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भूपेंद्र यादव ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून में पश्मीना प्रमाणन केंद्र का उद्घाटन किया

New Delhi (IMNB). केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून, उत्तराखंड में स्थापित किए गए पश्मीना प्रमाणन केंद्र (पीसीसी) का उद्घाटन किया, जिसमें पहले अद्वितीय आईडी बारकोड को टैग किया गया एवं पीसीसी प्रमाणपत्र जारी किया गया। श्री यादव ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए पीसीसी पश्मीना उत्पादों की शुद्धता एवं देश के उत्पादों का आवागमन परेशानी मुक्त करने के लिए प्रतिबंधित फाइबर की अनुपस्थिति के लिए प्रमाणन जारी करेगा।

 

भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून ने 5 जनवरी 2023 को डब्ल्यूआईआई में ‘पश्मीना परीक्षण सुविधा’ स्थापित करने के लिए हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच), नई दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया था। इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से, ईपीसीएच ने पश्मीना व्यापार में शामिल अपने संबद्ध सदस्यों के लिए पश्मीना प्रमाणन केंद्र (पीसीसी) स्थापित करने हेतु डब्ल्यूआईआई के साथ सहयोग किया।

इस पीसीसी की स्थापना का उद्देश्य पश्मीना व्यापार को सुव्यवस्थित करना एवं इससे संबंधित निर्माताओं, निर्यातकों और व्यापारियों को किसी भी प्रतिबंधित फाइबर मुक्त वास्तविक पश्मीना उत्पाद को प्रमाणित करने के लिए एक ही जगह पर परीक्षण सुविधा प्रदान करना है। सभी परीक्षण किए गए उत्पादों को व्यक्तिगत ई-प्रमाणपत्रों के साथ एक ट्रेस करने वाला अद्वितीय आईडी टैग प्रदान किया जाएगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में ऐसे उत्पादों का निर्बाध व्यापार संभव हो सकेगा। देश में ऐसी सुविधा की कमी के कारण वाणिज्यिक ऊनी उत्पादों की जांच की जाती है, जिससे देश के निकास बिंदुओं पर प्रतिबंधित फाइबर की उपस्थिति का पता लगाया जा सके, जिससे इनकी निकासी में ज्यादा समय लगता है और निर्यातकों और व्यापारियों को संबंधित शुल्क एवं वित्तीय/व्यावसायिक नुकसान होता है। डब्ल्यूआईआई, देहरादून में पीसीसी, वास्तविक पश्मीना उत्पादों के व्यापार में शामिल ईमानदार निर्यातकों एवं व्यापारियों को सहायता प्रदान करेगा। भारत में इस प्रकार की प्रामाणिक प्रमाणन सुविधा स्थापित होने से यह वास्तविक पश्मीना उत्पादों के निर्बाध व्यापार के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा।

केंद्र सरकार की नीति के अनुरूप, यह प्रमाणित और वास्तविक पश्मीना उत्पादों की बिक्री करने के लिए प्रामाणिकता प्रमाणपत्र प्राप्त करने में पश्मीना व्यापारियों को सहायता प्रदान करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर आधारित एक प्रकार की सुविधा है। इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, उन्नत प्रौद्योगिकियों को पश्मीना परीक्षण प्रक्रियाओं का समर्थन करने वाली एक ही सुविधा के अंतर्गत रखा गया है। यह भुगतान के आधार पर संबद्ध निर्यातकों एवं व्यापारियों का समर्थन करने वाली सरकारी संगठन में आत्मनिर्भर और राजस्व उत्पन्न करने वाली सुविधा का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसने सुविधा ने पीपीपी मॉडल पर उभरते पेशेवरों के लिए रोजगार का अवसर भी उत्पन्न किया है। यह प्रमाणन खरीदारों को प्रमाणित पश्मीना उत्पादों की खरीदारी करने में सहायता प्रदान करेगा। प्रमाणित प्रमाणीकरण की उपलब्धता के साथ पीसीसी प्रमाणन का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व होगा।

डब्ल्यूआईआई में पीसीसी, पश्मीना उत्पादों का निर्बाध व्यापार करने के लिए प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाला एक केंद्र होगा, जिससे कारीगरों एवं व्यापारियों के माध्यम से देश में राजस्व उत्पन्न करने में सहायता मिलेगी। जम्मू-कश्मीर के कारीगर एवं बुनकर समुदाय के लिए पश्मीना आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है, इसलिए, यह केंद्र उन्हें अपने उद्योग को बढ़ावा देने में सहायता करेगा, जो इस प्रकार की सुविधा की अनुपलब्धता एवं प्रतिबंधित फाइबर के संभावित मिश्रण का संदेह होने के कारण देश के निकास बिंदु पर सीमा शुल्क द्वारा लगातार जांच के दायरे में रहता है और जब्त किया जाता है, जबकि भ्रामक नाम एवं लेबल लगाकर पश्मीना के साथ प्रतिबंधित ऊन मिश्रित सामानों का निर्यात किया जाता है। इसके अलावा, यह प्रतिबंधित फाइबर के उपयोग को हतोत्साहित करेगा, जिसके परिणामस्वरूप चिरु बकरी को उनके निवास स्थान पर संरक्षण प्राप्त होगा।

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