आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 09 अक्टूबर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – दशमी दोपहर 12:36 तक तत्पश्चात एकादशी
नक्षत्र – अश्लेषा 10 अक्टूबर प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात मघा
योग – सिद्ध सुबह 06:51 तक तत्पश्चात साध्य
राहु काल – सुबह 08:02 से 09:30 तक
सूर्योदय – 06:34
सूर्यास्त – 06:20
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:56 से 05:45 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:03 से 12:51 तक
व्रत पर्व विवरण – एकादशी का श्राद्ध
विशेष – दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
एकादशी तिथि में चावल खाना निषेध ।
इंदिरा एकादशी – 10 अक्टूबर 2023
एकादशी 09 अक्टूबर दोपहर 12:36 से 10 अक्टूबर दोपहर 03:08 तक । व्रत उपवास 10 अक्टूबर मंगलवार को रखा जाएगा ।
इंदिरा एकादशी – 10 अक्टूबर 2023
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
जोड़ों में दर्द है तो…
१] जिन जोड़ों में दर्द है, सुबह उन पर धूप लगे इस प्रकार धूप सेंकें ।
२] १०० ग्राम अरंडी के तेल में ७०-८० ग्राम लहसुन की कलियाँ कूट के डाल दें और तेल को गरम करें । कलियाँ जल जायें तो वह तेल उतारकर रख लें । उससे जोड़ों की मालिश करें ।
३] गर्म कपड़े पहनें । हल्के गर्म पानी की थैली से सिंकाई करें । सुबह टहलना, व्यायाम करना नियमितरूप से करें ।
४] ८० प्रकार के वायुदोष नाशक स्थलबस्ती सुबह खाली पेट नियमित करें ।
५] जोड़ों के दर्द में संधिशूलहर औषधि का प्रयोग बहुत लाभदायी है । यह गठिया, मधुमेह, सायटिका व मोटापे में भी लाभकारी है ।
६] २ से ४ चुटकी रामबाण बूटी सुबह-शाम खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें ।
७] मालिश तेल को हलका गुनगुना करके उससे दर्द की जगह पर हलके हाथ से मालिश करें ।
८] २५० ग्राम मेथीदाना दरदरा (मोटे दानेदार) कूट के रख लें । रात को १ चम्मच भिगो के सुबह ले लें । बड़ी उम्र में कैल्शियम और लौह तत्त्व कम बन पाते हैं । मेथी में दोनों तत्त्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं । यह सटीक इलाज है ।