समावेशी विकास का नया अध्याय, समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रही सरकार

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले दो वर्षों में ‘अंत्योदय’ के संकल्प को धरातल पर उतारा है। समाज कल्याण विभाग के माध्यम से राज्य के वंचित, दिव्यांग, बुजुर्ग और तृतीय लिंग समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए हैं। समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मार्गदर्शन में योजनाओं को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया गया है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन: पारदर्शिता से मिला पात्रों को हक
राज्य सरकार ने पेंशन वितरण प्रणाली में तकनीक का समावेश कर भ्रष्टाचार की गुंजाइश को खत्म किया है। वर्तमान में इंदिरा गांधी वृद्धावस्था, विधवा और दिव्यांग पेंशन जैसी छह प्रमुख योजनाओं का लाभ 21.99 लाख हितग्राहियों को मिल रहा है।
डीबीटी का सफल प्रयोग: लगभग 98% भुगतान सीधे बैंक खातों में (DBT) किए जा रहे हैं।
आधार सीडिंग: 96% लाभार्थियों का आधार प्रमाणीकरण पूर्ण हो चुका है, जिससे केवल वास्तविक पात्र व्यक्तियों को ही लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ है।
मुख्यमंत्री पेंशन योजना: इस योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या 7.10 लाख से बढ़कर 7.45 लाख हो गई है।
दिव्यांगजन सशक्तिकरण: आत्मनिर्भरता की ओर कदम
दिव्यांग भाई-बहनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने उनके पहचान और पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया है।
UDID कार्ड: अब तक 2.74 लाख दिव्यांगों के पहचान पत्र बनाए जा चुके हैं।
सहायक उपकरण: उपकरणों का वितरण तीन गुना बढ़कर 3,609 तक पहुँच गया है।
आर्थिक संबल: दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाने के लिए रियायती दरों पर ऋण दिया गया और 24.50 करोड़ रुपये के पुराने ऋण माफ कर उन्हें बड़ी राहत दी गई है।
वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान: फिर शुरू हुई ‘तीर्थ दर्शन’
बुजुर्गों की आस्था का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को पुनर्जीवित किया है। IRCTC के समन्वय से अब तक हजारों वरिष्ठ जन पवित्र तीर्थों की यात्रा कर चुके हैं। आगामी बजट में इसके लिए 25 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान रखा गया है, जो बुजुर्गों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
शिक्षा और विशेष देखभाल: बच्चों के लिए बेहतर भविष्य
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है:
विशेष विद्यालय: सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित स्कूलों में छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
फिजिकल रिफरल रिहैब सेंटर: माना कैंप स्थित केंद्रों में सेरेब्रल पाल्सी जैसी बीमारियों के लिए ‘गेट लैब’ की सुविधाओं को दोगुना किया गया है।
छात्रवृत्ति: राज्य और केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं से हजारों दिव्यांग छात्र अपनी पढ़ाई जारी रख पा रहे हैं।
सामाजिक सुधार: नशा मुक्ति और उभयलिंगी पुनर्वास
नशा मुक्ति अभियान: नशामुक्ति केंद्रों की संख्या 11 से बढ़ाकर 25 कर दी गई है। साथ ही ‘सियान हेल्पलाइन’ बुजुर्गों और जरूरतमंदों के लिए एक भरोसेमंद साथी बनकर उभरी है।
तृतीय लिंग कल्याण: इस समुदाय के 915 लोगों को पहचान प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए SRS ऑपरेशन जैसी चिकित्सा सहायता भी प्रदान की जा रही है।
भविष्य की योजनाएं और बजट वृद्धि
सरकार ने विभागीय बजट को 1504 करोड़ से बढ़ाकर 1575 करोड़ रुपये कर दिया है। ‘सुगम्य छत्तीसगढ़’ अभियान के तहत सार्वजनिक भवनों को दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जा रहा है। नए विशेष स्कूलों और आवासीय परिसरों के निर्माण के लिए 205 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
निष्कर्ष: विष्णुदेव साय सरकार के ये दो वर्ष केवल आंकड़ों के नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक न्याय के वर्ष रहे हैं। राज्य सरकार का यह मॉडल दर्शाता है कि यदि नीतियां सही नीयत से लागू हों, तो समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति के चेहरे पर भी मुस्कान लाई जा सकती है।
















