आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 31 अक्टूबर 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – कृष्ण
तिथि – तृतीया रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – रोहिणी 01 नवम्बर प्रातः 03:58 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग – वरियान दोपहर 03:34 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल – दोपहर 03:13 से 04:38 तक
सूर्योदय – 06:43
सूर्यास्त – 06:03
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:02 से 05:53 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक
व्रत पर्व विवरण – सरदार वल्लभ भाई पटेल जयन्ती (दि.अ. )
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
लक्ष्मी कहाँ से चली जाती हैं ?
भगवान श्रीहरि कहते हैं: “जो अल्पज्ञ भीगे पैर अथवा नग्न होकर सोता है तथा वाचाल की भाँति निरंतर बोलता रहता है, उसके घर से साध्वी लक्ष्मी चली जाती हैं ।
जो व्यक्ति अपने सिर पर तेल लगाकर उसी हाथ से दूसरे के अंग का स्पर्श करता है और अपने किसी अंग को बाजे की तरह बजाता है, उससे रुष्ट होकर लक्ष्मी उसके घर से चली जाती हैं । जो व्रत उपवास नहीं करता, संध्या वंदन नहीं करता, सदा अपवित्र रहता है तथा भगवद्भक्ति से रहित है उसके यहाँ से मेरी प्रिया लक्ष्मी चली जाती हैं ।” (श्रीमद् देवी भागवतः ९.४१.४२-४४)
बुखार मिटाने के उपाय
मोठ या मोठ की दाल का सूप बनाकर पीने से बुखार मिटता है । उस सूप में हरी धनिया तथा में मिश्री डालने से मुँह अथवा मल द्वारा निकलता खून बंद हो जाता है ।
५ से १० ग्राम लहसुन की कलियों को काटकर, तिल के तेल अथवा घी में तलें और सेंधा नमक डालकर रोज खायें । इससे मलेरिया का बुखार दूर होता है ।
सौंफ तथा धनिया के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से पित्तज्वर का शमन होता है ।
हींग तथा कपूर को समान मात्रा में लेकर बनायी गयी एक-दो गोली लें, उसे अदरक के रस में घोंटकर रोगी की जीभ पर लगायें, रगड़े दर्दी अगर दवा पी सके तो यही दवा पीये । इससे जाता है । ऐसे समय में ठण्डे पानी में खाने का नमक, नौसादर या कोलनवाटर डालें । उस पानी में पतले कपड़े के टुकड़े डुबोकर मरीज की हथेली, पाँव के तलवों और सिर (ललाट) पर रखें । जब रखा हुआ कपड़ा सूख जाय तो तुरंत ही दूसरा कपड़ा दूसरे साफ पानी में डुबायें और निचोड़कर दर्दी के सिर हथेली और पैर के तलवों पर रखें। इस प्रकार थोड़ी-थोड़ी देर में ठंडे पानी की पट्टियाँ बदलते रहने अथवा बर्फ घिसने से बुखार कम होगा ।
हम लेने आयें है अच्छे संस्कार
भोजन प्रसाद
हाथ पैर धोकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मौनपूर्वक भोजन करें ।
स्वास्थ्यकारक, सुपाच्य व सात्त्विक आहार लें ।
बाजारू चीज-वस्तुएँ न खायें ।
भोजन से पूर्वः इस श्लोक का उच्चारण करें-
हरिर्दाता हरिर्भोक्ता हरिरन्नं प्रजापतिः।
हरिः सर्वशरीरस्थो भुक्ते भोजयते हरिः।।
श्रीमद् भगवद् गीता के पन्द्रहवें अध्याय का पाठ अवश्य करें ।
इन मंत्रों से प्राणों को 5 आहूतियाँ अर्पण करें ।
ૐ प्राणाय स्वाहा ।
ૐ अपानाय स्वाहा ।
ૐ व्यानाय स्वाहा ।
ૐ उदानाय स्वाहा ।
ૐ समानाय स्वाहा ।