ग्रामीण सशक्तिकरण का नया अध्याय : ‘विकसित भारत–जी राम जी’ कानून से श्रमिकों को मिला सम्मान

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ‘विकसित भारत–जी राम जी’ पहल की सराहना करते हुए इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और श्रमिक वर्ग के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति को न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उसे सम्मान के साथ जीने का अधिकार भी देती है।
मुख्यमंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि इस नई व्यवस्था का प्राथमिक लक्ष्य रोजगार की प्रक्रिया में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को पूरी तरह समाप्त करना है। आधुनिक तकनीक के उपयोग से अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि:
श्रमिकों को उनके काम का उचित और पूरा पारिश्रमिक मिले।
मजदूरी का भुगतान बिना किसी बिचौलिए के सीधे बैंक खातों (DBT) में जमा हो।
रोजगार के अवसरों में पारदर्शिता बनी रहे।
तकनीक से सुदृढ़ होती सुरक्षा
श्री साय ने कहा कि इस ढांचे को मजबूत बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसे उन्नत टूल्स का सहारा लिया गया है। इससे न केवल काम की गुणवत्ता सुधरेगी, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही भी तय होगी। नागरिक सहभागिता के माध्यम से अब आम जनता भी इस प्रक्रिया की निगरानी कर सकेगी।
2047 के स्वर्णिम भारत का संकल्प
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र को धरातल पर उतारता है। उन्होंने विश्वास जताया कि:
“विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ग्रामीण भारत का आत्मनिर्भर होना अनिवार्य है। यह कानून हमारे मेहनतकश ग्रामीणों को सशक्त बनाकर एक मजबूत राष्ट्र की नींव रख रहा है।”
मुख्यमंत्री ने अंत में दोहराया कि समय पर रोजगार और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा ही एक न्यायप्रिय शासन की पहचान है, और ‘विकसित भारत–जी राम जी’ इसी दिशा में बढ़ाया गया एक निर्णायक कदम है।
















