पुरानी से पुरानी कब्ज का रामबाण इलाज, जानिए आयुर्वेद में उपचार

उज्जैन (एजेंसी)। कब्ज की समस्या से कई लोग परेशान रहते हैं। यदि सुबह उठकर पेट ठीक से साफ और खाली न हो पाए, तो दिन भर पेट में भारीपन और फूला हुआ सा महसूस होता है। कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती। कब्ज न केवल चिड़चिड़ापन पैदा करती है, बल्कि इसके कारण सिरदर्द और जोड़ों का दर्द भी शुरू हो सकता है। यदि कब्ज लगातार बनी रहे, तो यह बवासीर (Piles) जैसी गंभीर समस्या का कारण भी बन सकती है। इसलिए, कब्ज क्यों होती है, इससे छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए, और खानपान कैसा हो, यह जानना बहुत आवश्यक है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यदि हमारा पेट और पाचन तंत्र सही नहीं रहेगा, तो इससे कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की शुरुआत हो सकती है। कब्ज पेट, आँतों और पूरे पाचन तंत्र के लिए ठीक नहीं है।
कब्ज या ‘मलावरोध’ क्या है?
आयुर्वेद में कब्ज को ‘मलावरोध’ कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार, कब्ज का मुख्य कारण शरीर में वात दोष का बढ़ना, पाचन शक्ति (अग्नि) का कमजोर पड़ना, और शरीर में विषैले तत्वों (आम) का जमाव होना है।
कब्ज के सामान्य कारण हो सकते हैं:
खानपान में अधिक तेल-मसाले, मैदे से बनी चीजें, जंक और फास्ट फूड का सेवन।
पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना।
देर रात भोजन करना।
शारीरिक गतिविधि (व्यायाम) न करना।
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल न करना।
इन कारणों से आँतों में वायु बढ़ती है, जिससे मल सूखकर सख्त हो जाता है और पेट ठीक से साफ नहीं होता। जब यह समस्या लगातार बनी रहती है, तो विषैले पदार्थ पूरे शरीर में फैलकर नई-नई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू उपाय
आयुर्वेद और घरेलू उपाय कब्ज से राहत दिलाने में बहुत प्रभावी हैं।
त्रिफला और ईसबगोल:
रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिएं। यह सुबह पेट साफ करने में मदद करता है।
या, आप 2 छोटे चम्मच इसबगोल की भूसी को दूध या गुनगुने पानी में मिलाकर ले सकते हैं। इससे मल त्याग (stools) आसानी से होता है।
देसी घी और गुनगुना पानी:
दिन या रात के भोजन में 1 से 2 छोटे चम्मच देसी घी शामिल करें।
सुबह उठते ही 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीना बहुत लाभदायक है।
फाइबर युक्त आहार:
फाइबर से भरपूर सब्जियों और फलों का सेवन करें। प्रतिदिन केला, पपीता, अंजीर, किशमिश, चुकंदर, पालक, चोकर वाला आटा (whole-wheat flour), ओट्स और मोटे अनाज (millets) खाने से कब्ज में राहत मिलती है।
पाचन अग्नि को बनाए रखें:
आयुर्वेद कहता है कि जब आपकी पाचन शक्ति तेज होगी, वात संतुलित रहेगा और रोज सुबह पेट साफ होगा, तो न कब्ज रहेगा और न कोई अन्य रोग परेशान करेगा।
जीवनशैली और आहार में बदलाव
कब्ज से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना आवश्यक है:
रात का भोजन हल्का रखें: रात में भारी भोजन न करें। बहुत अधिक तेल, मसाले, मैदा, कुकीज, पेस्ट्री और केक जैसी चीजों से परहेज करें। संभव हो तो हल्का डिनर रात 7 से 8 बजे तक कर लेना चाहिए। तला-भुना खाना बिल्कुल बंद कर दें।
योग और आसन: 10-15 मिनट वज्रासन, भुजंगासन, मालासन, पवनमुक्तासन जैसे योगासन करना फायदेमंद है।
तनाव प्रबंधन: छोटी-छोटी बातों पर तनाव लेने से बचें।
नियमितता: प्रतिदिन एक ही समय पर सोएं, उठें और शौच के लिए जाएं।
महत्वपूर्ण सलाह: यदि इन तमाम उपायों को आजमाने के बाद भी आपकी कब्ज बनी हुई है, तो आपको किसी आयुर्वेदाचार्य (Ayurvedic doctor) से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
















