छत्तीसगढ़टॉप न्यूज़

प्रसूति रक्तस्राव मातृ मृत्यु दर का सबसे अधिक ज्ञात एवं उल्लेखित कारण

*रायपुर मेडिकल कॉलेज में “फंडामेंटल क्रिटिकल केयर सपोर्ट ऑब्स्ट्रिक्स” पर दो दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ*

रायपुर. 28 मई 2023. पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा “फंडामेंटल क्रिटिकल केयर सपोर्ट ऑब्स्ट्रिक्स” (प्रसूति के लिए बुनियादी क्रिटिकल केयर सपोर्ट) विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन विशेषज्ञों ने गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप संबंधी विकार, गर्भावस्था में सेप्सिस (गंभीर संक्रमण), प्रमुख प्रसूति रक्तस्राव, हृदय रोग, गुर्दे की चोट, मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रबंधन तथा आपातकालीन स्थितियों में नवजात शिशु के त्वरित प्रबंधन जैसे विषयों पर व्याख्यान दिया। आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. चंद्राकर ने कार्यशाला का शुभारंभ किया। शुभारंभ कार्यक्रम में विशेष सम्मानित सदस्य डॉ. महेश सिन्हा थे।

पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर की डीन एवं वरिष्ठ प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. तृप्ति नागरिया ने प्रसूति में अत्यधिक रक्तस्राव (ऑब्स्ट्रिक्स हेमरेज) विषय पर अपने व्याख्यान में बताया कि प्रसूति रक्तस्राव मातृ मृत्यु दर का सबसे अधिक ज्ञात एवं उल्लेखित कारण है। यह प्रसव पूर्व रक्तस्राव, इंट्रापार्टम रक्तस्राव या प्रसवोत्तर रक्तस्त्राव के रूप में हो सकता है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान किसी भी रक्तस्राव को “खतरे” या चेतावनी का संकेत माना जाना चाहिए और इसका त्वरित प्रबंधन करना चाहिए। अत्यधिक रक्तस्राव के कारणों एवं लक्षणों की पहचान कर उनके निदान के लिए समय रहते आवश्यक प्रबंधन करना चाहिए।

प्रसूति एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल ने कार्यशाला के संबंध में जानकारी दी कि मातृ-शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए चिकित्सा महाविद्यालय में पहली दफ़ा इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिससे निश्चित रूप से आने वाले समय में हम प्रसव पूर्व एवं प्रसवोत्तर जटिलताओं एवं जोखिमों को कम कर मातृ स्वास्थ को और बेहतर कर सकने में अपना योगदान दे सकते हैं।

एनेस्थेसिया एवं क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. (प्रो.) जया लालवानी ने कार्यशाला में गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (एक्लेम्पसिया और प्रीक्लेम्पसिया) विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि यदि किसी गर्भवती महिला का रक्तचाप बढ़ जाता है तो उसका फीटल मॉनिटरिंग करते हुए सुरक्षित प्रसव कराना चाहिए। एक्लेम्पसिया में जब झटके आते हैं तो समय रहते उपचार नहीं मिलने के कारण हृदयाघात एवं मस्तिष्क आघात से मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है।

कार्यशाला को दिल्ली के क्रिटिकल केयर के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सिमंत कुमार झा ने भी संबोधित किया। वहीं वरिष्ठ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा जैन ने गर्भावस्था में शारीरिक बदलाव और उसके चिकित्सकीय पैरामीटर को लेकर प्रतिभागियों से सवाल-जबाब के जरिए चर्चा करते हुए उनके व्यवहारिक प्रबंधन के बारे में बताया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button