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वरिष्ठ पत्रकार जवाहर नागदेव की बेबाक कलम, सुगंध का दावा था गंदी बांस हो गये केजरीवाल आम-आम चिल्लाते खास हो गये केजरीवाल

सुगंध का दावा था गंदी बांस हो गये कंेजरीवाल
आम-आम चिल्लाते खास हो गये केजरीवाल


आम बाजार में आ रहा है फिर नहीं आ रहा है फिर आ रहा है फिर नहीं आ रहा है। कभी आ तो रहा है लेकिन नहीं आ रहा है। दरअसल आम कम आ रहा है लिहाजा इतना महंगा है कि अपनी कैपेसिटी में नहीं आ रहा है। आम को केवल खास लोग खरीद पा रहे हैं। केवल खास लोग गले से उतार पाते हैं। अपने आम अब खास हो गये हैं चार कमरों में रहने का दावा करने वाला आम 45 करोड का खास हो गया। आम केजरी अब राजा केजरी बन गया है। वो पहले कहते थे खुलेआम मुंह पर विरोधियों को कहतेे थे कि ‘आप तो चोर हो जी…. ’और चिल्लाकर कहते थे ‘दिल्ली के मालिक हम एैं… ’ उनका हम एैं सुनने लायक होता है। वे खुद को दिल्ली का मालिक बताते थे विधानसभा में।
सबको बेवकूफ बनाकर खुद धूर्तता की मिसाल बन गये हैं। असल बेवकूफ तो खुद हैं। इतना अच्छा बहुमत मिलने के बाद उसे संभाल नहीं पाए। विचलित हो गये। बौखला गये। निरंकुश हो गये। भ्रष्ट तो वो पहले ही नजर आते थे। इतनी शानदार जीत के बाद ईमानदारी से कुछ अच्छे काम कर लेते तो लंबे समय के लिये जम जाते, पर अब ऐसा लगता है कि अंतिम अध्याय आ गया है और जल्द ही केजरी की किताब बंद हो जाएगी।

जितना देते हैं मोदी को गाली
उतना कांग्रेस का दामन होता है खाली

कहते हैं सोनिया जी बड़ी नाराज हैं खड़गे के घटनाक्रम से…. । मोदी को सांप कहने से नहीं वे नाखुश हैं मोदी द्वारा इसे उलटकर कांग्रेस के गले की हड्डी बना देने से। मोदी ने कह दिया कि सांप भगवान शिव के गले में विराजता है। और जनता शिव है। यानि इसमें मोदी ने फिर घेर लिया उन्हें। वैसे तो मोदी को गंदी गाली देने से कांग्रेस में बड़ा पद मिलना तय हो जाता है। कांग्रेस ये समझ नहीं पा रही है कि ऐसी हरकतों से पद बांट रही है लेकिन सीटंे गंवा रही है। जैसे देते हैं मोदी को गाली, उतनी कांगे्रस की झोली होती है खाली।

इतनी नफरत वो करते हैं मुझसे
चलो नफरत ही सही नाम तो मेरा लेते हैं

काफी समय हो गया है देश में सियासी संग्राम मचा हुआ है। इक तरफ भाजपा… नहीं भाजपा कहना सही नहीं होगा, सही होगा ये कहना कि इक तरफ मोदी और दूसी तरफ सारा विपक्ष। सारे विपक्ष ने बड़ा ज़ोर लगाया पर मोदी को हिला भी नहीं पाए। दिन ब दिन मोदी अपनी जड़ें गहरी करते जा रहे हैं।
विपक्षी दलों के नेता हाथ उपर करके एक दूसरे का हाथ थामे दिखते हैं हर बार मंचों पर। पर अब तो ऐसे मंचों पर सारे विपक्षी भी इकट्ठे नहीं हो रहे हैं। इतनी दुर्गति के बाद भी ये एक नहीं हो पा रहे हंै। अस्तित्व का संकट आन पड़ा है पर समझ नहीं आ रही। कोई भी अपनी जगह से अपने अहम् से रत्ती भर भी डिग नहीं रहा है। ऐसे में कैसे होगा समझौता ? कैसे मिलेगी सत्ता… क्योंकि लड़ाई तो उनके लिये केवल सत्ता की ही है, न कि सेवा की।

हिंदी में तलाक नहीं
अंग्रेजी में मन नहीं

निस्संदेह सुधांशू त्रिवेदी भाजपा के बेहतरीन प्रवक्ता है। सुधांशू एक विद्वान, ज्ञानी शख्स हैं। हर बात का सटीक जवाब देते हैं। तथ्यों, प्रमाणों के साथ। यहां तक कि किस किताब में किस अध्याय के किस खण्ड में क्या लिखा है ये भी बता देते हैं। असंख्य किताबें पढ़ी हैं। उनके विरोधी उनके सामने कुतर्क के सिवाय कुछ नहीं करते और अपनी साख खराब कर लेते हैं। इन्हीं सुधांशू त्रिवेदी ने बहस के दौरान कई बार ये तथ्य उजागर किया है कि अंग्रेजी में और उर्दू में डायवोर्स और तलाक है लेकिन हिंदी में नहीं क्योंकि हिंदी में विवाह जनम-जनम का बंधन है और  इसमें विच्छेद का कोई प्रावधान नहीं। दूसरा मन शब्द का कोई अंग्रेजी नहीं है।

जवाहर नागदेव, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, चिन्तक, विश्लेषक
उव 9522170700
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