छत्तीसगढ़

देश की राजधानी में छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन

रायपुर। दिल्ली के ‘भारत मंडपम’ में 44वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान ‘छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष’ के तहत आयोजित सांस्कृतिक संध्या ने दर्शकों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक-कलाओं और परंपराओं से रूबरू कराया।

सांस्कृतिक संध्या में दिखा छत्तीसगढ़ का गौरव

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित भारत मंडपम में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने अपनी अद्भुत कला का प्रदर्शन किया। पारंपरिक नृत्य शैलियों और विविध लोक-सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से कलाकारों ने पूरे वातावरण को उत्साह, ऊर्जा और आनंद से भर दिया। यह आयोजन 44वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में छत्तीसगढ़ रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में किया गया था।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति और उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने दीप प्रज्वलन कर की। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ पवेलियन का दौरा किया और विभिन्न स्टॉलों पर प्रदर्शित कला-कृतियों, हस्तशिल्प और उत्पादों का अवलोकन किया। उन्होंने कलाकारों और उद्यमियों के प्रयासों की सराहना की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री श्री लखनलाल देवांगन, रायपुर लोकसभा सांसद श्री बृजमोहन अग्रवाल, जांजगीर-चांपा लोकसभा सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े, कांकेर लोकसभा सांसद श्री भोजराज नाग, एवं अन्य जनप्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री का उद्बोधन: “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”

अपने संबोधन में, मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि देश की राजधानी में “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” (छत्तीसगढ़ी सबसे अच्छे) की गूंज सुनकर हर छत्तीसगढ़ वासी गर्व महसूस करता है।

उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा रायपुर में देश के पहले डिजिटल जनजातीय संग्रहालय के उद्घाटन का उल्लेख किया, जिसे मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने वाला एक ऐतिहासिक कदम बताया।

मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ को कला, संस्कृति और परंपराओं की समृद्ध भूमि बताया, जहाँ तीज-त्योहार, लोक-नृत्य और पारंपरिक कलाएँ आज भी उसी उत्साह और गरिमा के साथ संरक्षित हैं। उन्होंने मिलेट्स उत्पादन, स्थानीय हस्तशिल्प और जनजातीय परंपराओं को राज्य की असीम संभावनाओं का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार कलाकारों के संरक्षण, आर्थिक सहयोग और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को और सशक्त बना रही है।

मुख्यमंत्री ने समस्त देशवासियों को छत्तीसगढ़ आने और इसकी सादगी, सांस्कृतिक संपन्नता और प्राकृतिक सौंदर्य का स्वयं अनुभव करने के लिए आमंत्रित किया।

लोक-कलाओं की सजीव प्रस्तुति

सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक लोक-कलाओं की एक से बढ़कर एक झलक पेश की। गौरा-गौरी, भोजली, राउत नाचा, सुआ नृत्य, पंथी और करमा नृत्य जैसी लोक-शैली की सजीव प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

सुआ नृत्य की मधुर और गीतमय अभिव्यक्ति

राउत नाचा की जोशीली लय

पंथी की आध्यात्मिक छटा

करमा की मनभावन प्रस्तुति

इन प्रस्तुतियों ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता और लोक परंपराओं की गहराई को प्रभावी रूप से उजागर किया। पूरे कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

अन्य प्रमुख उपस्थिति

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष श्री नीलू शर्मा, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री शशांक शर्मा, विधायक श्री संपत अग्रवाल, श्री प्रबोध मिंज, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री पंकज झा, मुख्य सचिव श्री विकास शील, पर्यटन, संस्कृति एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव श्री रोहित यादव, सीएसआईडीसी के महाप्रबंधक श्री विश्वेश कुमार, संस्कृति विभाग के संचालक श्री विवेक आचार्य, खादी ग्रामोद्योग सचिव श्री श्याम धावड़े, इन्वेस्टमेंट कमिश्नर श्रीमती ऋतु सैन, आवासीय आयुक्त श्रीमती श्रुति सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

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