आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 19 अक्टूबर 2023
दिन – गुरुवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी रात्रि 12:31 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 09:04 तक तत्पश्चात मूल
योग – सौभाग्य सुबह 06:54 तक तत्पश्चात शोभन
राहु काल – दोपहर 01:51 से 03:18 तक
सूर्योदय – 06:38
सूर्यास्त – 06:11
दिशा शूल – दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:58 से 05:48 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:00 से 12:50 तक
व्रत पर्व विवरण – उपांग-ललिता पंचमी
विशेष – पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
नवरात्रि विशेष
नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा होती है । इस दिन मां भवानी को केले का भोग लगाना चाहिए । ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और करियर में ग्रोथ मिलती है ।
कैसे पायें लक्ष्मीजी की प्रसन्नता ?
धनप्राप्ति में मददरूप होंगे ये प्रयोग
नवरात्रि के दिनों में किसी भी एक दिन हल्दी व चावल के चूर्ण में थोड़ा-सा पानी डालकर बनाये घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ लिखें । इससे घर में धन का आगमन होता है ।
गाय को गन्ना या गुड़ खिलाने से धनप्राप्ति में लाभ होता है ।
गरीबों, जरूरतमंदों को वस्त्र, अनाज, दक्षिणा आदि देना शुभ माना जाता है । इससे लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक विघ्न-बाधायों का निवारण होता हैं ।
शंख बजाने से घर की ऋणात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा धनात्मक ऊर्जा बढ़ती है । यह आर्थिक लाभ प्राप्त करने में भी मददरूप है ।
आर्थिक स्थिरता व दाम्पत्य सुख का उपाय
यदि आपके जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं है या दाम्पत्य सुख में कमी है तो आप ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मंत्र की २१ दिन तक रुद्राक्ष या तुलसी माला से प्रतिदिन ११ माला करें ।
विनियोग : ॐ अस्य वासुदेवद्वादशाक्षरमहामन्त्रस्य, प्रजापतिः ऋषिः, गायत्री छन्दः, वासुदेवः परमात्मा देवता, परमात्मप्राप्ति अर्थे, आर्थिकस्थिरताप्राप्ति अर्थे, दाम्पत्यसुखप्राप्ति अर्थे च जपे विनियोगः ।
“विनियोग करके जप किया जाता है तो मंत्र बहुत शक्तिशाली हो जाता है।” गुरुपुष्यामृत योग से अनुष्ठान का प्रारम्भ करें । अनुष्ठान के दौरान एक निश्चित स्थान व नियत समय पर दीपक व गौ-चंदन धूपबत्ती जला के जप करने से विशेष लाभ होगा ।
गुरुवार विशेष
हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।