आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 02 सितम्बर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया रात्रि 08:49 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद दोपहर 12:30 तक तत्पश्चात रेवती
योग – शूल सुबह 09:22 तक तत्पश्चात गण्ड
राहु काल – सुबह 09:31 से 11:05 तक
सूर्योदय – 06:22
सूर्यास्त – 06:57
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:51 से 05:36 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:17 से 01:02 तक
व्रत पर्व विवरण – फूल काजली व्रत
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
परीक्षा में सफलता के लिए
समय-नियोजन : कब क्या करना – इसका नियोजन करने से सब कार्य सुव्यवस्थित होते हैं । अत: हर विद्यार्थी को अपनी समय-सा रणी बनानी ही चाहिए ।
जप, त्राटक, सत्संग-श्रवण, ध्यान, पढ़ाई, खेल,भोजन, नींद आदि का समय निश्चित करके समय-सारणी बना लें ।
रात को देर तक न जाग के सुबह जल्दी उठकर पढ़ें ।
पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिकता तय करें, जिससे सभी विषयों का अध्ययन हो सके । सुनियोजन सर्व सफलताओं की कुंजी है ।
सुगंधित, स्वादिष्ट व स्वास्थ्यवर्धक कढ़ी पत्ता
कढ़ी पत्ता (मीठा नीम) सुगंधित, स्वादिष्ट, भूखवर्धक व पाचक है । इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, विटामिन ए, बी एवं एंटी ऑक्सीडेंट्स पाये जाते हैं, जिससे इसके सेवन से हड्डियाँ, दाँत व बालों की जड़ें मजबूत होती हैं एवं नेत्रज्योति बढ़ती है । इसके नियमित सेवन से पाचन-संस्थान को बल मिलता है, जिससे पेचिश, दस्त, अजीर्ण, मंदाग्नि, गैस आदि समस्याओं में आराम मिलता है ।
कढ़ी पत्ता हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि रोगों में उपयोगी है तथा इन रोगों से रक्षा करता है ।
कढ़ी, दाल, सब्जी आदि में कढ़ी पत्ते से छौंक देने से वे स्वादिष्ट बनते हैं, साथ ही कढ़ी पत्ते के औषधीय गुणों का भी लाभ सहज में ही मिल जाता है । भोजन करते समय कढ़ी पत्तों को फेंकें नहीं बल्कि चबा-चबाकर खायें ।
कढ़ी पत्तों को छाँव में सुखा-पीसकर उनका चूर्ण बना लें । इस चूर्ण का सेवन अनेक प्रकार से लाभकारी है । हरी पत्तियाँ उपलब्ध न हों तब इस चूर्ण को खाद्य पदार्थों जैसे – सब्जी, दाल आदि में मिलाकर भी खा सकते हैं ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।