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मानव जाति की सेवा ही राष्ट्र की सेवा है : राष्ट्रपति मुर्मू

पटना (एजेंसी)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को डॉक्टरों से पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ लोगों की सेवा करने का आह्वान करते हुए कहा, मानव जाति की सेवा ही राष्ट्र की सेवा है।

श्रीमती मुर्मू ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों के बीच डॉक्टरों का बहुत सम्मान है और उन्हें भगवान की तरह माना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को स्वस्थ रखने की डॉक्टरों पर बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए उन्हें पूरी लगन और जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, पिछले सात से आठ वर्षों में, देश भर के मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या लगभग 100 गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने एम्स नई दिल्ली की तर्ज पर अन्य राज्यों में और अधिक एम्स खोलने का फैसला किया था।

उन्होंने कहा कि इससे उन लोगों को गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराने में सहायता मिली जिन्हें देश के दूर-दराज के स्थानों से इलाज के लिए नई दिल्ली जाना पड़ता था।

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए और अधिक शोध की जरूरत है । उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई जिन लोगों को आज मेडिकल डिग्री दी जा रही है उनमें 55 फीसदी लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि लड़कियां सभी क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।

इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा, आज के इस कार्यक्रम का नाम दीक्षांत समारोह है, शिक्षांत समारोह नहीं। क्योंकि शिक्षा का अंत नहीं होता। शिक्षा निरंतर चलती रहती है। इस शिक्षा के द्वारा समाज में सेवा कैसी करनी है। आपके काम से आपकी पहचान होनी चाहिए। आपके काम देखकर लोगों को पता लग जाना चाहिए कि आप एम्स जैसे संस्थान से पढ़ाई किए हैं।

समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2003 में जब अन्य राज्यों में और एम्स खोलने का निर्णय लिया गया तब वह वाजपेयी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री थे । उन्होंने कहा, वर्ष 2005 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो हमने कहा कि एम्स का निर्माण तेजी से हो । एम्स के लिये स्थल का चयन मैंने ही किया था।

एम्स के लिये 102 एकड़ जमीन उपलब्ध कराया। नई टेक्नोलॉजी के आने से आज कल पुरानी चीजें लोग याद नहीं रखते हैं । इसलिए वह पुरानी बातें याद दिलाते रहते हैं।

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