आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 16 सितम्बर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा सुबह 09:17 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी सुबह 07:36 तक तत्पश्चात हस्त
योग – शुक्ल 17 सितम्बर प्रातः 04:13 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहु काल – सुबह 09:30 से 11:02 तक
सूर्योदय – 06:26
सूर्यास्त – 06:43
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:53 से 05:39 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:11 से 12:58 तक
व्रत पर्व विवरण – द्वितीया चन्द्र दर्शन (शाम 06:43 से रात्रि 07:29), सामवेद उपाकर्म
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
लक्ष्मीप्राप्ति व घर में सुख-शांति हेतु
‘परमात्मा मेरे आत्मा हैं । ॐ आनंद, ॐ शांति, ॐ माधुर्य… ।’ घर में अन्न की कमी हो तो ऐसा चिंतन करके जौ का ध्यान करें, अन्न की कमी सदा के लिए मिट जायेगी । – पूज्य बापूजी
घर में टूटी-फूटी अथवा अग्नि से जली हुई प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए । ऐसी मूर्ति की पूजा करने से गृहस्वामी के मन में उद्वेग या अनिष्ट होता है । (वराह पुराण :१८६.३७)
अशुभ क्या है ? (भाग-१)
बिल्ली की धूलि शुभ प्रारब्ध का हरण करती है । (नारद पुराण, पूर्व भाग : 26.32)
कुत्ता रखने वालों के लिए स्वर्गलोक में स्थान नहीं है । उनका पुण्य क्रोधवश नामक राक्षस हर लेते हैं । (महाभारत, महाप्रयाण पर्व : 3.10)
‘महाभारत’ में यह भी आया है कि ‘घर में टूटा-फूटा बर्तन, सामान (फर्नीचर), मुर्गा, कुत्ता, बिल्ली होना अच्छा नहीं है । ये शुभ गुणों को हरते हैं ।’
दूसरे का अन्न, दूसरे का वस्त्र, दूसरे का धन, दूसरे की शय्या, दूसरे की गाड़ी, दूसरे की स्त्री का सेवन और दूसरे के घर में वास – ये इन्द्र के भी ऐश्वर्य को नष्ट कर देते हैं । (शंखलिखित स्मृति : 17)
जिस तरह शरीर में जीवन न हो तो वह मुर्दा शरीर अशुभ माना जाता है । इसी तरह खाली कलश भी अशुभ है । दूध, घी, पानी अथवा अनाज से भरा हुआ कलश कल्याणकारी माना जाता है । भरा हुआ घड़ा मांगलिकता का प्रतीक है ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।