कर्म तो लगातार बंधता ही रहेगा : साध्वी शुभंकरा
रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में मंगलवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने जीवन को जीवन कैसे बनाएं विषय पर कहा कि जीवन को ताजगी से जीने के लिए हमें अपनी दिनचर्या का पूरी तरह पालन करना चाहिए। एक बार मनुष्य भव मिल गया तो ऐसा नहीं कि खाओ-पियो और जियो उसके बाद इतिश्री। हमारा जीवन तो खत्म हो जाएगा पर हम जो कर्म बांध रहे हैं उसका क्या होगा। हम कर्म को अलग से आटे की तरह सान कर नहीं बांधते हैं। जीवन में हम घर पर यह देख नहीं सकते कि कब कौन सा कर्म बांधते जा रहा है। हमें परिणाम खुद देखते हुए चलना है और यह विचार करना है कि हम कब तक इस कर्मचक्र में चलते रहेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि कर्म लगातार बंध रहा है। कर्मों का स्टॉक जमा होता जा रहा है और जब स्टॉक पूरा हो जाता है उसकी अवधि पूरी हो जाती है तो कर्मों का परिणाम आना शुरू हो जाता है। कर्म का परिणाम भी ऐसे आता है कि जैसे हम चक्की में अनाज को पिसते है। पहले तो हम चक्की को पूरा भर लेते हैं और फिर उसे घुमाना चालू करते हैं। सबसे पहले नीचे का अनाज पिसाता है। उसके बाद धीरे-धीरे बाकी अनाज भी नीचे आने लगता है और पीस कर आटा बन जाता है। ठीक वैसे ही आपका कर्म बंधते जा रहा है और जो उदय में आ रहा है उसका परिणाम भी आपके सामने आने लगता है।
साध्वीजी ने कहा कि उदय में आते ही कर्मों का परिणाम हमने भोग लिया लेकिन वह जो कर्म चक्र है, वह तो चल ही रहा है। यह सर्कल तो अनंत भव से चलता आ रहा है। उदय हमारे हाथ में तो नहीं है पर बंध हमारे हाथ में जरूर है। जीने के लिए तो हम सब जी रहे हैं पर कोई अकेला जी रहा कोई पति पत्नी साथ जी रहे है, कोई चार लोगों के साथ जी रहा तो कोई 40 लोगों के साथ जी रहा है। हमें केवल जीना ही नहीं, जागना भी है।
साध्वीजी कहती है कि आपको अपना अंतर्मन साफ करते हैं इसे साफ रखने के लिए साबुन सोडा इसकी जरूरत नहीं है दुर्गुणों को डंडा मारकर भगाने की आवश्यकता नहीं है। बस हमें अपने भावों को उच्च स्तर पर लेकर जाना है, फिर सारी विशुद्धियां अपने आप खत्म हो जाएंगी। ठीक वैसे ही जैसे सूर्य की मात्र एक छोटी सी किरण रात भर का अंधेरा क्षण भर में गायब कर देती है। हमें मात्र अपने आप को संभाल कर रखना है और बढ़ती उम्र में तो शरीर का और भी खास ख्याल रखना है।
मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन 2023 ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। नवकार जपेश्वरी शुभंकरा श्रीजी आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। साथ ही उन्होंने नगरवासियों से साध्वीजी के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण करने का आग्रह किया है।