छत्तीसगढ़

आपकी वर्तमान परिस्थितियों का कारण आपके कर्मों का दोष है : साध्वी शुभंकरा

रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में सोमवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने घर को स्वर्ग कैसे बनाएं विषय पर कहा कि यह संसार विविधताओं से परिपूर्ण है। यहां सुपुत्र और पुत्र दोनों पैदा होते हैं। जिनके भाग्य में सुपुत्र आते हैं मैं अपने आपको भाग्यशाली मानते हैं और जिनके भाग्य में कुपुत्र आते हैं वह दंपत्ति या तो ईश्वर को कोसते हैं या तो एक दूसरे को। जबकि दोष किसी का नहीं हमारे कर्मों का होता है। ना मां-बाप, ना बेटा-बहू और ना ईश्वर को कभी दोष मत देना। दोषारोपण आपने कर्मों पर करो। दोष आपके कर्मों में था, इसीलिए इस भव में आपको परिवार का सुख, संतान का सुख, धन का सुख, भौतिक संसाधनों का सुख नहीं मिल रहा है। हम अपनी परिस्थितियों को नहीं बदल सकते लेकिन मन:स्थिति को जरुर बदल सकते हैं। उसे संभालना हमारे हाथों में है। आपने मनःस्थिति को संभाल लिया तो आपका जीवन आनंदमई हो जाएगा। और जो अपने जीवन में आनंदमई रहता है वह जीवन के हर मोड़ पर प्रसन्नता के साथ जीता है।

जीवन को कैसे जिए विषय पर साध्वी जी कहती है कि आज घरों में चौखट नहीं है, दरवाजे पर भी जमीन समतल हो चुकी है। अब घर में एक रूम से दूसरे रूम जाने के लिए हमें संभलने की जरूरत नहीं पड़ती, चौखट तो है नहीं सीधे सीधे बस चलते जाना है। जबकि आज का समय तो संभल कर चलने का ही है। आज आप अपने घर से प्रवचन स्थल तक आते हैं तो आप ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए आते है। यातायात नियमों का पालन आपको करना ही पड़ता है आपको अपने बाईं और चलना पड़ता है क्योंकि यह इस देश का नियम है। आप ऐसे नहीं करोगे तो आपके नाम से चालान कटेगा और आपको पैसे देकर इसका खामियाजा भुगतना होगा। आप यातायात की कार्यवाही से डरते हैं, इसलिए आप उन नियमों का पालन करते हैं। ऐसा इसलिए भी आप करते हैं क्योंकि यह नियम और कार्रवाई आपको दिखाई दे रहे हैं। नियमों का पालन नहीं करोगे तो दुर्घटना भी हो सकती है। यह तो व्यावहारिक जीवन की बात है। जबकि व्यवहारिक जीवन के साथ-साथ हमें अंतरजगत के नियमों को पहचानना है और उनका पालन करना है। जबकि विडंबना की बात तो यह है कि आपको वह नजर ही नहीं आते है। हमारे अंतर्मन में कचरे की परत जमती जा रही है और वह हमें दिखाई नहीं दे रही है। अगर किसी कार्यक्रम में आपको साफ सफाई नहीं दिखती है, कार्यक्रम में अव्यवस्था नजर आती है तो आप कहने लग जाते हो कि यहां तो साफ सफाई नहीं है, झाड़ू नहीं लगा है, पोंछा नहीं लगा है, बर्तन भी झूठे पड़े हुए हैं। जबकि यह पहचानना और उसे साफ करवाना तो आयोजन समिति का काम होता है, और ऐसा बोलने वाले आप तो समिति के सदस्य भी नहीं है। केवल अतिथि के रूप में आप किसी की गलतियां निकाल रहे हो, जबकि आपको आपके अंतर्मन की गंदगी को साफ करना है, उन्हें पहचानना है।

साध्वीजी ने आगे कहा कि क्या आपने कभी सड़क बनते देखी है, बड़े-बड़े मंदिरों को बनता देखा है, उसमें कितनी मेहनत लगती है, अपनी जान जोखिम में डालकर मजदूर दिन-रात अपना काम करते हैं, मेहनत करते हैं, तो कहीं जाकर आपको यह आकर्षक अधोसंरचनाएं देखने को मिलती है और उसका लाभ भी आप सुचारू रूप से लेते हैं। इन संरचनाओं पर चलते हुए आपको अपनी मंजिल तक पहुंचना है, उसके पीछे की मेहनत आप नहीं देखते हैं।

मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन 2023 ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। नवकार जपेश्वरी परम पूज्य शुभंकरा श्रीजी आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। साथ ही उन्होंने नगरवासियों से साध्वीजी के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण करने का आग्रह किया है।

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