ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 15 सितम्बर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अमावस्या सुबह 07:09 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी पूर्णरात्रि तक
योग – शुभ 16 सितम्बर प्रातः 03:42 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल – सुबह 11:03 से 12:35 तक
सूर्योदय – 06:26
सूर्यास्त – 06:44
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:52 से 05:39 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:12 से 12:58 तक

व्रत पर्व विवरण – अमावस्या
विशेष – अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38/34)

अमावस्या

15 सितम्बर सुबह 07:09 तक अमावस्या ।

उदयातिथि के अनुसार 15 सितम्बर को भी अमावस्या के सावधानी नियम मान्य है ।

अमावस्या विशेष

1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।
(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)

2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)

स्वास्थ्य व पर्यावरण सुरक्षा का अमोघ उपाय – गाय का घी

देशी गाय का घी शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास एवं रोग-निवारण के साथ पर्यावरण-शुद्धि का एक महत्त्वपूर्ण साधन है ।

इसके सेवन से –

१) बल, वीर्य व आयुष्य बढ़ता है, पित्त शांत होता है ।

२) स्त्री एवं पुरुष संबंधी अनेक समस्याएँ भी दूर हो जाती है ।

३) अम्लपित्त (एसिडिटी) व कब्जियत मिटती है ।

४) एक गिलास दूध में एक चम्मच गोघृत और मिश्री मिलाकर पीने से शारीरिक, मानसिक व   दिमागी कमजोरी दूर होती है ।

५) युवावस्था दीर्घकाल तक रहती है । काली गाय के घी से वृद्ध व्यक्ति भी युवा समान हो जाता   है ।

६) गर्भवती माँ घी – सेवन करे तो गर्भस्थ शिशु बलवान, पुष्ट और बुद्धिमान बनता है ।

७) गाय के घी का सेवन ह्रदय को मजबूत बनता है । यह कोलेस्ट्रोल को नहीं बढ़ाता । दही को   मथनी से मथकर बनाये गये मक्खन से बना घी ह्रदयरोगों में भी लाभदायी है ।

८) देशी गाय के घी में कैंसर से लड़ने व उसकी रोकथाम की आश्चर्यजनक क्षमता है ।

ध्यान दें : घी के अति सेवन से अजीर्ण होता है । प्रतिदिन १० से १५ ग्राम घी पर्याप्त है ।

नाक में घी डालने से –

१) मानसिक शांति व मस्तिष्क को शांति मिलती है ।
२) स्मरणशक्ति व नेत्रज्योति बढ़ती है ।
३) आधासीसी (माइग्रेन) में राहत मिलती है ।
४) नाक की खुश्की मिटती है ।
५) बाल झड़ना व सफ़ेद होना बंद होकर नये बाल आने लगते हैं ।
६) शाम को दोनों नथुनों में २ – २ बूंद गाय का घी डालने तथा रात को नाभि व पैर के तलुओं में गोघृत लगाकर सोने से गहरी नींद आती है ।

मात्रा : ४ से ८ बूंद

गोघृत से करें वातावरण शुद्ध व पवित्र

१) अग्नि में गाय के घी की आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है, वहाँ तक का सारा वातावरण प्रदुषण और आण्विक विकिरणों से मुक्त हो जाता है । मात्र १ चम्मच गोघृत की आहुति देने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती है, जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं है ।

२) गोघृत और चावल की आहुति देने से कई महत्त्वपूर्ण गैसे जैसे –इथिलिन ऑक्साइड, प्रोपिलिन ऑक्साइड, फॉर्मलडीहाइड आदि उत्पन्न होती है । इथिलिन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,  जो शल्य – चित्किसा (ऑपरेशन) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी है ।

३) मनुष्य-शरीर में पहुँचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम क्षमता गोघृत में है ।

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