आज का हिन्दू पंचांग
आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 10 जुलाई 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण (गुजरात, महाराष्ट्र में आषाढ़)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अष्टमी शाम 06:44 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – रेवती शाम 06:59 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – अतिगण्ड दोपहर 12:34 तक तत्पश्चात सुकर्म
राहु काल – सुबह 07:42 से 09:23 तक
सूर्योदय – 06:01
सूर्यास्त – 07:29
दिशा शूल – पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:37 से 05:19 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:24 से 01:06 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा
अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:…… शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें । जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है ।
इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा । अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।` जपकर के ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें । ऐसा १० बार करें । कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा ।
औषधीय गुणों से भरपूर काली मिर्च
काली मिर्च गर्म, रुचिकर, पचने में हलकी, भूखवर्धक, भोजन पचाने में सहायक तथा कफ एवं वायु को दूर करनेवाली है । यह खाँसी, जुकाम, दमा, अजीर्ण, अफरा, पेटदर्द, कृमिरोग, चर्मरोग, आँखों के रोग, पेशाब संबंधी तकलीफों, भूख की कमी, यकृत (liver) के रोग, हृदय की दुर्बलता आदि में लाभदायी है । नेत्रविकारों में सफेद मिर्च का विशेषरूप से उपयोग होता है ।
काली मिर्च के सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ती है । यह घृतयुक्त स्निग्ध पदार्थों को शीघ्र पचाती है । अल्प मात्रा में तीक्ष्ण होने से यह शरीर के समस्त स्रोतों से मल को बाहर कर स्रोत शुद्धि – (शरीर के विभिन्न प्रवाह तंत्रों की शुद्धि) करती है, जिससे मोटापा, मधुमेह (diabetes), हृदय की रक्तवाहिनियों के अवरोध (coronary artery disease) आदि से सुरक्षा होती है । दाँत दर्द या दंतकृमि में इसके चूर्ण से मंजन करना अथवा इसे मुँह में रखकर चूसना लाभदायी है। नाड़ी-दौर्बल्य में लाभदायी है ।
काली मिर्च के औषधीय प्रयोग
(१) मस्तिष्क व नेत्रों के लिए : प्रातः काली मिर्च का १-२ चुटकी चूर्णं शुद्ध घी व मिश्री के साथ सेवन करने से मस्तिष्क शांत रहता है तथा दृष्टि बलवान होती है ।
(२) शरीर पुष्टि हेतु रात्रि के समय १-२ काली मिर्च दूध में उबाल के लेने से शरीर में रस धातु की वृद्धि होकर शेष सभी धातुएँ पुष्ट होती हैं, शरीर का पोषण ठीक प्रकार से होता है ।
(३) दमा व खाँसी में काली मिर्च का ४ चुटकी चूर्ण १ चम्मच मिश्री, आधा चम्मच शहद व १ चम्मच शुद्ध घी के साथ मिला के दिन में दो बार चाटने से सर्दी, छाती दर्दसहित होनेवाले दमे व खाँसी में लाभ होता है तथा फेफड़ों में संचित दूषित कफ निकल जाता है ।
(४) गले के रोग दिन में एक से दो बार काली मिर्च को चूसना या उसके काढ़े से कुल्ला करना लाभदायी है ।
(५) अफरा: काली मिर्च से युक्त संतकृपा चूर्ण २ ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें । अफरे के अलावा यह चूर्ण कब्ज, पेट के कृमि, गैस, बदहजमी, अम्लपित्त (hyperacidity), सर्दी, खाँसी, सिरदर्द आदि को दूर करने तथा स्फूर्ति एवं ताजगी लाने हेतु लाभप्रद है ।
सावधानी : अधिक मात्रा में काली मिर्च के सेवन से पेटदर्द, उलटी, पेशाब में जलन आदि विकार उत्पन्न होते हैं । अतः इसका अल्प मात्रा में सेवन करें ।