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शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि व महत्व

न्युज डेस्क (एजेंसी)। देशभर में शारदीय नवरात्रि उत्सव पूरे उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। नौ दिवसीय इस उत्सव के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार वह भगवान स्कंद की माता थीं इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बहुत प्रिय है क्योंकि यह शांति और सुख का प्रतीक है। मातृत्व का यह रूप व्यक्ति को शांति और खुशी का अनुभव देता है। देवी मां की पूजा करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि का आरंभ  7 अक्तूबर, सोमवार को प्रातः 09:47 से होगा और इसका समापन 8 अक्तूबर, मंगलवार प्रातः 11:17 पर होगा।

 मां का स्वरूप?

इस रूप में मां दुर्गा कमल के आसन पर विराजमान हैं, यही कारण है कि उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन सिंह है। इस स्वरूप में मां की चार भुजाएं हैं जिनमें से उनकी गोद में दाहिने ओर की ऊपर वाली भुज में भगवान स्कंद विराजमान हैं। वहीं दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाएँ हाथ का ऊपरी हिस्सा वरमुद्रा में है और निचले हाथ में कमल का फूल है।

भोग में क्या अर्पित करें?

नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

विधि से करें पूजा

  • स्कंदमाता के इस रूप की पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले उस स्थान पर मां की तस्वीर या मूर्ति रखनी चाहिए जहां आपने कलश रखा है।
  • इसके बाद देवी मां को फूल चढ़ाए जाते हैं, उसके बाद फल और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं।
  • धूप और घी का दीया जलाएं और माता की आरती करें।
  • ऐसा कहा जाता है कि इस तरह से पूजा करना बहुत शुभ होता है और आपको माता का आशीर्वाद मिलेगा।

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