आज का हिन्दू पंचांग

हिन्दू पंचांग
दिनांक – 25 नवम्बर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी शाम 05:22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – अश्विनी दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात भरणी
योग – व्यतिपात प्रातः 06:24 तक तत्पश्चात बारियान
राहु काल – सुबह 09:43 से 11:05 तक
सूर्योदय – 06:59
सूर्यास्त – 05:53
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:15 से 06:07 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:01 से 12:53 तक
व्रत पर्व विवरण – वैकुंठ चतुर्दशी
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वैकुण्ठ चतुर्दशी : 25/26 नवम्बर 2023
कहते हैं कि इस दिन काशी नगरी में भगवान विष्णु ने भगवान शिव की कमलपूजा आरंभ की थी एवं भगवान शिव को एक हजार कमल के पुष्प चढ़ाने का संकल्प किया था उसमें से एक पुष्प भगवान शिव ने छुपा दिया । जब पुष्प चढ़ाने के बाद विष्णुजी का ध्यान गया तो उन्होंने देखा कि एक हजार की जगह नौ सौ निन्यानये कमल ही चढ़ा पाया हूँ, अब एक कमल कहाँ से लाऊँ ? सहसा उन्हें याद आया कि लोग मुझे भी तो कमलनयन कहते हैं । अतः हजारवें कमल की जगह उन्होंने अपना एक नेत्र ही भगवान शिव को अर्पित कर दिया । इससे भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हो गये एवं साकार रूप से प्रगट होकर विष्णुजी को आशीर्वाद दिया। इसी दिन से भगवान विष्णु का वैकुंठ में बास हुआ अतः इसे वैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं ।
‘वैकुंठ’ अर्थात् मति भोग में, देह में ही कुंठित न रहे। वरन् अपने व्यापक चैतन्य स्वरूप में, ब्रह्म में प्रतिष्ठित हो जाये। कुठित मति ही देह में आसक्ति कराती है जबकि अकुंठित मति में याने ‘वैकुंठ में, व्यापक ब्रह्म में भगवान विष्णु का वास होता है। इससे भी इस दिन को वैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं । देह को ‘मैं’ मानना ही कुंठितता है और देह का उपयोग कर लेना, याने विदेही आत्मा में आ जाना, यह वैकुंठवास कहलाता है। तुम भी अपनी देह को एक खिलौना समझो। कुंठित मति मिटाकर व्यापक आत्मा-परमात्मा को ‘मै मेरा’ मानकर बैकुंठ (परमात्मा) में वास करो ।
वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुख समृद्धि बढ़ाने
देवीपुराण के अनुसार इस दिन जौ के आटे की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाया जाता है और प्रसाद में वो रोटी खायी जाती है । माँ पार्वती को भोग लगाकर जौ की रोटी प्रसाद में जो खाते है उनके घर में सुख और संम्पति बढती जायेगी, ऐसा देवीपुराण में लिखा है । वैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपने-अपने घर में जौ की रोटी बनाकर माँ पार्वती को भोग लगाते समय ये मंत्र बोले –
ॐ पार्वत्यै नम:
ॐ गौरयै नम:
ॐ उमायै नम:
ॐ शंकरप्रियायै नम:
ॐ अंबिकायै नम:
कार्तिक मास की अंतिम तीन दिन का स्नान
(25, 26 व 27 नवम्बर)
कार्तिक मास की त्रयोदशी से पूनम तक के अंतिम ३ दिन पुण्यमयी तिथियाँ मानी जाती हैं । अगर कोई कार्तिक मास के सभी दिन स्नान नहीं कर पाये तो उसे अंतिम तीन दिन सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से सम्पूर्ण कार्तिक मास के प्रातः स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।