ज्योतिष

आज का हिन्दू पंचांग 

हिन्दू पंचांग 

दिनांक – 19 नवम्बर 2023
दिन – रविवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – षष्ठी सुबह 07:23 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र – श्रवण रात्रि 10:48 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – वृद्धि रात्रि 11:28 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहु काल – शाम 04:32 से 05:54 तक
सूर्योदय – 06:55
सूर्यास्त – 05:54
दिशा शूल – पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:11 से 06:03 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:59 से 12:51 तक

व्रत पर्व विवरण – छठ पूजा, रविवारी सप्तमी, संत जलाराम जयंती
विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

रविवारी सप्तमी : 19 नवम्बर 2023

पुण्यकाल : 19 नवम्बर सुबह 07:23 से 20 नवम्बर प्रातः 05:21 तक

इस दिन किया गया जप-ध्यान का लाख गुना फल होता है ।

रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे, तो घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं ।

सूर्य पूजन विधि

१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ, आरती करें ।

२) जल में थोड़े चावल, शक्कर, गुड़, लाल फूल या लाल कुमकुम मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें ।

सूर्य अर्घ्य मंत्र
01. ॐ मित्राय नमः।
02. ॐ रवये नमः।
03. ॐ सूर्याय नमः।
04. ॐ भानवे नमः।
05. ॐ खगाय नमः।
06. ॐ पूष्णे नमः।
07. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
08. ॐ मरीचये नमः।
09. ॐ आदित्याय नमः।
10. ॐ सवित्रे नमः।
11. ॐ अर्काय नमः।
12. ॐ भास्कराय नमः।
13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः ।
(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)

विशेष – घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।

गोपाष्टमी – 20 नवम्बर 2023

गोपाष्टमी विशेष

गौ माता धरती की सबसे बड़ी वैद्यराज है ।

भारतीय संस्कृति में गौमाता की सेवा सबसे उत्तम सेवा मानी गयी है, श्री कृष्ण गौ सेवा को सर्व प्रिय मानते हैं ।

शुद्ध भारतीय नस्ल की गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाम की एक विशेष नाड़ी होती है जब इस नाड़ी पर सूर्य की किरणे पड़ती हैं तो स्वर्ण के सूक्ष्म कणों का निर्माण करती हैं, इसीलिए गाय के दूध, मक्खन और घी में पीलापन रहता है, यही पीलापन अमृत कहलाता है और मानव शरीर में उपस्थित विष को नष्ट करता है ।

गाय को सहलाने वालों के कई असाध्य रोग मिट जाते हैं क्योंकि गाय के रोमकोपों से सतत एक विशेष ऊर्जा निकलती है ।

गाय की पूछ के झाडने से बच्चों का ऊपरी हवा एवं नजर से बचाव होता है ।

गौमूत्र एवं गोझरण के फायदे तो अनंत हैं, इसके सेवन से केंसर व् मधुमय के कीटाणु नष्ट होते हैं ।

गाय के गोबर से लीपा पोता हुआ घर जहाँ सात्विक होता है वहीँ इससे बनी गौ-चन्दन जलाने से वातावरण पवित्र होता है इसीलिए गाय को पृथ्वी पर सबसे बड़ा वैद्यराज माना गया है, सत्पुरुषो का कहना है की गाय की सेवा करने से गाय का नहीं बल्कि सेवा करने वालो का भला होता है ।

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