आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 02 अक्टूबर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया सुबह 07:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – भरणी शाम 06:24 तक तत्पश्चात कृतिका
योग – हर्षण सुबह 10:29 तक तत्पश्चात वज्र
राहु काल – सुबह 08:01 से 09:30 तक
सूर्योदय – 06:31
सूर्यास्त – 06:27
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:55 से 05:43 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:05 से 12:54 तक
व्रत पर्व विवरण – चतुर्थी का श्राद्ध, संकष्ट चतुर्थी, महात्मा गांधी जयन्ती, लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती
⛅विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध
2 अक्टूबर 2023, सोमवार – चतुर्थी का श्राद्ध
जो लोग श्राद्ध नहीं करते हैं वे स्वयं भी घाटे में रहते हैं और उनके पितर भी दुःखी होते हैं । और जो श्राद्ध करते हैं वे स्वयं भी सुखी, सम्पन्न होते हैं और उनके दादे-परदादे… सब पुरखे भी सुखी होते हैं ।
गरुड़ पुराण (धर्म कांड प्रेत कल्प: १०.५७-५८) में आता है :
कुर्वीत समये श्राद्धं कुले कश्चिन्न सीदति । आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम् ॥ पशून् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात् ।
“श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता । पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र.. यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है ।”
जो श्राद्ध करते हैं उनके पास यश, धन- धान्य, सूझबूझ आती है, कुटुम्ब में अच्छी आत्माएँ आती हैं। पितरों का पिंडदान करनेवाला दीर्घायुष्य का धनी होता है ।
श्राद्ध पक्ष में अपनी मृत्युतिथि पर पितर अंतवाहक शरीर से अपने परिवार के यहाँ जाते हैं। पितरों का पंचभौतिक शरीर नहीं होता है, वायुमय शरीर होता है । वे बाट देखते रहते हैं कि ‘हमारे पुत्र-पौत्र, संबंधी हमारा श्राद्ध करें ।” यदि श्राद्ध नहीं करते हैं तो बेचारे निराश होकर दुःखित मन से अपने वंशजों की निंदा करते हैं और लम्बी-लम्बी साँस खींचते हुए अपने-अपने लोकों में जाते हैं । तो उस कुल खानदान के लिए आशीर्वाद के बदले जो कुछ निकलता होगा वे जानें ।
इन पुण्यदायी तिथियों व योगों का अवश्य उठायें लाभ
२ अक्टूबर : संकष्ट चतुर्थी, महात्मा गांधी जयन्ती, लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती
८ अक्टूबर : रविपुष्यामृत योग [सूर्योदय से रात्रि २-४५ (९ अक्टूबर २-४५ AM ) तक ]
१० अक्टूबर : इंदिरा एकादशी (इसका व्रत बड़े-बड़े पापों का नाशक तथा नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी सद्गति देनेवाला है ।)
१८ अक्टूबर : तुला संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२५ तक )
२२ अक्टूबर : महाष्टमी, दुर्गाष्टमी, स्वामी रामतीर्थजी जयन्ती (दि.अ. )
२४ अक्टूबर : विजयादशमी (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), विजय मुहूर्त (दोपहर २- १८ से ३-०४ तक ) (संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य, सीमोल्लंघन के लिए), दशहरा, गुरु-पूजन, अपराजिता- शमी वृक्ष- अस्त्र-शस्त्र-वाहन पूजन, श्री माधवाचार्य जयन्ती
२६ अक्टूबर : पापांकुशा एकादशी (इसका उपवास करने से कभी यमयातना नहीं प्राप्त होती । यह आरोग्य, सुंदर स्त्री, धन, मित्र एवं स्वर्ग व मोक्ष प्रदायक तथा माता, पिता व पत्नी के पक्ष की १०- १० पीढ़ियों का उद्धार कर देनेवाला व्रत है।)
[इस एकादशी से शरद पूर्णिमा (२८ अक्टूबर) तक रात्रि में चन्द्रमा को कुछ समय एकटक देखें व शरद पूर्णिमा की रात में सूई में धागा पिरोयें, इससे नेत्रज्योति बढ़ती है ।]
२८ अक्टूबर : शरद पूर्णिमा, खंडग्रास चन्द्रग्रहण (अहमदाबाद में समय : रात्रि १-०६ से २-२२ तक