वरिष्ठ पत्रकार चंद्र शेखर शर्मा की बात बेबाक, हवा में रहने वाले सभी मित्रों को विश्व पर्यावरण दिवस पर ढेर सारी शुभकामनाएं ।
भाई आज विश्व पर्यावरण दिवस है तो पर्यावरण की चिंता में एसी कमरे में बैठ कर मुफ्त में कुछ ज्ञान बांटना तो बनता है । वैसे भी आज मेरे अलावा सुविधा भोगी हो चुके अफसर, नेता पर्यावरणविद ,समाजसेवक ,पत्रकार के साथ-साथ एसी गाडी बंगले,ऑफिस और होटलो में रहने वाले ठंडी जगहों पर नंबर दो की कमाई से ऐश करने वाले भी जमकर पर्यावरण की चिंता करते खूब ज्ञान पेलेंगे।फिलहाल तो हम ही छोटा मोटा ज्ञान पेल देते है ।
बहुत गर्मी है, बहुत गर्मी है सुन सुन के कान पक गए, और काटो हरे भरे पेड़ो को ,बनाओ कंक्रीट के जंगल ,सीमेंट कंक्रीट की चौड़ी सड़के, आलिशान इमारतें । अब गर्मी नहीं तो क्या हरा भरा सावन सुहाना की ठंडी हवा पाओगे । कुछ दिन और जारी रखो कंक्रीट के जंगल पैदा करने का काम फिर आने वाले पीढ़ी और ज्यादा गर्मी झेलेगी तब पछताओगे । समय है अब भी सुधर जाओ कमीशन के चक्कर में कॉंक्रीट के जंगल मत उगाओ ,उगाना ही है तो हरे भरे पेड़ उगाओ परंतु सिर्फ फ़ोटो खिंचवाने और खबरों में जगह पाने के लिए नहीं ।पेड़ लगा भी रहो तो पेड़ को पानी भी दो ,जीवित भी रखो अब यंहा भी कमीशन खोरी तो मत करो वरना आने वाली पीढ़िया आज की पीढ़ियों को कोसेंगी । धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, पर्यावरण को छोड़ हर कोई कंक्रीट के जंगल बनाने में व्यस्त है ।क्या कोई फायदा है ऐसे विकास का?खैर प्रकृति भी अपने अनुसार संकेत दे रही है, बस उनको समझना ज़रूरी है ।
कंक्रीट और कूड़े की इस दुनिया में आदमी आजकल हरी घास देखकर ऐसे चहकता है जैसे वो कोई भैंस हो और बस उसे खाना चाह रहा हो ।
खैर ज्ञान सिर्फ बांटने के लिए होता है पर्यावरण की चिंता में पेड़ लगाओ या ना लगाओ , एसी का उपयोग बंद करो या ना करो पर सोशल मीडिया पर जरूर सक्रिय रहो । एकाध जगह जा कर फ़ोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर खूब शेयर करो ताकि लोगो को पता चल सके कि आप पर्यावरण के लिए काफी चिंतित है ।काम भले ही करो ना करो पर काम का जिक्र जरूर करो ।इससे आप पर्यावरण के हितचिंतक और प्रसिद्ध समाज सेवक जरूर बन सकते है ।
चल भाई अब गृह लक्ष्मी की भी प्यारी और मीठी आवाज आने लगी है पर्यावरण की चिंता हो गई हो तो अब घर की भी चिंता कर लो ।
तो भाई अब हम घर के पर्यावरण की चिंता में चलते है ।
तो फिर जाते जाते फिर एक बार विश्व पर्यवरण दिवस की बधाई ।
और अंत मे
तन्हाई की दुल्हन अपनी माँग सजाए बैठी है,
वीरानी आबाद हुई है उजड़े हुए दरख़्तों में ।
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा ,
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाएगा ।।
#जय _हो 5 जून 2022 कवर्धा (छत्तीसगढ़)