आज का हिन्दू पंचांग
हिन्दू पंचांग
दिनांक – 27 अक्टूबर 2023
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी सुबह 06:56 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – उत्तर भाद्रपद सुबह 09:25 तक तत्पश्चात रेवती
योग – व्याघात प्रातः 05:223 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल – सुबह 10:58 से 12:23 तक
सूर्योदय – 06:42
सूर्यास्त – 06:05
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:01 से 05:51 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:58 से 12:49 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
ग्रहण संबंधी शंका-समाधान
शरद पूर्णिमा कब मनानी है ?
28 अक्टूबर 2023, शनिवार को
खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ?
रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।
सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं ?
अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।
पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं ?
क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।
सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं ?
ले सकते हैं ।
ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?
नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।
ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं ?
नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।
ग्रहण के समय खा सकते है ?
चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।
सूतक में स्नान, पेशाब & शौच कर सकते हैं या नहीं ?
कर सकते हैं ।
ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन कर सकते हैं क्या ?
बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’
सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं ?
इसमें अलग-अलग विचारकों का अलग-अलग मत है । कुछ जानकार लोगों का कहना है कि चूंकि सूतक का समय-अवधि अधिक होने से 12 घंटें का सूतक एवं लगभग 3.5 घंटें ग्रहण का समय टोटल 15.5 घंटें बिना जल-पान का रहना सामान्य तौर पर सबके लिए सम्भव नहीं है अतः सूतक काल में सूतक लगने के पूर्व जल में तिल या कुशा डालकर रखना चाहिए और सूतक के दौरान प्यास लगने पर वही जल पीना चाहिए । इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।
ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं ?
जला सकते हैं ।
ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है ?
हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।
ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं ?
ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।
चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ?
ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।
आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।
भोजन कब तक करना है ?
सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।
ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है ?
सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।
नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं ।
ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं ?
सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।
ग्रहण देख सकते है ?
नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें ।