष्ट कर सकती है, जो राडार की पकड़ में मुश्किल से आते हैं।
स्वदेशी तकनीक: इस प्रणाली में 96% स्वदेशी उपकरणों का उपयोग किया गया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ के संकल्प को मजबूती प्रदान करता है।
परीक्षण के नतीजे और भविष्य की योजना
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अनुसार, हालिया परीक्षणों में मिसाइल ने विभिन्न चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, जैसे बहुत कम ऊंचाई और लंबी दूरी के लक्ष्यों को बेहद सटीकता के साथ निशाना बनाया।
“इन सफल परीक्षणों ने आकाश-एनजी को सशस्त्र बलों में शामिल करने का मार्ग पूरी तरह से प्रशस्त कर दिया है।” — डॉ. समीर वी. कामत, अध्यक्ष, डीआरडीओ
सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2026 तक इस मिसाइल प्रणाली को आधिकारिक तौर पर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। यह प्रणाली आधुनिक ‘कमांड एंड कंट्रोल’ नेटवर्क से लैस है, जिससे इसे अन्य रक्षा प्रणालियों के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है।
सामरिक महत्व: विशेषज्ञों की राय
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आकाश-एनजी भारत की उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक अभेद्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगी।
बेहतर सुरक्षा कवच: मेजर जनरल (रिटायर्ड) जीडी बख्शी के अनुसार, इस ‘क्विक रिएक्शन’ मिसाइल के आने से भारत की वायु रक्षा प्रणाली एक ‘लीक-प्रूफ अंब्रेला’ की तरह काम करेगी, जो दुश्मन की 90% से अधिक मिसाइलों को बीच हवा में ही नष्ट करने में सक्षम होगी।
किफायती और प्रभावी: यह प्रणाली रूस, अमेरिका और यूरोपीय देशों की इसी श्रेणी की मिसाइलों की तुलना में काफी सस्ती है, जिससे भारत का रक्षा बजट भी संतुलित रहेगा।
कम होती निर्भरता: पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने कहा कि घरेलू स्तर पर विकसित ऐसी तकनीक से हम विदेशी हथियारों पर अपनी निर्भरता को न्यूनतम कर सकेंगे।














