ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

 हिन्दू पंचांग

दिनांक – 01 नवम्बर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – कृष्ण
तिथि – चतुर्थी रात्रि 09:19 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – मृगशिरा 02 नवम्बर प्रातः 04:36 तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग – परिघ दोपहर 02:07 तक तत्पश्चात शिव
राहु काल – दोपहर 12:23 से 01:48 तक
सूर्योदय – 06:44
सूर्यास्त – 06:02
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:02 से 05:54 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक

व्रत पर्व विवरण – करवा चौथ, संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय : रात्रि – 08:50) , करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी
विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

 करवा चौथ – 01 नवम्बर 2023

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है । करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं । अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं ।

संकष्ट चतुर्थी – 01 नवम्बर 2023

क्या है संकष्ट चतुर्थी ?

संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।

इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।

पुण्यदायी तिथियाँ व योग

५ नवम्बर : रविपुष्यामृत योग (सूर्योदय से सुबह १०-२९ तक)

९ नवम्बर : रमा एकादशी (इसका व्रत चिंतामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है ।), ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस

१० नवम्बर : धनतेरस, भगवान धन्वंतरिजी जयंती

११ नवम्बर : नरक चतुर्दशी (रात्रि में मंत्रजप से मंत्रसिद्धि)

१२ नवम्बर : नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), दीपावली (दीपावली की रात्रि में किया गया जप- तप, ध्यान-भजन अनंत गुना फल देता है।)

१३ नवम्बर : सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से दोपहर २-५६ तक) (इस दिन तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।)

१४ नवम्बर : नूतन वर्षारम्भ (गुज.), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त)

१५ नवम्बर : भाईदूज

१७ नवम्बर : विष्णुपदी संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२४ तक) (इसमें किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । – पद्म पुराण)

१९ नवम्बर : रविवारी सप्तमी (सुबह ७-२३ से २० नवम्बर प्रातः ५-२१ तक)

२० नवम्बर : गोपाष्टमी

२१ नवम्बर : ब्रह्मलीन भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस, अक्षय-आँवला नवमी

२३ नवम्बर : देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी (इस दिन जप, होम, दान – सब पुण्यकर्मों का फल अक्षय होता है, गुरु-पूजन से भगवान प्रसन्न होते हैं व भगवान विष्णु की कपूर से आरती करने पर अकाल मृत्यु नहीं होती ।), भीष्मपंचक व्रत प्रारम्भ, चतुर्मास समाप्त ।

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