आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 16 दिसम्बर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी रात्रि 08:00 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र – उत्तराषाढ़ा सुबह 6:24 तक तत्पश्चात श्रवण
योग – व्याघात 17 दिसम्बर प्रातः 03:48 तक
राहु काल – सुबह 09:54 से 11:15 तक
सूर्योदय – 07:13
सूर्यास्त – 05:57
दिशा शूल – पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:27 से 06:20 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:09 से 01:02 तक
व्रत पर्व विवरण – विनायक चतुर्थी, धनुर्मास प्रारम्भ, षडशीति-धनु संक्रांति
विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
षडशीति-धनु संक्रांति : 16 दिसम्बर 2023
पुण्यकाल- शाम 04:09 से सूर्यास्त तक
षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण
पीपल का पेड़ ऐसी जगह पर उग आये जहाँ आप नहीं चाहते हो
पीपल का पेड़ कभी किसी की घर में उग जाए… तो लोगो को होता है पीपल का पेड़ है काटे या नहीं… तो युक्ति से चारों ओर से खोद कर निकाल दें… जड़ सहित… गमले में मिट्टी – खाद आदि भर के छोटे पौधे को लगा दें । वो पौधा घर में वायव्य ( उत्तर और पश्चिम के बीच का कोण ) कोण में रखें । थोड़े दिन के बाद कोई मंदिर या बगीचे में लगा दें । थोड़े दिन पानी डालते रहना ।
प्राकृतिक नियमों का करें पालन, बना रहेगा स्वस्थ जीवन ( भाग – 3)
६] आवेगों को न रोकें : कक्षा में पढ़ते समय कई विद्यार्थी मल-मूत्र के आवेगों को रोके रखते हैं । अधिक समय तक मल को रोकने से वह सड़ने लगता है तथा आगे चलकर उसका निष्कासन करनेवाले अंग दुर्बल हो जाते हैं और निष्कासन-समय होने पर भी हमें संकेत नहीं दे पाते, जिससे कब्ज, पेट के रोग, कृमि, जोड़ों का दर्द, सिरदर्द, यकृत व गुर्दों के रोग जैसी अनेक बीमारियाँ हो सकती हैं । शौच आदि से निवृत्त होकर ही विद्यालय या कार्यालय जायें तथा मल-मूत्र को न रोकें ।
७] ब्रह्मचर्य पालन : जिन्हें बल, बुद्धि, स्वास्थ्य, एकाग्रता व प्रसन्नता चाहिए हो, उन्नत जीवन जीना हो तथा जीवन के महानतम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति करना हो, उन्हें वीर्यक्षय न हो इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए । जो फ़िल्में, सीरियल, अश्लील वेबसाइट्स देखते हैं, कामोत्तेजक साहित्य पढ़ते हैं, लड़कियों लड़कों से व मजाक या स्पर्श करते हैं वे उपरोक्त बातों में सफल नहीं हो पाते और पतन, तबाही के शिकार हो जाते हैं । उनका जीवन ओज-तेजहीन, उत्साह व शक्ति हीन होने लगता है तथा नपुंसकता की तरफ घसीटा जाता है । अत: ‘दिव्य प्रेरणा-प्रकाश’ पुस्तक का नित्य पठन कर ब्रह्मचर्य का दृढ़ता से पालन करें ।
८] जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या : अच्छे स्वास्थ्य की उत्तम कुंजी है जैविक घड़ी पर आधारित दिनचर्या । इसके अंतर्गत प्रात: ३ से ५ बजे के बीच प्राणायम, ५ से ७ के बीच मलत्याग, ७ से ९ के बीच सम्भव हो तो दूध ( भोजन से २ घंटे पूर्व) या फलों के रस का सेवन, ९ से ११ के बीच भोजन, शाम ५ से ७ के बीच भोजन, रात्रि ७ से ९ के बीच अध्ययन तथा ९ से ३ बजे तक नींद लेना विशेष लाभकारी है । पूज्य बापूजी द्वारा बतायी गयी यह दिनचर्या सर्वांगीण विकास में बहुत सहायक है ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।