आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 16 अक्टूबर 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – द्वितीया रात्रि 01:13 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र – स्वाती रात्रि 07:35 तक तत्पश्चात विशाखा
योग – विष्कम्भ सुबह 10:04 तक तत्पश्चात प्रीति
राहु काल – सुबह 08:04 से 09:31 तक
सूर्योदय – 06:37
सूर्यास्त – 06:14
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:58 से 05:47 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:01 से 12:50 तक
व्रत पर्व विवरण – पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का ६०वाँ आत्मसाक्षात्कार दिवस, चन्द्र दर्शन (शाम 06:14 से 07:09 तक)
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
नवरात्रि : 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2023
नवरात्रि में उपवास की महत्ता क्यों है ?
नवरात्रि में व्रत-उपवास, ध्यान, जप और संयम- ब्रह्मचर्य… पति-पत्नी एक-दूसरे से अलग रहें – यह बड़ा स्वास्थ्य-लाभ, बुद्धि-लाभ, पुण्य- लाभ देता है । परंतु इन दिनों में जो सम्भोग करते हैं उनको दुष्फल भी हाथों-हाथ मिलता है । नवरात्रि संयम का संदेश देनेवाली है । यह हमारे ऋषियों की दूरदर्शिता का सुंदर आयोजन है, जिससे हम दीर्घ जीवन जी सकते हैं और दीर्घ सूझबूझ के धनी होकर ऐसे पद पर पहुँच सकते हैं जहाँ इन्द्र का पद भी नन्हा लगे ।
नवरात्रि के उपवास स्वास्थ्य के लिए वरदान हैं । अन्न से शरीर में पृथ्वी तत्त्व होता है और शरीर कई अनपचे और अनावश्यक तत्त्वों को लेकर बोझा ढो रहा होता है। मौका मिलने पर, ऋतु परिवर्तन पर वे चीजें उभरती हैं और आपको रोग पकड़ता है । अतः इन दिनों में जो उपवास नहीं रखता और खा-खा खा… करता है वह थका-थका, बीमार बीमार रहेगा, उसे बुखार बुखार आदि बहुत होता है ।
इस ढंग से उपवास देगा पूरा लाभ
शरीर में ६ महीने तक के जो विजातीय द्रव्य जमा हैं अथवा जो डबलरोटी, बिस्कुट या मावा आदि खाये और उनके छोटे-छोटे कण आँतों में फँसे हैं, जिनके कारण कभी डकारें, कभी पेट में गड़बड़, कभी कमर में गड़बड़, कभी ट्यूमर बनने का मसाला तैयार होता है, वह सारा मसाला उपवास से चट हो जायेगा । तो नवरात्रियों में उपवास का फायदा उठायें ।
नवरात्रि के उपवास करें तो पहले अन्न छोड़ दें और २ दिन तक सब्जियों पर रहें, जिससे जठर पृथ्वी तत्त्व संबंधी रोग स्वाहा कर ले । फिर २ दिन फल पर रहें । सब्जियाँ जल-तत्त्व प्रधान होती हैं और फल अग्नि तत्त्व प्रधान होता है । फिर फल पर भी थोड़ा कम रहकर वायु पर अथवा जल पर रहें तो और अच्छा लेकिन यह मोटे लोगों के लिए है । पतले-दुबले लोग किशमिश, द्राक्ष आदि थोड़ा खाया करें और इन दिनों में गुनगुना पानी हलका-फुलका (थोड़ी मात्रा में) पियें । ठंडा पानी पियेंगे तो जठराग्नि मंद हो जायेगी ।
अगर मधुमेह (diabetes), कमजोरी, बुढ़ापा नहीं है, उपवास कर सकते हो तो कर लेना । ९ दिन के नवरात्रि के उपवास नहीं रख सकते तो कम-से-कम सप्तमी, अष्टमी और नवमी का उपवास तो रखनी ही चाहिए ।
आयु तथा बुद्धिवर्धक प्रयोग
मार्कंडेय ऋषि का नित्य सुमिरन करने वाला और संयम-सदाचार का पालन करने वाला व्यक्ति १०० वर्ष जी सकता है – ऐसा शास्त्रों में लिखा है l कोई १ तोला (११.५ ग्राम) गौमूत्र लेकर उसमें देखते हुए सौ बार “मार्कंडेय” नाम का सुमिरन करके उसे पी लें तो बुखार नहीं आता, उसकी बुद्धि तेज हो जाती है और शरीर में स्फूर्ति आती है l
कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु
जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।