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अंतर सेना संगठन विधेयक को संसद की मंजूरी

नई दिल्ली (एजेंसी)। राज्यसभा ने सैन्य सुधारों से जुड़े महत्वपूर्ण विधेयक अंतर सेना संगठन (कमान नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक 2023 को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सदस्यों के सवाल के जवाब में स्पष्ट किया कि देश के समुद्री हित पूरी तरह सुरक्षित हैं और सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

रक्षा क्षेत्र में अत्यधिक खर्च पर लगाम लगाये जाने के एक सदस्य के सुझाव पर उन्होंने कहा कि सरकार देश की सुरक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं आने देगी और जरूरत पड़ी तो सुरक्षा के लिए सकल घरेलू उत्पाद का पांच से छह प्रतिशत भी रक्षा क्षेत्र पर खर्च किया जा सकता है। उन्होंंने कहा कि तीनों सेनाओं में अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। उन्होंने कहा कि अंतर सेना संगठन बनाये जाने का थियेटर कमान की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक आदेश के तहत सामंजस्य बनाया जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक सेनाओं का एकीकरण कर उन्हें अधिक मजबूत तथा अनुशासनप्रिय बनाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल तथा एकीकरण के लिए यह विधेयक जरूरी है। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया।

श्री सिंह ने कहा कि अभी सेना के जवान सेना अधिनियम 1950, वायु सेना के जवान वायु सेना अधिनियम 1950 तथा नौसेना के नौसेना अधिनियम 1957 के मातहत कार्य करते हैं। अभी जहां भी तीनों सेनाओं के जवान एक संगठन में हैं वहां अनुशासन बनाना बड़ा विकट कार्य हैं क्योंकि तीनों सेनाओं के जवानों के खिलाफ जरूरत पड़ने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई उनके अधिनियम के तहत ही की जा सकती है जिसके लिए उन्हें पहले उनकी सेना में भेजना जरूरी होता है। इस तरह यह प्रक्रिया लंबी तथा खर्चीली हो जाती है।

अंतर सेना संगठन बन जाने से संगठन का कमांडर जरूरत पड़ने पर जवानों तथा अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक तीनों सेनाओं तथा विधि मंत्रालय की राय से तैयार किया गया है और यह सैन्य सुधारों के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा ।

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