ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग

दिनांक – 17 अक्टूबर 2023
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – तृतीया रात्रि 01:26 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र – विशाखा रात्रि 08:31 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग – प्रीति सुबह 09:22 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहु काल – दोपहर 03:19 से 04:46 तक
सूर्योदय – 06:37
सूर्यास्त – 06:13
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:58 से 05:47 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:00 से 12:50 तक

व्रत पर्व विवरण – नवरात्रि, माँ चन्द्रघंटा पूजा
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

नवरात्रि विशेष

नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की पूजा कि जाती है । यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप हैं । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है । असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था । नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है । इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है ।

तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं । इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।

नवरात्रि : 15 से 23 अक्टूबर 2023

नवरात्र – व्रत पापनाशक है । इसमें उपवास करके देवी भगवती की पूजा, जप व होम करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है । धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष – इन चारों की अभिलाषा करनेवाले को यह उत्तम व्रत अवश्य करना चाहिए ।

नवरात्रि के दिनों का अर्थ

नवरात्रि के प्रथम तीन दिन होते हैं माँ काली की उपासना के होते हैं… जिसमे अपने काले कर्मो की निवृति के लिए जप किया जाता है ।

नवरात्रि के दूसरे ३ दिन लक्ष्मी की उपासना के होते है… ताकि हम सफल सम्पदा के अधिकारी बनें ।

आखिरी ३ दिन सरस्वती की उपासना के होते हैं… ताकि हमारे जीवन में प्रज्ञा ज्ञान का अर्जन हो । उसके लिए सारस्वत्य मंत्र का जप और सूर्य नारायण का ध्यान करना चाहिये ।

देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है । मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं ।

1. शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं ।

2. जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है ।

3. प्रसन्नता बढ़ती है ।

4. द्रव्य की वृद्धि होती है ।

5. लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण खत्म होते हैं ।

नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं । और वह जप का मंत्र बताया गया हैं । इस मंत्र से लक्ष्मी जी महालक्ष्मी होकर भोग और मोक्ष देनेवाली बनती हैं ।

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ”

हल्की आदतें, चिन्तित स्वभाव, बीमारी आदि सब गायब !

दवाइयों से रोग नहीं मिटते, दवाइयाँ तो निमित्त होती है, रोग तो आपकी पुण्याई से और आपकी रोगप्रतिकारक शक्ति से मिटते है । अगर दवाइयों से ही रोग मिटते होते तो जवान का ऑपरेशन होने पर थोड़े दिनों में घाव क्यों ठीक होता और बूढ़े व्यक्ति का वही ऑपरेशन होने पर ठीक होने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं ? बूढ़े व्यक्ति की बीमारी मिटने में ज्यादा दिन क्यों लगते हैं और जवान की बीमारी जल्दी क्यों मिटते हैं ? जिनकी रोगप्रतिकारक शक्ति, प्राणशक्ति, मन: शक्ति दुर्बल है उनके रोग देर से मिटते हैं और जिनकी मन:शक्ति सबल हैं उनको रोग होते नहीं और कभी हो भी जायें तो जल्दी मिट जाते हैं ।

यह तो एलोपैथी के डॉक्टरों को भी मानना पड़ेगा, वैज्ञानकों को भी मानना पड़ेगा और आस्तिक जगत के लोग तो मानते ही हैं । आपमें विचारशक्ति का बल है । दुनिया में कई शक्तियाँ है – विद्युत् शक्ति हैं, परमाणु शक्ति है …. तमाम शक्तियाँ है । उन सब शक्तियों की ऐसी-तैसी करनेवाली आपकी विचारशक्ति है ।

जो मुसीबतों से, दु:खों से दबे रहते हैं । तो ‘महाराज ! दुःख तो हमारे पास बहुत है , हम तो दु:खों से डर रहे हैं ।’ नहीं लम्बा श्वास लो, भगवान के नाम का उच्चारण करो । जितने मिनट उच्चारण करो उसके आधे मिनट चुपचाप बैठो और मानसिक उच्चारण होने दो । कितनी भी हल्की आदत होगी, कितना भी डरावना स्वभाव होगा, चिंतित स्वभाव होगा – बीमारी का, तनाव का , वह सब थोड़े दिनों में गायब हो जायेगा ।

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